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मिट्टी के घड़ों पर भी महंगाई की मार! 500 में मटका तो 300 रुपये में मिल रही पानी की बोतल
अप्रैल के महीने में ही आसमान से बरस रही आग को देखते हुए लोग तरह-तरह से सूरज की तपिश को कम करने की जुगत में जुटे हुए हैं. ऐसे मौसम में पानी वरदान है. लोग पानी पीकर, जूस पीकर या फिर नारियल पीकर इस गर्मी को मात दे रहे हैं. इस बीच मिट्टी के घड़ों की दुकान पर भी लोगों की कतार देखी जा रही है. लोग मिट्टी के घड़े खरीदकर उसका शुद्ध ठंडा पानी पीने में ही भलाई समझ रहे हैं. मिट्टी के घड़े की दुकानों पर कोई कार से कई-कई मिट्टी के घड़े एक साथ ले जा रहा है तो कोई मिट्टी के घड़े की शक्ल वाली पानी की बोतल खरीद रहा है. कइयों का तो ये भी कहना है कि जब से कोरोनाकाल आया तब से उन्होंने फ्रीज़ के पानी से तौबा कर ली और मिट्टी के घड़े के जल का ही इस्तेमाल कर रहे हैं, क्योंकि ये देसी फ्रीज़ शुद्ध है और इसका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं है. घड़ों की दुकान पर लंबी कतारों की वजह से दुकानदारों के चेहरे पर भी मुस्कान आ गई है.
हालांकि इस बीच महंगाई का असर मिट्टी के घड़ों पर भी पड़ रहा है. आमतौर पर जो मिट्टी के घड़े चालीस पचास रुपये में या फिर सौ डेढ़ सौ रुपये में कभी मिल जाया करते थे. अब उसकी कीमत तीन सौ रुपये से लेकर पांच सौ रुपये तक पहुंच गई है. दुकानदारों का कहना है कि मटका बनाने में जिस मिट्टी का उपयोग किया जाता है, वह काफी दूर मिलता है. ट्रैक्टर से इसकी ढुलाई करनी पड़ती है. ट्रैक्टर का भाड़ा बढ़ने से मिट्टी के बर्तन की कीमत भी बढ़ गई है. उनका कहना है कि इसे बनाने में लकड़ी के बुरादे और भूसे आदि का भी उपयोग होता है. मटके को पकाने के लिए लकड़ी की जरूरत होती है. इन सभी सामानों की कीमत काफी बढ़ गई है, इससे मटके का दाम बढ़ना भी स्वाभाविक है.
देसी फ्रीज यानी मिट्टी के घड़े और सुराही आदि की डिमांड ख़ूब हो रही है. मेरठ में दिन का पारा 41 डिग्री सेल्सियम तक पहुंच चुका है. फिलहाल फ्रिज अथवा कूलर की बिक्री में बढ़ोत्तरी हो या न हो लेकिन मिट्टी से बने इन बर्तनों की बिक्री में अच्छी-खासी बढ़ोत्तरी देखने को मिल रही है.
यही वजह है कि इन दिनों शहर में जगह-जगह मिट्टी के घड़े आदि बिकते नजर आ रहे हैं. सुविधा संपन्न व्यक्ति भी महंगे फ्रीज के घर में रहते हुए भी घड़े के पानी को ज्यादा तवज्जो देते हैं. वजह यह है घड़े का पानी का गर्मी में कोई साइड इफेक्ट नहीं होता, वहीं घड़े का पानी तो अधिक चिल्ड होता है और न ही गर्म. ऐसे में घड़े का पानी पीना लोग अधिक पसंद करते हैं.

