उत्तराखण्ड
साइबर ठगी : अगर खाकी वर्दी में कोई आपको धमकाए तो झांसे में न आएं, 1930 पर करें शिकायत
देहरादून। समय के साथ साइबर ठग भी तौर-तरीके बदल रहे हैं। जनमानस के मन-मस्तिष्क में पुलिस को लेकर अजीब-सा डर व्याप्त है। सामान्य लोग पुलिस की वर्दी देखकर ही सहम जाते हैं। अब इसी डर का फायदा साइबर ठग उठा रहे हैं।
भोले-भाले व्यक्तियों को वह पुलिसकर्मी बनकर धमका रहे हैं। वीडियो काल पर रौब गालिब कर उनकी गाढ़ी कमाई लूट रहे हैं। इस तरह धोखाधड़ी करने वाले साइबर ठगों के तार मेवात (राजस्थान) से जुड़े हैं। बीते कुछ दिनों में देहरादून समेत प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में इस तरह ठगी किए जाने के मामले सामने आए हैं।
इस तरह की ठगी से बचने को लेकर उत्तराखंड पुलिस इंटरनेट मीडिया पर प्रदेशवासियों को जागरूक भी कर रही है। ठगों के इस गिरोह में युवतियां भी शामिल हैं। जो फेसबुक पर दोस्ती करने के बाद मोबाइल नंबर लेकर अपने जाल में फंसाती हैं।
इसके बाद युवतियों की तरफ से संबंधित को वीडियो काल किया जाता है और उस पर अश्लील हरकतों के लिए दबाव बनाया जाता है। वीडियो काल के दौरान की पूरी गतिविधि युवतियां अपने मोबाइल में स्क्रीन रिकार्डर के माध्यम से कैद कर लेती हैं। चूंकि, इस तरह के मामलों को लेकर लोग जागरूक हो चुके हैं।
ऐसे में अब युवतियों के स्थान पर पुलिस की वर्दी में उनके साथी वीडियो काल कर पीड़ित को धमकाते हैं कि किसी युवती ने अश्लील वीडियो भेजकर उनकी शिकायत की है। पुलिस की वर्दी देख अधिकांश लोग डर जाते हैं और हर बात मानने को तैयार हो जाते हैं।
बंगाल व उड़ीसा से लाते हैं सिम
सीओ साइबर थाना अंकुश मिश्रा ने बताया कि ऐसे मामलों की जांच में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। पता चला कि इस तरह की अधिकांश ठगी राजस्थान से की जा रही हैं। जबकि, पीड़ितों को जिन मोबाइल नंबरों से काल किया गया, उनकी खरीद बंगाल और उड़ीसा में हुई। जिन बैंक खातों में रुपये मंगाए गए, वह भी बंगाल और उड़ीसा के निकले।
उन्होंने बताया कि राजस्थान से बड़ी मात्रा में मार्बल की सप्लाई उड़ीसा व बंगाल में की जाती है। साइबर ठगों ने दोनों जगह एजेंट बना रखे हैं, जो वहां के गरीब व्यक्तियों को कुछ रुपये देकर उनके आधार कार्ड से सिम निकलवाते हैं।
बैंक खाते भी उन्हीं के नाम पर खुलवाए जाते हैं। इसके बाद मार्बल की सप्लाई करने वाले ट्रक के माध्यम से सिम कार्ड और बैंक खातों के एटीएम कार्ड साइबर ठगों के भेजते हैं। इसके लिए ट्रक चालकों को भी भुगतान किया जाता है।
यह सतर्कता बरतें
- फेसबुक पर किसी भी अनजान युवती या महिला के मैसेज का जवाब न दें।
- अंजान युवतियों व महिलाओं की फ्रेंड रिक्वेस्ट स्वीकार न करें।
- फ्रेंड रिक्वेस्ट स्वीकार कर ली है और मैसेज का रिप्लाई कर रहे हैं तो मोबाइल नंबर न दें।
- किसी भी दशा में वाट्सएप नंबर तो ना ही दें।
- अगर मोबाइल नंबर दे चुके हैं तो उनसे वीडियो काल पर बात न करें।
- उनकी बातों में आकर कोई अश्लील हरकत न करें।
यह है स्क्रीन रिकार्डर
स्क्रीन रिकार्डर एक मोबाइल एप है। इसकी मदद से किसी भी वीडियो काल को रिकार्ड किया जा सकता है। इसे कोई भी अपने मोबाइल में डाउनलोड कर सकता है। काल रिकार्ड करने के लिए वाट्सएप से वीडियो काल करने के बाद स्क्रीन रिकार्डर आन कर दिया जाता है।
इसके बारे में दूसरी तरफ से बात कर रहे व्यक्ति को पता भी नहीं चलता और काल के दौरान की उसकी हर गतिविधि काल करने वाले के मोबाइल में कैद हो जाती है।
1930 पर करें शिकायत
सीओ साइबर अंकुश मिश्रा ने कहा कि अंजान व्यक्तियों का आनलाइन मित्र अनुरोध स्वीकार करने में सतर्क रहें, क्योंकि साइबर ठग आपके वीडियो चैट सेशन को रिकार्ड कर इसका दुरुपयोग परेशान करने या पैसे वसूलने के लिए कर सकते हैं।
वीडियो काल के दौरान किसी भी तरह के अशोभनीय अनुरोध को स्वीकार न करें। अगर आप साइबर क्राइम के शिकार हुए हैं तो 1930 पर काल करें या www.cybercrime.gov.in पर शिकायत दर्ज करें।

