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अजब-गजब

घर में बंद रहने को मजबूर है 7 साल की बच्ची, बाहर निकलते ही चकत्तों से भर जाता है शरीर !

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7 Year Old Girl Never Goes Outside to Play : जिस उम्र में बच्चे अपने दोस्तों के साथ खेलते-कूदते हैं, जब उनकी उम्र कुछ नया सीखने और समाज में सेट होने की होती है, उस उम्र में एक बच्ची घर में ही कैद होकर रह गई है. इसकी वजह है बच्ची के एक बीमारी (Girl Gets Covered in Hives if She Goes Out), जो बाहरी दुनिया में निकलते ही उसे बेतहाशा दर्द और परेशानी देने लगती है.

एथेना कूपर (Athena Cooper) नाम की 7 साल की बच्ची दिखने में तो आम बच्चों की तरह ही है, लेकिन वो न तो अपने दोस्तों के साथ बाहर खेल सकती है और न ही उनके साथ स्विमिंग या किसी और एक्टिविटी में जा सकती है. इसकी वजह है बच्ची की अर्टिकैरिया (urticaria). इस बीमारी ने उसकी ज़िंदगी को सीमाओं में बांधकर रख दिया है. ज्यादा से ज्यादा वो स्कूल जाकर पढ़ाई कर सकती है, लेकिन बाहर खेलने-कूदने नहीं जा सकती.

2 साल की उम्र में हुई बीमारी
एथेना की इस दुर्लभ बीमारी का असर 2 साल की उम्र से दिखने लगा. उसके शरीर पर भयानक रैशेज़ होने लगे. मिरर की रिपोर्ट के मुताबिक ब्रिटेन की रहने वाली एथेना को डॉक्टर्स ने बताया कि बच्ची को तापमान बदलने से एलर्जी है. मुश्किल ये थी कि तापमान बढ़ने पर भी एलर्जी होती थी और तापमान घटने पर भी. ऐसे में एथेना को घर से बाहर निकलते ही समस्या होने लगती है. गर्मियों में वो पानी में नहीं खेल सकती, न ही वो घर से बाहर टहलने जा सकती है. वक्त के साथ-साथ ये बीमारी ऐसी बढ़ी कि एथेना को तापमान ज़रा सा बदलते ही शरीर पर लाल चकत्ते होने लगते हैं.

बच्ची की अर्टिकैरिया (urticaria) नाम की बीमारी की वजह से उसे चकत्ते पड़ जाते

चाहकर भी कुछ खेल नहीं सकती
बच्ची को फुटबॉल, स्विमिंग जैसे गेम्स का शौक है, लेकिन अपनी बीमारी की वजह से वो कुछ भी नहीं खेल सकती. उसे आइसक्रीम भी खाने के लिए मना किया गया है, क्योंकि इससे भी उसे रैशेज़ आने लगते हैं. छोटी सी बच्ची का पूरा बचपना घर में ही बीत रहा है. पैरेंट्स के मुताबिक रोज़ाना उसे सुबह ये रैशेज़ हो जाते हैं, फिर वे इस कोशिश में जुट जाते हैं कि ये ज्यादा नहीं बढ़े. बच्ची शारीरिक तौर पर ठीक है, लेकिन वो कोई एक्टिविटी नहीं कर सकती. उसके भाई-बहन मिलकर उसके साथ खेलने की कोशिश करते हैं और खुद भी बच्ची अब अपनी स्थिति को समझकर व्यवहार करती है. माता-पिता का कहना है कि वे किसी ऐसे इंजेक्शन की तलाश में हैं, जो उनकी बेटी को सामान्य ज़िंदगी दे सके.

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संपादक - कस्तूरी न्यूज़

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