उत्तराखण्ड
डाक्टरों की सोमवार से प्रदेशव्यापी आंदोलन की चेतावनी, कोरोनेशन अस्पताल में मेडिकल स्टाफ के साथ मारपीट का मामला
देहरादून। जिला चिकित्सालय (कोरोनेशन अस्पताल) की इमरजेंसी में चिकित्सक, फार्मेसिस्ट व अन्य कर्मचारियों के साथ हुई मारपीट के मामले को लेकर आक्रोश अभी थमा नहीं है। गत दिवस मारमीट के आरोपितों पर मुकदमा दर्ज होने के बाद चिकित्सकों ने कार्य बहिष्कार वापस ले लिया था। लेकिन अभी तक आरोपितो की गिरफ्तार नहीं होने से चिकित्सक व अन्य कार्मिकों में नाराजगी है। प्रांतीय चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा संघ (पीएमएचएस) ने रविवार तक गिरफ्तारी ना होने पर प्रदेशव्यापी आंदोलन की चेतावनी दी है। सोमवार सुबह इसे लेकर संघ की बैठक होगी, जिसमें आगे की रणनीति तय की जाएगी।
पीएमएचएस के प्रदेश अध्यक्ष डा. मनोज वर्मा ने बताया कि पुलिस ने आरोपितों की जल्द गिरफ्तारी का आश्वासन दिया था। अब पुलिस कह रही है कि तहरीर में आरोपितों के नाम नहीं लिखे गए हैं। इसलिए पहले मारपीट के आरोपितों का पता लगाया जा रहा है। इसके लिए सीसीटीवी फुटेज और अन्य तरीके से भी छानबीन की जा रही है। संघ के प्रदेश अध्यक्ष डा. वर्मा ने कहा कि अगर रविवार तक आरोपितों की गिरफ्तारी नहीं हुई तो सोमवार सुबह बैठक की जाएगी। संघ से जुड़े पदाधिकारियों और अन्य चिकित्सकों से बैठक में शामिल होने की अपील की गई है। बैठक में ही अगली रणनीति तय की जाएगी।
उन्होंने कहा कि अगर पूरे प्रदेश में चिकित्सा और स्वास्थ्य सेवाएं बंद भी करनी पड़ी तो पीछे नहीं हटेंगे। उन्होंने कहा कि चिकित्सकों और अन्य स्वास्थ्यकर्मियों से मारपीट के आरोपियों पर कार्रवाई के संबंध में इस बार नजीर रखनी है। अगर पीछे हटे या झुके तो इस तरह की घटनाएं फिर होंगी। चिकित्सकों और अन्य स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा के लिए मजबूत निर्णय लेना ही होगा।
बता दें कि गुरुवार को एक नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती युवक की संदिग्ध हालात में मौत हो गई थी। युवक को देररात कोरोनेशन अस्पताल लाया गया, जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया था। बताया जा रहा है कि इस दौरान युवक स्वजन ने अस्पताल में हंगामा शुरू कर दिया। आरोप है कि कुछ लोग ने ड्यूटी पर तैनात डा. गौरांग जोशी, फार्मेसिस्ट श्यामलाल बिजल्वाण, वार्ड ब्वाय सुधीर कुमार आदि के साथ अभद्रता व मारपीट की। शुक्रवार को कोरोनेशन समेत जिले के सभी सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों व अन्य मेडिकल स्टाफ ने कार्य बहिष्कार शुरू कर दिया। उनके उग्र तेवर देख पुलिस ने दोपहर को आरोपितों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर दिया। जिसके बाद चिकित्सकों ने कार्य बहिष्कार वापस लिया। पुलिस ने जल्द गिरफ्तारी का भरोसा दिलाया था पर किसी की भी गिरफ्तारी अभी नहीं हुई है।