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धर्म-संस्कृति

Chaitra Navratri 2022: आज महानवमी पर करें मां सिद्धिदात्री की पूजा, जानें मुहूर्त, मंत्र, ​विधि एवं आरती

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Chaitra Navratri 2022: चैत्र नवरा​त्रि का अंतिम दिन महानवमी है. आज महानवमी के दिन मां दुर्गा के नौवें स्वरुप मां सिद्धिदात्री की पूजा करते हैं. इनके अशीर्वाद से सभी प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होती हैं, अनहोनी से सुरक्षित रहते हैं और रोग-दोष आदि नष्ट हो जाते हैं. मृत्यु के बाद व्यक्ति को मोक्ष भी मिलता है. महाकाल भगवान शिव स्वयं देवी सिद्धिदात्री की उपासना करते हैं. महानवमी के अवसर पूजा के बाद कन्या पूजन भी किया जाता है. मां सिद्धिदात्री से भोलेनाथ ने आठ सिद्धियां प्राप्त कीं. मां सिद्धिदात्री की चार भुजाएं हैं, जिसमें वे कमल, चक्र, गदा और शंख धारण करती हैं. लाल वस्त्र पहने मां सिद्धिदात्री कमल पर विराजमन रहती हैं. आइए जानते हैं मां सिद्धिदात्री की पूजा विधि, मुहूर्त, मंत्र, आरती आदि के बारे में.

महानवमी पूजा मुहूर्त 2022
पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि का प्रारंभ 10 अप्रैल को 01:23 ए एम पर हो रहा है, जो 11 अप्रैल को प्रात: 03 बजकर 15 मिनट तक है. ऐसे में महानवमी व्रत आज 10 अप्रैल को है.

आज सुबह 04 बजकर 31 मिनट से सुबह 06 बजकर 01 मिनट तक रवि योग है और सुकर्मा योग दोपहर 12:04 बजे तक है. इसे अलावा रवि पुष्य योग, सर्वार्थ सिद्धि योग एवं रवि योग पूरे दिन है. ऐसे में आप प्रात: काल से लेकर दिन में कभी भी मां सिद्धिदात्री की पूजा कर सकती हैं.

देवी सिद्धिदात्री की पूजा विधि
अन्य नवदुर्गा की तरह मां सिद्धिदात्री की भी पूजा करते हैं. उनको अक्षत्, फल, फूल, धूप, दीप, गंध, कुमकुम, नैवेद्य आदि अर्पित करें और नीचे दिए गए मंत्रों का उच्चारण करें. देवी सिद्धिदात्री को कमल का फूल चढ़ाना चाहिए और तिल का भोग लगाना चाहिए. इससे मां सिद्धिदात्री प्रसन्न होती हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करती हैं. पूजा के अंत में देवी मां की आरती करनी चाहिए.

देवी सिद्धिदात्री पूजा मंत्र
ओम देवी सिद्धिदात्र्यै नमः।

देवी सिद्धिदात्री प्रार्थना मंत्र
सिद्ध गन्धर्व यक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।
सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।

देवी सिद्धिदात्री की आरती
जय सिद्धिदात्री मां, तू सिद्धि की दाता।
तू भक्तों की रक्षक, तू दासों की माता।

तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि।
तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि।

कठिन काम सिद्ध करती हो तुम।
जभी हाथ सेवक के सिर धरती हो तुम।

तेरी पूजा में तो ना कोई विधि है।
तू जगदम्बे दाती तू सर्व सिद्धि है।

रविवार को तेरा सुमिरन करे जो।
तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो।

तू सब काज उसके करती है पूरे।
कभी काम उसके रहे ना अधूरे।

तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया।
रखे जिसके सिर पर मैया अपनी छाया।

सर्व सिद्धि दाती वह है भाग्यशाली।
जो है तेरे दर का ही अम्बे सवाली।

हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा।
महा नंदा मंदिर में है वास तेरा।

मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता।
भक्ति है सवाली तू जिसकी दाता।

(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. Kasturi News इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)

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संपादक - कस्तूरी न्यूज़

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