उत्तराखण्ड
UP में रोजगार की राहत के बरक्स उत्तराखंड में बेरोजगारों के लिए नयी मुसीबत, कर्मचारियों के लिए भी आफत
देहरादून. उत्तराखंड में तीन सालों से अधिक समय से सरकारी विभागों (Government Depratments) में जो पद खाली पड़े हैं, जल्द ही राज्य सरकार उन पदों को खत्म करने जा रही है. हालांकि आवश्यक सेवाओं से जुड़े विभागों और भर्ती में देरी के कारण जो पद खाली पड़े हैं, उनके लिए राहत दी जा सकेगी. हाल में विधानसभा के सत्र (Vidhan Sabha Satra) के दौरान पंचम राज्य वित्त आयोग की सिफ़ारिशों की इस आशय की रिपोर्ट पटल पर रखी गई, जिसमें 43 सूत्रीय सुझाव (Finance Commission Recommendations) दिए गए. बताया जा रहा है कि इस रिपोर्ट को पुष्कर सिंह धामी सरकार (Dhami Govt) ने गंभीरता से लेते हुए अमल में लाने का मन बना लिया है.
पंचम राज्य वित्त आयोग द्वारा 2021 से 2026 के लिए सौंपी गई सिफारिशों की रिपोर्ट से खुलासा हुआ कि खाली पड़े पदों के भरने के बजाय उन्हें खत्म करने की तरफ सरकार का मन बन रहा है. एक मज़बूत और सुचारू शासन व्यवस्था का हवाला देते हुए इस रिपोर्ट में 43 बिंदुओं पर सिफारिश की गई, जिनमें से अधिकांश को सरकार ने हू-ब-हू स्वीकार कर लिया है. पूर्व मुख्य सचिव इंदु कुमार पांडेय की अध्यक्षता में गठित आयोग ने अपनी रिपोर्ट में सरकार के खर्चे कम करने के लिए एक समान कार्य वाले विभागों का विलय करने का भी सुझाव दिया है.
वॉलेंटरी रिटायरमेंट के लिए निर्देश जारी
रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसे कर्मचारियों को जिन्हें कहीं समायोजित नहीं किया जा सकता, उन्हें स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति दे देनी चाहिए. लेकिन, इसके लिए एक योजना तैयार करने की सिफारिश भी की गई. राज्य सरकार ने इस पर सहमति जताते हुए कार्मिक विभाग को निर्देश दे दिए. इस कवायद के बाद से कर्मचारी वर्ग में हलचल बढ़ गई है और कर्मचारी सरकार के इस फैसले को लेकर अपने स्तर पर भी मांगपत्र के लिए विचार कर रहे हैं.
और ये बड़ी सिफारिशें भी
आयोग ने ऐसे सेक्टर में जहां उपयोगिता समाप्त हो चुकी है, सब्सिडी को भी चरणबद्व तरीके से समाप्त करने को कहा है. इसके अलावा 90 फीसदी सरकारी हिस्सेदारी वाली सरकारी चीनी मिलों के निजीकरण की भी सिफारिश की गई है. कहा गया है कि इन्हें पीपीपी मोड पर भी संचालित किया जा सकता है.

