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गुलदार के बाद सापों ने ली उत्तराखंड में सबसे ज्यादा जानें, पारा चढ़ने के साथ वन विभाग का अलर्ट

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उत्तराखंड में गुलदार ही नहीं सांप भी लोगों की जान के सबसे बड़े दुश्मन हैं। पिछले साल गुलदार के हमले के बाद सांप के काटने से सबसे ज्यादा लोग मारे गए हैं। इस सीजन में अब तापमान बढ़ने के साथ वन विभाग ने अलर्ट व एडवायजरी जारी की है। साथ ही सांप पकड़ने के लिए टीमें भी तैनात की जा रही हैं।

राज्य में रह साल मानव वन्यजीव संघर्ष में सैंकड़ों लोग अपनी जान गंवाते हैं। जिसमें एक बड़ी संख्या सांप के काटने से मौत की है। पिछले साल सांप के काटने से 21 लोगों ने जान गंवाई। जबकि गुलदार के हमले में 22 लोग मारे गए। सांप के काटने से 63 लोग घायल भी हुए। जिनमें 10 पूरी तरह अपंग तक हो गए।

जबकि 2020 में सांप के काटने के मामले कम थे। सांप के काटने के ज्यादातर मामले अप्रैल से सितंबर तक के हैं। इस सीजन में भी तापमान बढ़ने के साथ वन विभाग ने अलर्ट जारी किया है। साथ ही लोगों को इससे बचने के लिए एडवायजरी भी जारी की गई है, ताकि सांप के काटने से होने वाली मौतें बच सकें।

मरने पर चार लाख मुआवजा,अपंग को दो लाख
सांप के काटने से मरने वाले के आश्रितों को वन विभाग पांच लाख का मुआवजा देता है। जबकि इससे पूरी तरह अपंग होने वाले को दो लाख तक का मुआवजा मिलता है। इसके लिए लोगों को आवेदन करना पड़ता है। वहीं सांप के काटने से पशुओं की मौत पर भी 15 से 30 हजार तक मुआवजे का प्रावधान है।

साठ से ज्यादा जहरीली प्रजातियां
उत्तराखंड में किंग कोबरा, कोबरा, रसेल वाइपर, वाइट लिप्ड पिट वाइपर, ब्लैक बेलीड कोरल स्नेक सहित 40 से ज्यादा जहरीली प्रजातियों के सांप हैं। जो कि तराई से लेकर पहाड़ तक पाए जाते हैं। हर साल इनके काटने से लोगों और पशुओं की मौत होती है। जबकि बड़ी संख्या में सांप भी मारे जाते हैं।

हर साल पांच से सात सौ सांप होते हैं रेस्क्यू
राज्य में हर साल पांच से सात सौ सांप रेस्क्यू किए जाते हैं। ये लोगों के घरों में, खेतों, गाड़ियों या बिल्डिंगों में आते हैं, जिन्हें वन विभाग पड़कर दोबारा जंगलों में छोड़ देता है।

हर साल सांप के काटने की कई घटनाएं सामने आती हैं। ये भी मानव वन्यजीव संघर्ष का ही रूप है। इसमें मुआवजे का भी प्रावधान है। सीजन शुरू हो चुका है। लोगों से अपील है कि सांपों से बचकर रहें और उन्हें भी ना मारें। सांप दिखने पर सूचना वन विभाग को दें। रेस्क्यू टीमें तैयार की जा रही हैं।
डॉ.  पराग मधुकर धकाते, चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन

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संपादक - कस्तूरी न्यूज़

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