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सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उद्धव ठाकरे ने क्यों दिया इस्तीफा, समझिए पूरा गणित

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मुंबई. उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने अपने पद से इस्तीफा देने का ऐलान कर दिया है. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने शिवसेना को झटका देते हुए बुधवार को महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के उस निर्देश को कायम रखा, जिसमें उद्धव ठाकरे नीत महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार को बृहस्पतिवार को विधानसभा में शक्ति परीक्षण के लिए कहा गया है.

मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के पीछे बड़ी वजह यह है कि महा विकास आघाडी (एमवीए) की कानूनी टीम ने उद्धव ठाकरे को बताया था कि अगर 16 विधायक अयोग्य हो जाएंगे, तो 55 विधायकों वाली शिवसेना में दो-तिहाई का आंकड़ा 26 आ जायेगा, जबकि 39 विधायकों वाले शिंदे गुट की गिनती 23 ही रह जायेगी. इसीलिए विधानसभा के डिप्टी स्पीकर ने इन विधायकों को नोटिस जारी किया था.

उद्धव ने भरोसा दिया था कि अगर 16 अयोग्य ठहरे, तो विधायकी पर खतरा देख 23 में से कुछ विधायक उनके पाले में आ जाएंगे क्योंकि कुछ विधायक उनके सम्पर्क में हैं. इसीलिए उद्धव अभी तक आस लगाए पद पर बने हुए थे. लेकिन क्योंकि विधायकों की अयोग्यता पर सुनवाई का मामला आगे बढ़ चुका है और सुप्रीम कोर्ट ने फ्लोर टेस्ट पर रोक लगाने की शिवसेना की याचिका भी खारिज कर दी है, तो ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक उद्धव सरकार की हार तय है. यही वजह है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला खिलाफ़ आने पर उद्धव ठाकरे ने इस्तीफे की घोषणा कर दी.

सुप्रीम कोर्ट में एकनाथ शिंदे ने क्या दलील दी
शिवसेना के बागी विधायक एकनाथ शिंदे ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि उद्धव ठाकरे नीत खेमा पार्टी के अंदर ही अल्पमत में है और विधानसभा में शक्ति परीक्षण विधायकों की खरीद-फरोख्त रोकने का सर्वश्रेष्ठ उपाय है. शिंदे के वकील ने न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जे बी परदीवाला की अवकाशकालीन पीठ से कहा कि शक्ति परीक्षण में किसी तरह का विलंब होने से लोकतांत्रिक राजनीति को और नुकसान होगा. शिंदे की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता एन.के. कौल ने दलील दी कि स्पीकर के समक्ष (बागी विधायकों की) अयोग्यता कार्यवाही का लंबित रहना शक्ति परीक्षण में विलंब करने का कोई आधार नहीं है.

शिंदे के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में कहा, हमारे पास शिवसेना के 55 में से 39 विधायक
कौल ने पीठ से कहा, “लोकतंत्र की प्रक्रिया सदन के पटल पर होती है और यही चीज किये जाने की मांग की जा रही है.” कौल ने दलील दी, “सदन की रहने दीजिए, वे(उद्धव ठाकरे नीत शिवसेना) पार्टी के अंदर ही अल्पमत में हैं.” उन्होंने कहा कि उभरती स्थिति शक्ति परीक्षण की आवश्यकता बताती है और राज्यपाल ने अपने विवेकाधिकार से यह कराने का फैसला किया है. शिंदे के वकील ने न्यायालय से कहा, “आज हम शिवसेना नहीं छोड़ रहे हैं. हम शिवसेना हैं. हमारे पास शिवसेना के 55 में से 39 विधायक हैं.”

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संपादक - कस्तूरी न्यूज़

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