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 पिता की DGP को चिट्ठी, मेरा बेटा स्कूटी की जिद्द करता है…आप भी पढ़ें

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नमस्कार उत्तराखंड पुलिस मित्र। मुझे आपसे एक सवाल भी है और शिकायत भी। मेरा बेटा अभी क्लास 11 में पढ़ता है और उसकी उम्र अभी 18 नहीं है। उसके कई साथी स्कूल में स्कूटी या बाइक से जाते हैं, जिस वजह से वह भी मुझसे बार-बार मेरी स्कूटी स्कूल ले जाने की जिद्द करता है। जिसकी वजह से हमारी घर में कहा-सुनी हो जाती है और यह महीने में 2 से 3 बार हो जाती है, जिससे घर का माहौल अशांत रहता है।

उसका कहना है यदि उसके दोस्तों के माता-पिता उनको लाने देते हैं तो मैं उसे स्कूटी क्यों नहीं ले जा सकता। काफी समझने के बाद भी वह नहीं मानता। उसका कहना/समझना है कि पुलिस कभी स्कूल के बच्चों को नहीं पकड़ती।

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मैं एक रिटायर्ड फौजी हूं। शायद मैं भी एक दिन अपने बच्चे को बिना लाइसेंस के स्कूटी दे दूं ताकि घर में शांति बनी रहे। यह बात सही है कि आजतक मैंने भी कभी अखबार या मीडिया स्कूल के बच्चों की चेकिंग की खबर नहीं देखी।

इसलिए आपसे निवेदन है कि आप स्कूल के बच्चों और स्कूल को भी चेतवानी देने के लिए एक अभियान चलाएं। आप बच्चों को चेक नहीं करते इसलिए उनके हौसले बुलंद हो रहे हैं।

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DGP ने लिया संज्ञान

DGP अशोक कुमार ने निदेशक यातायात को निर्देशित किया है कि सभी स्कूलों के बाहर चेकिंग और जागरूकता अभियान चलाया जाये और स्कूल प्रबंधन को भी विद्यार्थियों को बिना लाइसेंस के वाहन चलाने के लिए हतोत्साहित करने हेतु अनुरोध किया जाए। उन्होंने कहा कि नाबालिग बच्चे को वाहन सौंपना उनकी और किसी दूसरे की जिंदगी जोखिम में डालने जैसा है। परिजनों को इस पर ध्यान देना चाहिए। जब तक लाइसेंस न बन जाए तब तक उन्हें वाहन न सौंपे।

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