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ये खबर पढ़कर आपको ताज्जुब होगा,क्या आप जानते हैं एक और नोटबंदी कर चुकी है मोदी सरकार

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अर्थक्रांति के जनक और देश के बड़े अर्थशास्त्री अनिल बोकिल का कहना है कि 500 और 1000 रुपये के नोटों को जब बंद किया गया तो उस वक्त यह कुल करेंसी के 86 फीसदी तक थे। इनकी प्रतिशतता देश की कुल करेंसी में लगातार बढ़ रही थी। 2016 में नोटबंदी नहीं होती तो अगले दो-चार वर्षों में 500 और 1000 रुपये के बड़े नोट 90 से 95 फीसदी हो जाते। तब देश की अर्थव्यवस्था फ्रीज हो जाती। क्योंकि करेंसी को फुटकर कराने के लिए छोटे नोट नहीं होते। इन नोटों को बंद करके 2000 रुपये का नोट सरकार ने चलवाया। इसपर तमाम सवाल भी उठे कि इससे भ्रष्टाचार बढ़ेगा। 500 और 1000 रुपये के नोटों के विकल्प के तौर पर इसे लाया गया था। अन्यथा अर्थव्यवस्था रन नहीं कर सकती थी। बाद में इसे विद ड्रॉ करने का प्लान बनाया गया था।

अनिल बोकिल का दावा है कि 2000 रुपये की नोटों को मोदी सरकार ने ढाई वर्ष पहले ही विद ड्रॉ कर लिया। इसे एक तरह से नोटबंदी ही मान सकते हैं। क्योंकि सरकार ने जब इसे शुरू किया था तो उस वक्त डिजिटल पेमेंट चलन में नहीं था। जैसे-जैसे डिजिटल पेमेंट बढ़ता गया…वैसे इसे विद ड्रॉ कर लिया गया। अब सरकार ने 2000 रुपये के नोट को छापना बंद कर दिया है। यदि आपके पास कोई 2000 रुपये की पुरानी नोट हो और आप उसे बदलकर नई लेना चाहते हैं तो यह अब नहीं मिलेगी। क्योंकि नई नोट छापना सरकार बंद कर चुकी है। वह कहते हैं कि 2000 रुपये के काफी नोट बैंक को वापस आ चुके हैं। यह बड़ी नोट जो बची रह गई है, वह अब सिर्फ करप्शन और हवाला में बंद पड़ी है। जो लोग नंबर दो का बिजिनेस करते हैं, उनके पास यह करेंसी अभी भी है। मगर आज नहीं तो वह कल आएगी। उसके बाद करप्शन कर पाना मुश्किल होगा। दो हजार की नोट अब रिटेल सर्कुलेशन में नहीं है। अब 500 की नोट ही सबसे बड़ी है। इसके बावजूद मार्केट बहुत आसानी से चल रहा है, क्योंकि दो हजार रुपये की नोट की डिमांड ही नहीं है।

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संपादक - कस्तूरी न्यूज़

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