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मेरा वारिस कौन: दो शादियां, दो लिव इन रिलेशन… मगर पूरी नहीं हो पाई सनकी पिता की बेटा पाने की चाहत तो अब बीवियां परेशान

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मैं तुम्हें धन दौलत गाड़ी बंगला सब दूंगा… तुम मुझे एक बेटा दो। यह एक सनकी पिता की अजब सी सनक है। इसी सनक के चलते इस व्यक्ति ने पहले तो दो शादियां की और उनसे बेटा नहीं हुआ। फिर एक लिव इन रिलेशन रखा और उससे भी बेटे की चाहत पूरी नहीं हो पाई। इसके बाद उसने एक और लिव इन रिलेशन बनाया मगर यहां भीउसे बेटी ही मिली। अब मामला महिला आयोग में है।

उत्तराखंड के एक शख्स ने विदेश में होटल खोलकर दौलत तो बेशुमार कमाई, लेकिन उसे वारिस के तौर पर बेटा पैदा करने की ऐसी सनक सवार हुई कि दो शादियां और दो लिव इन रिलेशन बनाने के बाद भी बेटा किसी से नहीं हुआ। एक लिव इन पार्टनर ने जब उसकी चौथी बेटी को जन्म दिया तो उस शख्स ने उससे भी दूरी बना ली।आरोप है कि अब वीडियो कॉल करके कभी छत से कूदने की धमकी देता है तो कभी हाथ की नस काटकर आत्महत्या करने के लिए डराता है। इन हालात में लिव इन पार्टनर ने राज्य महिला आयोग में गुहार लगाई है। उनका कहना है कि उन्हें उसके सिरफिरे पार्टनर की प्रताड़ना से छुटकारा दिलाया जाए। उन्हें गुजारा भत्ता और संपत्ति में अधिकार दिलाया जाए।

वीडियो कॉलिंग से शख्स की काउंसलिंग

अब वह उसकी पहली तलाकशुदा पत्नी और उनकी दो बेटियों के साथ रहती है। उन्हें देहरादून के अच्छे इलाके में बंगला-गाड़ी दी हुई है, लेकिन समय बीतने के साथ उन्हें बुरी तरह मानसिक प्रताड़ना दे रहा है। शिकायतकर्ता का कहना है कि पहली पत्नी को तलाक देने के बाद उसके पार्टनर ने दूसरी शादी की थी, जो उसके साथ विदेश में है, लेकिन उससे भी बेटी है।बेटे की चाहत में वह तीसरी महिला के साथ लिव इन रिलेशन में रह रहा था, जिसका कोई अता-पता नहीं है। फिर उन्हें चौथी पार्टनर बनाया, लेकिन उनसे भी बेटी होने पर दूरी बना ली।

महिला आयोग ने इस शिकायत पर सुनवाई के चलते व्हाट्सएप पर वीडियो कॉलिंग से उस शख्स की काउंसलिंग की।विज्ञापनसुनवाई के लिए अगली तारीख लगाई गई उसे समझाया कि उसे अपनी पार्टनर और बच्ची के कानूनी अधिकार उनको देने होंगे। सुनवाई के दौरान आयोग की सदस्य सचिव उर्वशी चौहान, विधि अधिकारी दयाराम भी मौजूद थे। सुनवाई के लिए अगली तारीख लगाई गई है।

आयोग मामले को देख रहा है। यूसीसी लागू होने पर लिव इन रिलेशन में रहने वालों के लिए अपना रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य हो जाएगा। इसके बाद यदि लिव इन में रहने वाली महिला प्रताड़ित होती हैं तो उनके लिए कानून के सहारे अपना अधिकार प्राप्त करना आसान होगा। -कुसुम कंडवाल, अध्यक्ष, राज्य महिला आयोग

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संपादक - कस्तूरी न्यूज़

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