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अमेरिकी के राष्ट्रपति जो बाइडेन जी-20 में शामिल होने के बाद आज राजघाट पर पीएम मोदी के साथ महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी। इसके बाद वह वियतनाम की यात्रा पर रवाना हो गए। जाने से पहले जी-20 के मंच से शनिवार को भारत से यूरोप तक इकोनॉमिक कोरिडोर बनाने का ऐलान करके बाइडेन ने चीन को बड़ा सदमा दे दिया।

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राजघाट होने के बाद वियतनाम रवाना हुए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, G20 के मंच से दे गए चीन को बड़ा सदमा

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भारत में जी-20 के सफल आयोजन के बाद अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने आज रविवार को राजघाट पर महात्मा गांधी के स्मारक पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके बाद वह वियतनाम की यात्रा के लिए रवाना हो गए। अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में भारत की अपनी पहली यात्रा के तहत बाइडेन दो दिवसीय जी20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए शुक्रवार को राष्ट्रीय राजधानी पहुंचे थे और उन्होंने उसी दिन उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ द्विपक्षीय वार्ता की थी। अपनी 50 मिनट से अधिक की बातचीत में मोदी और बाइडन ने द्विपक्षीय प्रमुख रक्षा साझेदारी को ‘‘और गहरा एवं विविध’’ बनाने का संकल्प लिया।

बाइडेन ने भारत द्वारा 31 ड्रोन की खरीद और जेट इंजन को मिलकर विकसित करने की दिशा में आगे बढ़ने का स्वागत किया। बाइडेन ने शनिवार को जी20 शिखर सम्मेलन के प्रमुख सत्रों में भी भाग लिया। इसके बाद वह वियतनाम के लिए रवाना हो गए। इससे पहले शनिवार को जो बाइडेन ने जी-20 के मंच से “इंडिया मिडिल ईस्ट यूरोप इकोनॉमिक कोरिडोर” का ऐलान करके चीन के वन रोड वन बेल्ट परियोजना (बीआरआइ) की हवा निकाल दी। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि इंडिया मिडिल ईस्ट यूरोप इकोनॉमिक कोरिडोर को दुनिया के 8 देश मिलकर बनाएंगे। यह भारत से इजरायल और यूरोप तक जाएगा। पीएम मोदी और जो बाइडेन के इस दांव से चीन के बाजार में भूचाल आ सकता है।

भारत के व्यापार को लगेंगे पंख

अमेरिकी राष्ट्रपति और पीएम मोदी की इस परियोजना के साकार होने के बाद मध्य एशिया से यूरोप तक भारत को व्यापार करना आसान हो जाएगा। साथ ही भारत-अमेरिका की साझेदारी नए मुकाम तक पहुंचेगी। बता दें कि इस ऐतिहासिक इकोनॉमिक कोरिडोर में भारत के अलावा अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, इटली, सऊदी अरब, यूएई और यूरोपीय यूनियन शामिल होंगे। यह कोरिडोर भारत से जोर्डन और इजरायल तक जाएगा। उल्लेखनीय है कि चीन ने इससे पहले बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआइ) की शुरुआत की थी। जिसका मकसद मिडिल ईस्ट के बाजार पर दबदबा कायम करना था। हालांकि चीन की यह परियोजना पूरी तरह परवान नहीं चढ़ सकी। इस बीच भारत से यूरोप तक जाने वाले इन नए कोरिडोर के ऐलान से चीन को बड़ा सदमा लगा है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने इस इकोनॉमिक कोरिडोर का ऐलान करते हुए कहा कि आने वाली पीढ़ियां इसे याद रखेंगी।

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संपादक - कस्तूरी न्यूज़

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