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इन युवाओँ ने शरू किया स्टार्टअप बिजनेस “अंतिम संस्कार प्री प्लानिंग”अब तक कर चुके 20 करोड़ की बुकिंग

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यहां किसी की मौत हुई है और ना ही किसी के रोने की आवाज सुनाई दे रही है, लेकिन सागर पवार और शंकर मसके अपने चेहरे पर गंभीर भाव लिए नारियल की रस्सी से बांस की अर्थी तैयार कर रहे हैं।

इनके पीछे खड़े संजय रामगुडे़ अंतिम संस्कार से जुड़ी सभी विधियों को लेकर एक किताब उलट-पलट कर रहे हैं। दरअसल, संजय ही ‘सुखांत फ्यूरनर’ के फाउंडर एंड डायरेक्टर हैं जिसकी चर्चा पिछले कुछ दिनों से है। अंतिम संस्कार से जुड़ी सभी व्यवस्थाएं देने वाला ये स्टार्टअप ‘सुखांत’ सोशल मीडिया पर वायरल है।

अर्थी पर बिखरे फूल-पत्ती, 10 हजार से लेकर 40,000 रुपए तक में अंतिम संस्कार की सारी विधियां, कफन से लेकर अर्थी को कंधा देने के लिए चार लोग, बाल मुंडवाने के लिए नाई, अलग-अलग धर्मों के लिए पंडित, मौलवी, पादरी… और यहां तक कि अस्थि विसर्जन। यानी किसी के जीवन की अंतिम यात्रा का पूरा साजो-सामान।

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इसी मॉडल को समझने और बदलते दौर के साथ इसकी जरूरत क्यों पड़ी, जानने के लिए हम पहुंचे मुंबई। जगह- वकोला पुलिस स्टेशन के ठीक पीछे ‘सुखांत फ्यूरनर’ का ऑफिस।

बाहर कैंपस में एंबुलेंस खड़ी है। प्रकाश यादव, सागर पवार, शंकर मसके और राम वैताल अंतिम संस्कार के सामान इकट्ठा कर रहे हैं। मैनेजर मैथ्यू अंतिम संस्कार के लिए आने वाले कॉल्स और टीम को मॉनिटर कर रहे हैं। पूछने पर पता चलता है कि आज सुबह ही 4 लोगों की टीम एंबुलेंस में अंतिम संस्कार के सामान लेकर नासिक गई है।

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सुखांत के फाउंडर संजय के साथ बातचीत शुरू होती है। आखिर अर्थी को कंधा देने, अंतिम संस्कार की पूरी विधि करने के लिए एक कंपनी की जरूरत क्यों पड़ी?

संजय रामगुड़े का दावा है कि भारत में अंतिम संस्कार की प्री प्लानिंग करने वाली उनकी ये पहली कंपनी है। वो कहते हैं, ‘सबसे पहले मैं एक चीज क्लियर करना चाहता हूं। हमारे जिस स्टॉल को दिल्ली में लगने वाले ‘इंटरनेशनल ट्रेड फेयर’ का बताया जा रहा है, वो मुंबई के ठाणे में 12-13 नवंबर को हुए एक बिजनेस अवॉर्ड शो का है।

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