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अल्मोड़ा

सिविल एरिया के पालिका में विलय की संभावना ख़त्म, रानीखेत संघर्ष समिति ने जताया आक्रोश

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रानीखेत (सतीश जोशी): भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय द्वारा छावनी परिषदों के वैरी बोर्ड का एक वर्ष पुनः कार्यकाल बढ़ाए जाने से रानीखेत सिविल एरिया के नगरपालिका में विलय की संभावनायें लगभग ख़त्म हो गई हैं। लंबे समय से नगर के सिविल एरिया को पालिका में विलय किए जाने के इंतज़ार में बैठे नागरिकों को फिलहाल अभी और प्रतीक्षा करनी पड़ सकती है। ग़ौरतलब है कि रानीखेत विकास संघर्ष समिति के पदाधिकारी जनहित के इस महत्वपूर्ण मुद्दे को लेकर पिछले 325 दिन से धरने पर बैठे हैं।

रक्षा मंत्रालय के इस फ़रमान के बाद समिति के लोगों में ज़बर्दश्त आक्रोश है। लोग इस मुद्दे की अनदेखी का ठीकरा स्थानीय जनप्रतिंधियों के राजनीतिक मनमुटाव को भी मान रहे हैं। ज्ञात हो कि पिछले वर्ष 22 फरवरी 2023 को छावनी परिषद चुनाव की अधिसूचना जारी हुई थी जिसके तहत 30 अप्रैल 2023 को चुनाव होना था। इसके लिए कैंटोनमेंट प्रशासन ने मतदाता सूची, नामांकन सहित सभी तैयारियां भी पूर्ण कर ली थी। लेकिन एक माह की इस कवायद के बाद रक्षा मंत्रालय ने अचानक चुनाव प्रक्रिया रद्द कर दी। इस निर्णय के तुरंत बाद रक्षा मंत्रालय ने कैंटोनमेंट बोर्डो के सिविल एरिया को राज्य के नगर निकायों को सौंप कर सैन्य स्टेशनों को अलग रखने की मंशा को स्पष्ट किया था। एक बार पुनः रक्षा मंत्रालय के इस निर्णय के बाद रानीखेत के नागरिकों की उम्मीद पर झटका लगा है और फिर से नगरपालिका में शामिल होने की संभावनाएँ लगभग ख़त्म हो गई हैं। रानीखेत नगर पालिका की मांग को लेकर लम्बे वक्त से संघर्ष चलता रहा है।

इसी क्रम में पिछले वर्ष कैंटोनमेंट बोर्ड चुनाव के बहिष्कार को लेकर नागरिक एकजुट हुए एवं बाद में चुनाव स्थगित होने के तुरंत बाद से ही यह संघर्ष नगर पालिका में विलय के धरने में तब्दील हो गया। तबसे 325वें दिन से रानीखेत संघर्ष समिति के नागरिकों का सांकेतिक धरना नगर पालिका में विलय की उम्मीद की बुनियाद पर कायम है। इस बीच वेरी बोर्ड का कार्यकाल छह माह की जगह एक साल तक बढ़ाए जाने से जल्दी नगर पालिका परिषद में विलय की संभावना को धक्का लगा है। उम्मीद की जा रही है रानीखेत के नागरिकों का नगर पालिका में विलय का सपना अब अठारहवीं लोक सभा के गठन के बाद ही पूरा होने की संभावना है।

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संपादक - कस्तूरी न्यूज़

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