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सात गांव के लोगों की पांच दिन की भागीदारी का शतचंडी यज्ञ, हर तीसरे वर्ष सतराली श्री गणनाथ मंदिर में आयोजित होता है महायज्ञ

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ताकुला (अल्मोड़ा): भक्ति और सामूहिक भागीदारी का एक अद्भुत मिलन, जब सात गांव के लोग एक साथ पांच दिनों तक मां शक्ति का आह्वान कर उनकी स्तुति करते हैं। चार दिनों तक लगातार पूचा अर्चना और पांचवें दिन पारायण का गवाह एक जलकुंड (पोखर) जिसमें दस ब्राह्मणों का घुटनों तक पानी में उतरकर तर्पण, ऊपर दस ब्राह्मणों का तेरह अध्यायों का लगातार पाठ और इसे देखने यहां पहुंची हजारों भक्तों की भीड़।

हर तीसरे वर्ष आयोजित होने वाले इस महायज्ञ का इस बार का इंतजार 5 अगस्त को महायज्ञ शुरू होने के साथ खत्म हो गया और शुरू हुआ सात गांव के लोगों का भव्य शतचंडी महायज्ञ।

अल्मोड़ा से ३५ किमी आगे ताकुला के पास सुरम्य जंगलों के बीच स्थित है श्री गणनाथ मंदिर जिसे सात गांव सतराली के लोग अपना आराध्य मानते हैं। पूर्व में यह मंदिर सड़क मार्ग से दूर था मगर अब यहां तक वाहन से पहुंचने की व्यवस्था है। यहीं पर हर तीसरे वर्ष सात गांव सतराली के लोग कई सदियों से शतचंडी महायज्ञ का आयोजन करते हैं। स्थानीय परंपरा के मुताबिक महायज्ञ के लिए सातों गावों की अलग-अलग जिम्मेदारियां निर्धारित की गई हैं। हर घर से अंशदान (भिवै) लिया जाता है जो हर गांव की जनसंख्या एवं परिवार के हिसाब से अलग होता है। महत्वपूर्ण बात यह है कि गांव से बाहर गए नौकरीपेशा लोग भी भिवै भेजते हैं। इसके बाद सात गांवों को अलग-अलग जिम्मेदारी दी जाती है।

ग्राम ताकुला यज्ञ से संबंधित लगभग सौ वस्तुओं की पूजा सामग्री, लोहना-खाड़ी के लोग ४० किग्रा तिल, कांडे, कोतवालगांव, थापला, पनेरगांव के लोग चार-चार किग्रा शुद्ध घी का प्रबंध करते हैं। ग्राम लोहना के लोग पांच दिन तक कोठारी का काम करते हैं जिसमें उनकी जिम्मेदारी पांच दिन तक यज्ञ के लिए आवश्यक वस्तुएं भंडार से देने की होती है। चार दिनों तक १५ ब्राह्मणों की अनिवार्य उपस्थिति होती है जिसमें दस ब्राह्मण चार दिन तक चंडी पाठ, एक ब्राह्मण श्री गणनाथ के ऊपर स्थित श्री मल्लिका देवी में पूजा, एक श्री सिद्धि विनायक में पूजा और पारायण के दिन एक यज्ञाचार्य और एक शांतिपाठ के लिए होते हैं।

श्री यंत्र स्थापना, ६४ कमलदलों पर

देवी स्थापना विशेषयज्ञ के लिए श्री यंत्र की स्थापना बहुत कठिन एवं श्रमसाध्य है। वेदी निर्माण के बाद उसमें देवी की मूर्ति स्थापना होती है। फिर वैदिक रीति से स्वस्तिवाचन, गणेश पूजा, मातृपूजन आदि होता है। फिर वैदिक और तांत्रिक विधि से ६४ कमलदलों पर देवी स्थापना होती है जिसका विशेष महत्व है। यज्ञ में पहले दिन दस पाठ, दूसरे दिन पंचांगी पूजन, देवीपूजन के बाद दस ब्राह्मणों का २० पाठ, तीसरे दिन ३०, चौथे दिन ४० पाठ मिलाकर कुल १०० पाठ संपन्न होते हैं। पांचवें दिन यज्ञ का पारायण होता है।

5 से 9 अगस्त तक हुआ आयोजन

ताकुला (अल्मोड़ा): इस बार भी यह महायज्ञ 5 अगस्त से पूरे विधि विधान के साथ शुरू होकर 9 अगस्त को संपन्न हुआ। महायज्ञ में शामिल होने के लिए न केवल सतराली बल्कि देशभर के तमाम स्थानों में सतराली वासी श्री गणनाथ मंदिर पहुंचे।

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संपादक - कस्तूरी न्यूज़

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