उत्तराखण्ड

संस्कृति विभाग के काम-काज और फैसलों पर CAG ने उठाए सवाल

खबर शेयर करें -

देहरादून: संस्कृति विभाग के बाजपुर में 300 सीट क्षमता वाले सभागार का अधूरा निर्माण, निधि जारी करने को सरकार की असमर्थता के अलावा वित्तीय प्रबंधन, पूंजीगत परियोजनाओं का खराब अनुश्रवण व शासन स्तर पर खराब जवाबदेही प्रणाली पर कैग ने सवाल उठाए हैं। विभाग का जवाब बजट नियमावली व बजट परिपत्र के प्रविधानों के विरुद्ध होने और अल्प सार्वजनिक संसाधन के खराब प्रदर्शन को दर्शाना बताया।

कैग के अनुसार, वर्ष 2021 में संस्कृति विभाग की निदेशक के दस्तावेजों की जांच में पाया गया कि संस्कृति, पर्यटन एवं खेल विभाग ने बाजपुर में सभागार निर्माण के लिए 4.96 करोड़ की प्रशासनिक व वित्तीय स्वीकृति वर्ष 2015 में की। इसके तहत संस्कृति विभाग को प्रथम किस्त के रूप में 57.61 लाख अवमुक्त की गई।

यह भी पढ़ें 👉  आखिर क्यों गरज पड़े मुख्यमंत्री धामी, क्‍यों कहा- अब ऐसे लोग बचने वाले नहीं हैं

विभाग ने कार्यान्वयन एजेंसी आइए को अप्रैल 2015 में प्रथम किस्त जारी की। नवंबर 2015 तक आइए ने 89.13 लाख की लागत से 12 प्रतिशत कार्य पूरा किया। इसके बाद तकरीबन चार साल यानी अगस्त 2019 तक कोई कार्य नहीं हुआ। लेखापरीक्षा में जांच में यह भी पाया गया कि वर्ष 2016-20 के दौरान परियोजना के लिए आइए को धनराशि जारी नहीं की। जबकि इस अवधि के दौरान सभागार के निर्माण में 8.30 करोड़ आवंटित किया जा चुका था।

संस्कृति निदेशालय ने सभागार के निर्माण पूरा करने के लिए शासन को अक्टूबर 2015, मार्च 2019 व जुलाई 2019 में धनराशि जारी करने का अनुरोध किया। पाया गया कि आइए को निधि जारी करने में सरकार की असमर्थता गंभीर अनियमित थी। क्योंकि वित्त विभाग के मौजूदा निर्देशों के तहत बजट आवंटन का 80 प्रतिशत चालू व अपूर्ण पूंजीगत परियोजनाओं के लिए उपयोग में किया जाना था।

यह भी पढ़ें 👉  उत्तराखण्ड-रेवती के अदम्य साहस के आगे हांफ गया खूंखार गुलदार, ऐसे मार भगाया

जुलाई 2020 में विभागीय सचिव ने बगैर किसी जांच के सभागार के अधूरे कार्य को बंद करने का निर्णय लिया। साथ ही आइए के 31.52 लाख देय पर निर्णय लिए बिना विभाग को इसे अपने अधिकार में लेने अनुमति दी। परियोजना को बीच में ही समाप्त करना सरकार के कामकाज व मनमानी को दर्शाता है। इस मामले में शासन ने फरवरी 2022 में तथ्यों को स्वीकार किया।

साथ ही सभागार की कम क्षमता को ध्यान में रखते हुए बंद करने का निर्णय बताया। वहीं, इस मामले में संस्कृति विभाग की निदेशक बीना भट्ट ने बताया कि शासन की ओर से सभागार के कार्य को रुकवाने के आदेश दिए गए थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published.

You cannot copy content of this page