उत्तराखण्ड
उत्तराखंड निगम प्रबंधन की एक लापरवाही ने खतरे में डाली 38 जान, सामने आया बड़ा कारण
देहरादून: Mussoorie Bus Accident: उत्तराखंड परिवहन निगम की लापरवाह कार्यशैली का इससे बड़ा उदाहरण क्या होगा कि अपनी बसें होने के बावजूद अनुबंधित बसों को निर्धारित मार्ग से हटाकर दूसरे मार्गों पर भेजा जा रहा है।
रविवार को मसूरी मार्ग पर हुई बस दुर्घटना का सबसे बड़ा कारण निगम प्रबंधन की इसी लापरवाही को माना जा रहा है। जिस बस का अनुबंध दून-सहारनपुर मार्ग के लिए है, उसे मसूरी मार्ग पर भेज दिया गया, जबकि बस के चालक के पास पर्वतीय मार्ग पर नियमित बस संचालन का अनुभव भी नहीं था।
पर्वतीय डिपो (मसूरी डिपो) में परिवहन निगम की अपनी कुल 87 बसें हैं। इनमें सात बसें लंबी दूरी के मैदानी मार्गों की हैं। इन बसों में से एक का व्हीलबेस 218, जबकि छह बसों का व्हीलबेस 205 है। ये बसें पर्वतीय मार्गों पर संचालित नहीं हो सकतीं। इनके अलावा डिपो में 80 बसें पर्वतीय मार्गों की हैं, जिनका व्हीलबेस 166 है।
निगम दूसरे मार्गों की अनुबंधित बसों को मसूरी भेजने को मजबूर
निगम प्रबंधन के अनुसार दूरस्थ पर्वतीय मार्गों पर 169 व्हीलबेस तक की बस को संचालन की अनुमति है, जबकि देहरादून-मसूरी मार्ग पर 195 व्हीलबेस तक की बस संचालित की जा सकती है। पर्वतीय डिपो की रोजाना 30 बसें मसूरी मार्ग पर संचालित होती हैं। इनमें 25 बसें देहरादून-मसूरी, जबकि शेष बसें मसूरी होकर दूसरे पर्वतीय स्थलों तक जाती हैं।
नियमानुसार दून-मसूरी मार्ग पर संचालित 25 बसों को एक दिन में तीन ट्रिप यानी तीन बार आवाजाही करनी चाहिए, लेकिन ये बसें अधिकतम दो ही ट्रिप करती हैं। ऐसे में निगम यात्रियों की सुविधा के लिए दूसरे मार्गों की अनुबंधित बसों को मसूरी भेजने को मजबूर रहता है।
रविवार को जेएनएनयूआरएम की जो बस मसूरी-देहरादून मार्ग पर दुर्घटना का शिकार हुई, वह वर्ष 2019 माडल की है। तीन वर्ष पहले इस बस का अनुबंध परिवहन निगम में देहरादून-सहारनपुर मार्ग के लिए हुआ था और यह नियमित उसी मार्ग पर संचालित हो रही थी।
अनुबंधित बसों में चालक बस आपरेटर का होता है, जबकि परिचालक परिवहन निगम का। इस बस में तैनात चालक रोबिन सिंह को मैदानी मार्ग पर नियमित बस संचालन का अनुभव तो था, लेकिन पर्वतीय मार्ग पर नियमित संचालन का अनुभव उसके पास नहीं था।
इसके बावजूद दून जेएनएनयूआरएम डिपो के कनिष्ठ केंद्र प्रभारी चंद्र किरण ने चालक रोबिन सिंह को सहारनपुर के बजाय मसूरी भेज दिया। दुर्घटना में चालक के नशे में होने की बात भी सामने आ रही है। नियमित कर्मी नहीं करते ज्यादा ट्रिप पर्वतीय डिपो में मसूरी मार्ग पर ज्यादातर चालक-परिचालक नियमित श्रेणी के हैं।
बताया जा रहा है कि इनमें से ज्यादातर चालक-परिचालक एक या अधिकतम दो ही ट्रिप बस संचालन करते हैं। दून-मसूरी की आवाजाही 80 किमी की होती है। चूंकि, नियमित चालक-परिचालकों के लिए किमी की बाध्यता नहीं है, ऐसे में वह एक या दो ट्रिप के बाद ही बस डिपो में खड़ी कर चले जाते हैं। ऐसे में जब यात्रियों की भीड़ होती है तो निगम प्रबंधन अनुबंधित बस आपरेटरों पर दबाव बनाकर उनकी बसें मसूरी भेजता है।
आरटीओ की टीम ने शुरू की जांच
संभागीय परिवहन अधिकारी (प्रशासन) सुनील शर्मा के आदेश पर परिवहन विभाग की टीम ने दुर्घटनास्थल पर पहुंचकर प्रारंभिक तकनीकी जांच की। सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी राजेंद्र विराटिया और संभागीय परिवहन निरीक्षक हरीश बिष्ट ने प्रारंभिक तकनीकी जांच में पाया कि जिस वक्त दुर्घटना हुई, बस तेज गति में थी। बस के अनियंत्रित होने पर चालक ने ब्रेक लगाने का भी प्रयास नहीं किया।
सड़क पर इसके निशान नहीं मिले। जांच में यह भी पता चला कि पैराफिट से बस के टकराते ही चालक खिड़की खोलकर कूद गया। बस के खाई में होने के कारण अभी बस से संबंधित तकनीकी जांच नहीं हो सकी है। 16 मार्च को भी टली थी बड़ी दुर्घटना दून-मसूरी मार्ग पर बीती 16 मार्च को भी 35 यात्रियों की जान बाल-बाल बच गई थी।
मसूरी से देहरादून आ रही पर्वतीय डिपो की बस के मसूरी से एक किमी दूरी पर ब्रेक फेल हो गए थे। तब गनीमत रही कि चालक ने सूझबूझ का परिचय देकर बस को पहाड़ी से टकरा दिया, जिससे बस रुक गई। निगम प्रबंधन ने बैठाई जांच दुर्घटना के कारणों को लेकर परिवहन निगम प्रबंधन ने भी विभागीय जांच बैठा दी है। निगम के महाप्रबंधक (संचालन) दीपक जैन ने बताया कि बस पूरी तरह फिट थी।
बस वर्ष 2019 माडल की थी और फिटनेस प्रमाण-पत्र भी वैध था। महाप्रबंधक ने बताया कि चालक के पास पर्वतीय मार्गों पर बस संचालन का लाइसेंस है। उन्होंने कहा कि निगम प्रबंधन को अधिकार है कि वह अनुबंधित बस को जरूरत के अनुसार कहीं भी संचालित कर सकता है। महाप्रबंधक ने बताया कि अगर दुर्घटना चालक की गलती के कारण हुई है तो बस आपरेटर का अनुबंध खत्म किया जाएगा।
