उत्तराखण्ड
प्रदेश में लोकसभा चुनाव के बाद भी निकाय चुनाव नहीं!! आचार संहिता समेत तमाम पेंच
उत्तराखंड के 102 नगर निकायों के चुनाव अभी और टल सकते हैं। लोकसभा चुनाव आचार संहिता के कारण निकाय चुनाव की प्रक्रिया लटक गई है। एक आचार संहिता के बाद दूसरी लागू होने में भी तकनीकी पेच है। ओबीसी आरक्षण अधर में लटका हुआ है।
पिछले साल दो दिसंबर से सभी निकायों में प्रशासक तैनात कर दिए गए थे। हाईकोर्ट में दायर याचिका पर सरकार ने दो जून से पहले निकाय चुनाव कराने का वादा किया हुआ है, लेकिन लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लागू होने के बाद इसकी पूरी प्रक्रिया अटक गई है। एकल सदस्यीय समर्पित आयोग की रिपोर्ट के आधार पर निकायों में ओबीसी आरक्षण लागू करने की प्रक्रिया अटक गई।
इसके लिए कैबिनेट से एक्ट में बदलाव होगा, क्योंकि अभी तक ओबीसी को 14 प्रतिशत आरक्षण का नियम था, लेकिन सर्वे रिपोर्ट के बाद यह कहीं 30 तक हो गया है तो कहीं इससे नीचे चला गया है। जब तक एक्ट में बदलाव नहीं होगा, तब तक आरक्षण लागू नहीं होगा। आरक्षण बिना चुनाव नहीं होंगे।
सूत्रों के मुताबिक, शहरी विकास विभाग ने इस संबंध में एक पत्र चुनाव आयोग को भेजा था, जिसमें कहा गया था कि चूंकि दो जून से पहले निकायों में नए बोर्ड का गठन होना है, इसलिए इसी दौरान चुनाव कराने होंगे। चुनाव आयोग ने एक आचार संहिता के बीच दूसरी आचार संहिता को लेकर इन्कार कर दिया है। ऐसे में दो जून से पहले निकाय चुनाव होने मुश्किल नजर आ रहे हैं।
- दो जून तक बोर्ड न बना तो क्या होगा
दो जून तक निकायों में चुनाव होकर नए बोर्ड गठित नहीं हुए तो पहला तो हाईकोर्ट में सरकार को जवाब देना होगा। दूसरा, चूंकि छह माह तक ही निकायों में प्रशासक तैनात करने का नियम है। इससे आगे की अवधि के लिए सरकार को एक्ट में बदलाव करना होगा। Courtsy amar ujala