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उत्तराखण्ड

 बरात में नहीं जा सकेंगी यहां की महिलाएं, बनाए और भी कड़े नियम

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धारचूला: बदलते दौर के साथ शादियों को ट्रेंड भी बदल गया। पहले बरात में महिलाएं नहीं जाती थी। लेकिन, अब शायद ही कोई ऐसी शादी हो, जिसमें महिलाएं बारात में ना जा ती हों। बल्कि, पुरुषों के बराबर ही महिलाएं भी बारातों में जाने लगी हैं। पिथौरागढ़ जिले के उच्च हिमालयी गांवों में महिलाओं के बारात में जाने कि कुछ नियम बनाए गए हैं। इन नियमों का पालन नहीं करने पर जुर्माना देना होगा।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पांच ग्राम पंचायतों में विवाह के नियमों में जबरदस्त बदलाव किया गया है। नए नियमों का पालन नहीं करने वालों पर जुर्माना लगेगा। गांवों में होने वाली शादियों में अब महिला बराती नजर नहीं आएगी। हर हाल में दुल्हन के घर से बरात सायं पांच बजे से पूर्व विदा हो जाएगी। प्रत्येक बराती के लिए पगड़ी पहनना आवश्यक होगा।

बीते माहों में चीन सीमा से लगे नाबी गांव के ग्रामीणों ने शादियों में स्थानीय परंपरा के स्थान पर बाहरी परंपराओं का समावेश होने को लेकर चिंता जताई थी। अपनी परंपराओं को जीवित रखने के लिए विवाह के वर्तमान नियमों में बदलाव कर नियमावली बनाई गई।

इन नियमों के चीन सीमा से लगे अन्य चार ग्राम पंचायतों से भी अपील की गई। नाबी के ग्रामीणों द्वारा तय किए नियमों पर कुछ संशोधन के बाद गुंजी, नपलच्यु, रोंगकोंग और कुटी ग्राम पंचायतों ने भी स्वीकृति की मुहर लगा दी है।

पांचों ग्राम पंचायतों की बैठक में नए नियमों का एक अप्रैल से पालन करने का निर्णय लिया गया है। व्यास ऋषि मेला समिति के संरक्षक कुशल सिंह नपलच्याल और मदन सिंह नबियाल की अगुआई में व्यास यर जुम्खू के पांचों गांवों के ग्रामीणों की बैठक हुई।

लिए ये फैसले

  • बैठक में लिए गए निर्णयों के तहत अब इन गांवों की शादियों में विदेशी मदिरा पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा केवल स्थानीय गैरा च्यक्ति का प्रयोग होगा।
  • पांचों ग्राम सभाओं में हल्दी रस्म पूरी तरह समाप्त कर दी गई है।
  • मेहंदी रस्म केवल लड़की पक्ष वाले ही करेंगे।
  • नए नियम के तहत लड़का-लड़की पक्ष वाले स्यिमे त्वंकल ठोम यानि पितृ पूजा करेंगे।
  • लड़की की शादी में केवल दुल्हन के पिता मात्र दूल्हे को पगड़ी पहनाएंगे और दूल्हे पक्ष से एक पगड़ी दुल्हन के पिता और एक पगड़ी दुल्हन के बड़े मामा को दी जाएगी।
  • दुल्हन की मां और महिला सभा को एक-एक मोमबंधी प्रदान की जाएगी।
  • विवाह कार्यक्रम में दिन के खाने का समय दोपहर 12 से सायं चार बजे तक का ही होगा। इसके बाद मात्र चाय-पानी ही होगी।
  • पांचों गांवों में विवाह में बजने वाला म्यूजिक सिस्टम शादी व मेहंदी में केवल चार घंटे सायं 6 से 10 बजे तक ही बजेगा। दूसरे, तीसरे दिन केवल दो घंटे ही बजेगा।
  • चीन सीमा से लगे उच्च हिमालयी पांच गांवों में अब बरातियों को रास्ते में ग्रामीणों द्वारा बुलाए जाने की प्रथा पूरी तरह बंद रहेगी।
  • जिस गांव में बारात जा रही है, वहां चौमे रिस्म्या गांव की बेटियां ही चाय पानी के लिए बुला सकती हैं। इसमें बरातियों द्वारा साढ़े पांच हजार का सोकुन दिया जाएगा।।
  • लड़कों की शादी में दूल्हे के पक्ष वाले दुल्हन पक्ष के नाते, रिश्तेदारों को प्रीति भोज में बुलाएंगे।
  • नए नियमों के तहत पांच गांवों में विवाह में ग्राम सभा, महिला सभा, नव युवक संघ, नव युवती संघ, रं कल्याण संस्था, व्यास ऋषि मेला समिति, गांव के ईष्टदेव व अन्य समितियों के लिए दिए जाने वाले यर की रकम भी निर्धारित कर दी गई है।
  • लड़की के विवाह में मांग भराई रस्म में औरतों के जाने में मनाही रहेगी। केवल दुल्हन की बहनें, सहेलिया और दूल्हे के भाई और दोस्त रहेंगे।

लगेगा इतना जुर्माना
बैठक में निर्णय लिया गया कि नियमों का पालन नहीं करने वालों पर साढ़े पांच हजार का जुर्माना लगाया जाएगा। जुर्माना वसूलने की जिम्मेदारी ग्राम सभा, यु वक , युवती महिला मंगल दलों, सरपंच और समाज सेवकों की होगी। जुर्माना वसूलने वालों के साथ अभद्रता करने पर उस परिवार का पांच ग्राम पंचायत और व्यास ऋषि मेला समिति की ओर सामाजिक बहिष्कार किया जाएगा। यह नियम एक अप्रैल से लागू हो जाएंगे ।

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संपादक - कस्तूरी न्यूज़

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