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International Yoga Day 2022: लंबी सीटिंग जॉब वालों के लिए बहुत ही फायदेमंद हैं ये 5 आसन, नहीं होगी कमर और पीठ दर्द की समस्या

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International Yoga Day 2022: लंबी सीटिंग जॉब वाले अक्सर ही कमर, पीठ, गर्दन और पाचन संबंधी दिक्कतों से परेशान रहते हैं और इन्हें इग्नोर करते रहने से आगे चलकर यही समस्याएं स्पाइन से जुड़ी गंभीर समस्याओं की वजह बन जाती हैं जिससे बैठना तक दूभर हो जाता है। तो अगर आप ऐसी समस्या का सामना नहीं करना चाहते, तो यहां बताए जा रहे आसनों का अभ्यास आज से ही शुरू कर दें। जो ऊपर से लेकर नीचे तक की बॉडी के लिए हैं बहुत ही फायदेमंद।

1. वशिष्ठासन 

– वाशिष्ठासन के अभ्यास से हाथ और कंधे मजबूत होते हैं।

– यह योग ग्लूटस मैक्सिमस, हैमस्ट्रिंग, क्वाड्रिसेप्स और पिंडलियों को मजबूत बनाता है।

– लोअर बॉडी को टोन्ड करने के साथ उसकी फ्लेक्सिबिलिटी और स्ट्रेंथ बढ़ाने में मददगार है यह आसन।

– इसके अलावा यह आसन पेट की मसल्स पर भी काम करता हैं।

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2. अधोमुख श्वानासन

– अधोमुख श्वानासन करते वक्त पेट की मसल्स स्ट्रेच होती है। जिससे ये स्ट्रॉन्ग तो होती ही है साथ ही पेट से जुड़ी कई तरह की समस्याएं भी दूर होती हैं। 

– यह आसन हाथ, पैर, कंधे और सीने को टोन करने के साथ उन्हें स्ट्रॉन्ग बनाता है।

– इस आसन को करने से पाचन क्रिया सही रहती है।

– अधोमुख श्वानासन से पीठ, कमर का दर्द, सिर दर्द के साथ नींद न आने की समस्या दूर होती है।

– इसके अलावा यह आसन हाई ब्लड प्रेशर, अस्थमा व साइटिका की समस्या में भी लाभदायक है।

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3. अंजनेयासन

– इस आसन को करने से पूरी बॉडी की मसल्स अच्छे से स्ट्रेच हो जाती है।

– इससे फेफड़ों की कार्यक्षमता में सुधार होता है और साइटिका की समस्या में राहत मिलती है।

– यह आसन बॉडी के पॉश्चर को भी सुधरने में मददगार है।

– इसके अलावा इसके अभ्यास से बॉडी एनर्जेटिक बनी रहती है।

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4. शलभासन

– वजन कम करने के लिए यह आसन बेहद फायदेमंद है। इससे शरीर की अतिरिक्त चर्बी कम होती है।

– यह आसन हाथ, जांघों, पैरों और पिंडलियों को मजबूत करता है।

– रीढ़ की हड्डी को मजबूत करने के लिए शलभासन अच्छा योग हैं।

– यह मूत्र संबंधी विकारों को भी दूर करता है।

– इस आसन से शरीर में ब्लड का सर्कुलेशन सही तरह से होता है।

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5. उष्ट्रासन

– यह आसन पीठ और कंधों को मजबूत करता है और पीठ के निचले हिस्से में दर्द दूर करता है।

– यह आसन पूरे शरीर को फैलाता है और स्पाइन को स्ट्रॉन्ग बनाता है।

– उष्ट्रासन के नियमित अभ्यास से एसिडिटी, ब्लोटिंग, अपच, कब्ज, आदि समस्याएं दूर होती हैं।

– उष्ट्रासन शरीर को डिटॉक्सिफाई भी करता है।

– गर्दन में मौजूद मांसपेशियों को फैलाता है जहां थायरॉयड और पैराथायरायड ग्रंथियां मौजूद होती हैं। जिससे ये ग्रंथियों एक्टिव होती है अपना काम सही तरीके से कर पाती हैं।  

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संपादक - कस्तूरी न्यूज़

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