धर्म-संस्कृति
उत्तराखंड के इस मंदिर में रहते हैं नंदा देवी के धर्म भाई, लोग कहते हैं यहां नागमणि मौजूद है
चमोली: लोग धार्मिक स्थलों पर पूजा अर्चना करने के लिए जाते हैं, भगवान के दर्शन करने उनका आशीर्वाद लेने जाते हैं। मगर उत्तराखंड में एक ऐसा मंदिर है जहां भगवान के दर्शन करना वर्जित है। देवभूमि के इस मंदिर में कोई भी भगवान के दर्शन नहीं कर सकता है।
दरअसल चमोली और कुमाऊं सीमा से लगे क्षेत्र की अराध्य देवी मां नंदा के धर्मभाई लाटूदेवता मंदिर वांण देवाल के कपाट विधिविधान मंत्रोच्चारण के साथ खुल गए। इस मौके पर दूर-दराज क्षेत्रों से आए भक्तों ने देवी मंदिर परिसर में अखंड कीर्तन-भजन में भाग लिया।
मगर इस मंदिर में श्रद्धालु दर्शन नहीं कर सकते। मंदिर में पूजा अर्चना के लिए भी सिर्फ पुजारी ही जा सकते हैं और वह भी आंखों पर पट्टी बांधकर पूजा-अर्चना करते हैं। एक और खास बात यह है कि मंदिर के गर्भगृह के कपाट सालभर में एक ही दिन खुलते हैं और उसी दिन बंद किए जाते हैं।
देवाल विकासखंड का वांण स्थित लाटू देवता मंदिर समुद्रतल से आठ हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है। परंपरा के अनुसार वैशाख पूर्णिमा के दिन कपाट खुलने की परंपरा है।दरअसल वाण गांव हिमालयी महाकुंभ नंदा राजजात का आबादी का अंतिम गांव है।
इसके बाद निर्जन पड़ाव गैरोली पातल है। लाटू देवता को मां नंदा का धर्म भाई माना जाता है। नंदा राजजात यात्रा की अगुवाई वाण के बाद लाटू देवता का पश्वा करता है। मंदिर में देवता किस रूप में विराजमान हैं, यह आज भी रहस्य बना हुआ है। पुजारी आंखों पर पट्टी बांधकर पूजा करते हैं जबकि श्रद्धालु मंदिर से लगभग 15 मीटर दूरी से पूजा-अर्चना करते हैं।
मंदिर के पुजारी खीम सिंह बताते हैं कि मान्यता है कि मंदिर में नागराज अपनी मणि के साथ रहते हैं जिसे देख पाना लोगों के बस में नहीं है। इसलिए आंख पर पट्टी बांधकर मंदिर में प्रवेश कर पूजा की जाती है। अन्य कोई भी मंदिर में प्रवेश नहीं करता है।
