Connect with us

महाराष्ट्र

महाराष्ट्र में संविधान के खिलाफ था गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी का निर्णय, सुप्रीम कोर्ट से शिंदे और भाजपा के गठबंधन को झटका

खबर शेयर करें -

महाराष्ट्र के राजनीतिक संकट पर सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने मामला सात जजों की पीठ को सौंपने का फैसला किया है। इसी के साथ कोर्ट ने इस मामले में कई अहम टिप्पणियां की हैं। सुप्रीम कोर्ट ने माना कि महाराष्ट्र के राज्यपाल का निर्णय भारत के संविधान के अनुसार नहीं था।

कोर्ट ने इस मामले में क्या-क्या कहा, आठ पॉइंट्स में जानें

1-सुप्रीम कोर्ट ने मामला वृहद पीठ को सौंप दिया है। विधायकों के पास विधानसभा की कार्यवाही में हिस्सा लेने का अधिकार होगा।

2-तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने शिंदे गुट के 34 विधायकों के अनुरोध पर फ्लोर टेस्ट कराने के निर्देश दिए थे। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर कहा कि फ्लोर टेस्ट कराने का उनका फैसला सही नहीं था क्योंकि राज्यपाल के पास इस निष्कर्ष पर पहुंचने का कोई ठोस आधार नहीं था कि उद्धव ठाकरे बहुमत खो चुके हैं।

3-शीर्ष अदालत ने कहा कि चूंकि उद्धव ठाकरे ने फ्लोर टेस्ट का सामना किए बिना ही इस्तीफा दे दिया था, इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा के समर्थन से शिंदे सरकार के गठन के मुद्दे पर दखल देने से इनकार कर दिया।

4-चीफ जस्टिस ने कहा कि यथास्थिति को इसलिए नहीं बदला जा सकता क्योंकि सबसे बड़े दल यानी भाजपा के समर्थन से एकनाथ शिंदे को शपथ दिलाकर राज्यपाल ने न्यायोचित काम किया। अगर उद्धव ठाकरे ने इस्तीफा नहीं दिया होता तो यह अदालत पिछली स्थिति को बहाल कर सकती थी।

5-चीफ जस्टिस ने कहा कि अगर यह मान भी लिया जाए कि विधायक सरकार को छोड़ना चाहते थे, तब भी सिर्फ असंतोष ही सामने आया था। फ्लोर टेस्ट राजनीतिक दल के अंदरूनी या बाहरी मतभेदों को हल करने का जरिया नहीं हो सकता।

6-पार्टी के अंदर इस पर मतभेद हो सकते हैं कि वे किसी सरकार को समर्थन करें या नहीं। उसके सदस्य नाखुश हो सकते हैं। लेकिन राज्यपाल उन शक्तियों का इस्तेमाल नहीं कर सकते, जो उन्हें प्रदत्त नहीं हैं।

7-राज्यपाल राजनीति के मैदान में आकर पार्टी के अंदरूनी या बाहरी विवाद को सुलझाने की भूमिका नहीं निभा सकते। वे सिर्फ इस आधार पर फैसला नहीं ले सकते थे कि कुछ सदस्य शिवसेना को छोड़ना चाहते हैं।

8-सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि फ्लोर टेस्ट कराने का राज्यपाल का फैसला गलत था। राज्यपाल की तरफ से विवेकाधिकार का इस्तेमाल संविधान के अनुरूप नहीं था। राज्यपाल को पत्र पर भरोसा करना चाहिए था। उस पत्र में यह कहीं नहीं कहा गया था कि ठाकरे ज्यादातर विधायकों का समर्थन खो चुके हैं।

Continue Reading

संपादक - कस्तूरी न्यूज़

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

More in महाराष्ट्र

Advertisiment

Recent Posts

Facebook

Trending Posts

You cannot copy content of this page