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मिसाल: मैस इंचार्ज जब कैडेट्स को देखते तो तय कर लिया लेफ्टिनेंट बनना है, ये असल कहानी है लेफ्टिनेंट बनने वाले रमन की
देहरादून। अगर प्रेरणा जीवन का मूलमंत्र बन जाए तो सफलता को हासिल करने में बहुत ज्यादा वक्त नहीं लगता है। देहरादून स्थित इंडियन मिलिट्री एकेडमी (आईएमए) से एक वर्ष की ट्रेनिंग पूरी कर लेफ्टिनेंट बनने वाले रमन सक्सेना की सफलता की कहानी भी कुछ ऐसी ही है।
लेफ्टिनेंट रमन सक्सेना यूपी के आगरा के रहने वाले हैं। वर्ष 2010 में उन्होंने होटल मैनेजमेंट की पढ़ाई कर तीन वर्षों तक एक होटल में काम किया। इसके बाद वर्ष 2015 में जूनियर कमीशंड अधिकारी चुने गए और आईएमए में मेस इंचार्ज के पद पर नियुक्ति मिली। आईएमए देहरादून में दो वर्षों तक मेस इंचार्ज रहे रमन को लेफ्टिनेंट बनने की प्रेरणा मेस में खाना खाने के लिए आने वाले कैडेट्स से मिली। तय किया था कि वे एक दिन लेफ्टिनेंट बनेंगे। उन्होंने 2023 में एसएसबी की परीक्षा पास की थी। आईएमए में एक वर्ष की ट्रेनिंग पूरी करने के बाद रमन शनिवार को लेफ्टिनेंट बन गए हैं।
जतिन कुमार को मिला स्वॉर्ड ऑफ ऑन
रहरियाणा के पलवल निवासी जतिन कुमार को स्वॉर्ड ऑफ ऑनर से नवाजा गया है। जतिन ने आईएमए में प्रशिक्षण के दौरान विभिन्न विधाओं में श्रेष्ठता हासिल की है। इसके आधार पर वे 456 कैडेट्स में से स्वॉर्ड ऑफ ऑनर चुने गए हैं। जतिन ने बताया, सैनिक स्कूल कुंजपुरा से 12वीं की पढ़ाई करते हुए उन्होंने एनडीए की परीक्षा पास की थी। उनके पिता भी सेना से सेवानिवृत्त हैं।
लेफ्टिनेंट प्रथम सिंह बने स्वर्ण पदक विजेता
पठानकोट के लेफ्टिनेंट प्रथम सिंह स्वर्ण पदक विजेता बने हैं। उन्होंने देहरादून के राष्ट्रीय इंडियन मिलिट्री कॉलेज से पढ़ाई की है। प्रथम ने बताया, वे सेना में जाने वाले चौथी पीढ़ी के सदस्य हैं। उनके दादा कर्नल तीरथ सिंह ने 1971 के भारत-पाक युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसके लिए उन्हें वीर चक्र से सम्मानित किया गया था। परिवार की प्रेरणा से ही आज उन्होंने यह मुकाम हासिल किया है।
पौड़ी के मयंक ध्यानी ने जीता कांस्य
उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल के मयंक ध्यानी ने कांस्य पदक जीता है। हल्द्वानी कैंट स्थित केंद्रीय विद्यालय से पढ़ाई करने वाले मयंक ने वर्ष 2020 में दूसरे प्रयास में एनडीए की परीक्षा पास की थी। उनके पिता भी सेना में नायब सूबेदार के पद पर तैनात हैं।
पिता बने प्रेरणा
पिथौरागढ़ के आयुष्मान ततराड़ी सेना में लेफ्टिनेंट बने हैं। उन्होंने सफलता के पीछे पिता की प्रेरणा बताई है। आयुष्मान के पिता योगेश ततराड़ी ने कहा, आज वे गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। आज उनके बेटे ने पूरे प्रदेश में मां का नाम रोशन किया है। अमर उजाला साभार।