Connect with us
साल 2008 में छह अपराधी-राजनेताओं को अलग-अलग जेलों से रिहा किया गया था जिसमें अतीक अहमद का नाम भी शामिल था। यह वो समय था जब डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार पर संकट के बादल मंडरा रहे थे।

राष्ट्रीय

Atiq Ahmad: परमाणु समझौते के चलते गिरते-गिरते बची थी UPA सरकार, संकटमोचक बना था माफिया अतीक अहमद

खबर शेयर करें -

नई दिल्ली, पीटीआई। माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में शनिवार की रात सरेआम गोली मारकर हत्या कर दी गई। इस हत्याकांड का वीडियो रोंगटे खड़े कर देने वाला था, लेकिन पुलिस ने अतीक और अशरफ पर हमला करने वाले तीनों हमलावरों को मौके से ही पकड़ लिया था।

कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने इस हमले की निंदा की, जबकि एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में न्यायिक जांच की मांग की। ऐसे में आज हम आपको अतीक अहमद से जुड़ा एक किस्सा बताएंगे, जिसकी वजह से संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) सरकार गिरने से बाल-बाल बची थी।

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, साल 2008 में छह अपराधी-राजनेताओं को अलग-अलग जेलों से रिहा किया गया था, जिसमें अतीक अहमद का नाम भी शामिल था।

संकटमोचक बना था अतीक अहमद

साल 2008 में जब डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार पर भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौते के बाद संकट के बादल मंडरा रहे थे उस वक्त अतीक अहमद संकटमोचक बना था। बता दें कि विपक्ष ने मनमोहन सिंह सरकार के खिलाफ संसद में अविश्वास प्रस्ताव लाया था और दांव पर यूपीए सरकार और परमाणु समझौता लगा हुआ था।

छह अपराधी-राजनेताओं के खिलाफ सामूहिक रूप से 100 से ज्यादा आपराधिक मामले थे और उस वक्त अतीक अहमद इलाहाबाद (प्रयागराज) के फूलपुर से समाजवादी पार्टी से लोकसभा सांसद थे। 

‘बाहुबलिस ऑफ इंडियन पॉलिटिक्स: फ्रॉम बुलेट टू बैलट’ किताब में बताया गया कि कैसे गैगस्टर-राजनीतिज्ञ को उन बाहुबलियों में से एक होने का गौरव प्राप्त था जिसने यूपीए सरकार को गिरने से बचाया था। यह किताब राजेश सिंह ने लिखी थी।

वामदलों ने UPA सरकार से खींचा था हाथ

परमाणु समझौते से नाराज वामदलों ने 2008 के मध्य में यूपीए सरकार को दिया अपना बाहरी समर्थन वापस ले लिया था। किताब के मुताबिक, लोकसभा में यूपीए के 228 सदस्य थे और अविश्वास प्रस्ताव वाले संकट से निकलने के लिए 44 सीटों की दरकार थी। हालांकि, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने समर्थन जुटा लिया था और सरकार गिरने से बच गई थी।

उस वक्त समाजवादी पार्टी ने यूपीए सरकार को अपना समर्थन दिया था। जैसे अजीत सिंह की राष्ट्रीय लोक दल (RLD) और देवेगौड़ा की जनता दल (सेक्युलर) ने दिया था।

मतदान से 48 घंटे पहले जेल से छूटा था माफिया

बकौल पीटीआई, अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान से 48 घंटे पहले सामूहिक रूप से अपहरण, हत्या, जबरन वसूली, आगजनी जैसे 100 से अधिक मामलों का सामना कर रहे अतीक अहमद समेत छह को जेल से बाहर निकाला गया था, ताकि वे अपने संवैधानिक शक्तियों का इस्तेमाल कर सकें। 

किताब के मुताबिक, जेल से निकाले गए छह लोगों में समाजवादी पार्टी के सांसद अतीक अहमद भी शामिल थे और उन्होंने अपना कीमती मत संकटग्रस्त यूपीए सरकार के पक्ष में डाला था, इसमें कई संदेह नहीं है। उस वक्त माफिया ने खुद को राजनीति और अपराधिक जगत दोनों में ही स्थापित कर लिया था।

Continue Reading

संपादक - कस्तूरी न्यूज़

More in राष्ट्रीय

Recent Posts

Facebook

Advertisement

Trending Posts

You cannot copy content of this page