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चारों फर्जी डॉक्टर भारतीय चिकित्सा परिषद से रजिस्ट्रेशन रद्द होने के बाद भी कर रहे थे प्रैक्टिस

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देहरादून। रायपुर क्षेत्र से गिरफ्तार हुए चारों फर्जी डॉक्टरों का एक शिकायत के बाद भारतीय चिकित्सा परिषद ने रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया था। इसके बावजूद चारों ने रायपुर क्षेत्र में प्रैक्टिस करते हुए लोगों की जान से खिलवाड़ जारी रखा। एसटीएफ की कार्रवाई के बाद भी चारों ने क्लीनिक बंद नहीं किए थे।
आरोपी दो सगे भाइयों समेत चारों आरोपियों को पुलिस ने न्यायालय में पेश किया, जहां से उन्हें न्यायिक अभिरक्षा में भेज दिया गया।फर्जी डॉक्टर मामले में जांच कर रही पुलिस ने शुक्रवार रात को रायपुर क्षेत्र से रोशन कुमार काला, अजय कुमार काला, मनोज सिंह नेगी और अनुराग नौटियाल नाम के फर्जी डॉक्टरों को गिरफ्तार किया था। एसपी क्राइम सर्वेश पंवार ने बताया कि चारों आरोपियों ने पुलिस को काफी जानकारी दी है।
पूछताछ में बताया कि इनका संपर्क 2017 में इमलाख निवासी मुजफ्फरनगर से हुआ था। इमलाख ने चारों को बताया कि वह उनकी शैक्षिक योग्यता बढ़ा देगा। उसका मुजफ्फरनगर में कॉलेज है, जो राजीव गांधी हेल्थ साइंस विवि से संबद्ध है। इससे वह उन्हें बीएएमएस की डिग्री दिलवा देगा।
इस डिग्री के माध्यम से वे किसी भी सरकारी नौकरी में भी अप्लाई कर सकते हैं। झांसे में आकर चारों ने 6.50 लाख रुपये देकर डिग्री हासिल कर ली। इसके बाद चारों आरोपी यहां क्लीनिक चलाने लगे। इनका इमलाख ने भारतीय चिकित्सा परिषद देहरादून में रजिस्ट्रेशन भी करा दिया। इसके बाद 2021 में इनकी शिकायत कर दी गई। इस पर भारतीय चिकित्सा परिषद ने इनका रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया।

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इसके बाद इन्होंने फिर इमलाख से बात की तो उसने इन्हें भरोसा दिया कि सब काम ठीक ठाक हुआ है चिंता करने की कोई बात नहीं है। इसके बाद चारों ने फिर से प्रैक्टिस शुरू कर दी। अब एसटीएफ ने जब कार्रवाई की तो इनकी डिग्रियां पूरी तरह से फर्जी पाई गईं। चारों के नाम सामने आने के बाद ये सभी अपने-अपने घरों से फरार हो गए थे।

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चारों आरोपियों ने बी फार्मा का कोर्स किया है। चारों पहले दवा की दुकान खोलना चाहते थे, लेकिन किसी ने इनका संपर्क इमलाख से करा दिया। इसके बाद इन्होंने बिना पढ़ाई किए डॉक्टर बनने का सोचा। किसी ने भी अपने घर में इस बात का कोई जिक्र नहीं किया। घरवालों ने पूछा तो उन्हें बता दिया कि वे सब कानूनी तौर पर सही कर रहे हैं।

एसपी क्राइम सर्वेश पंवार ने बताया कि पुलिस डिग्री छापने वाली प्रिंटिंग प्रेस का भी पता लगा रही है। यह सर्टिफिकेट कहां छपवाए गए हैं, इसके बारे में जानकारी अभी नहीं मिल पाई है। इमलाख के कॉलेज में भी कोई प्रिंटिंग प्रेस नहीं है। इमलाख की तलाश की जा रही है। उसी से इस बात का पता चल सकता है। प्रिंटिंग प्रेस का पता चलने के बाद उसके संचालक के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।

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