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इस मामले में 20 दरोगा पिछले एक साल से सस्पेंड चल रहे थे। इन पर पैसे देकर भर्ती होने का आरोप लगा था।

देहरादून

विजिलेंस की दरोगा भर्ती जांच के बाद 33 फीसदी दरोगा नाकाबिल… पढ़िए रिपोर्ट

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देहरादून: विजिलेंस ने दरोगा भर्ती धांधली की जांच पूरी कर ली है। इस मामले में 20 दरोगा पिछले एक साल से सस्पेंड चल रहे थे। इन पर पैसे देकर भर्ती होने का आरोप लगा था। विजिलेंस की जांच में कई दरोगाओं पर आरोप सिद्ध हुए हैं, जबकि कई दरोगाओं के खिलाफ पैसे देकर भर्ती होने के सबूत नहीं मिले।

सस्पेंड हुए दरोगाओं के भविष्य का फैसला अब शासन को करना है। बताया जा रहा है कि जल्द सतर्कता समिति की बैठक में इन दरोगाओं के खिलाफ मुकदमे या अन्य कार्रवाई पर फैसला किया जाना है। यहां आपको पूरा मामला विस्तार से बताते हैं। मई 2022 में एसटीएफ ने यूकेएसएसएससी की स्नातक स्तरीय परीक्षा धांधली की जांच शुरू की थी। इस जांच में कई आरोपियों और नकल माफिया को गिरफ्तार भी किया गया। इस बीच 2015 में हुई दरोगा सीधी भर्ती परीक्षा में भी बड़े पैमाने पर धांधली की बात सामने आई थी।

जिस पर विजिलेंस ने आठ अक्टूबर 2022 को नकल माफिया समेत कुल आठ लोगों के खिलाफ हल्द्वानी सेक्टर में मुकदमा दर्ज किया। जांच में पता चला कि कुछ दरोगा ऐसे थे, जिन्होंने अपने परिवार की संपत्तियां गिरवी रखकर माफिया को पैसे दिए थे। शुरूआत में शक जताया गया था कि कुल भर्ती दरोगाओं में से कम से कम 33 फीसदी दरोगा नाकाबिल हैं। इनमें से ज्यादातर को अपनी केस डायरी तक लिखना नहीं आता है। इन सब कामों के लिए भी वह दूसरों का सहारा लेते हैं। शक के आधार पर पुलिस मुख्यालय ने जनवरी 2023 में 20 दरोगाओं को निलंबित कर दिया था। बताया जा रहा है कि विजिलेंस को इनमें से कुछ दरोगाओं के खिलाफ ऐसे साक्ष्य मिल भी चुके हैं, लेकिन कई दरोगा ऐसे भी हैं जिनका इस मामले में बेवजह नाम घसीटा गया। वह अपने स्तर से परीक्षा में पास हुए थे। अब विजिलेंस ने पूरे मामले की जांच कर रिपोर्ट शासन को भेज दी है। बता दें कि 2015 में कुल 339 दरोगा सीधी भर्ती के माध्यम से भर्ती हुए थे।

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संपादक - कस्तूरी न्यूज़

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