Connect with us

others

धामी जी के घर का खाना क्यों नहीं पचा हरक को!

खबर शेयर करें -


मनोज लोहनी
राजनीति है जहां खाना भी राजनीतिक होता है। खाना पचा या नहीं उसका परिणाम भी कभी-कभी देर से देखने को मिलता है, जैसा कि हरक सिंह रावत केस में मिल रहा है। दिल्ली में इतने बड़े आंसू निकले उनके कि पिछले दिनों सीएम पुष्कर सिंह धामी के घर का खाया सब निकल गया। आपको याद ही होगा कि कोटद्वार मेडिकल कॉलेज को पैसा नहीं मिलने से नाराज हरक सिंह तब कैबिनेट की बैठक से सरक गए थे। चुनाव सिर पर थे, तो डैमेज कंट्रोल करना ही था, सो धामी जी ने उन्हें खाने पर बुला लिया। खाना खाया, बातें भी हुईं, अगले दिन मेडिकल कॉलेज के लिए रकम भी जारी हो गई। मगर बात यहां खत्म नहीं, दरअसर शुरू हुई थी। हरक ने चुनाव को लेकर मन में क्या अरमान पाले थे यह धामी जी और भाजपा को शायद पता नहीं था। यह ठीक वैसा ही था जैसे किसी जिद्दी बच्चे को अगर उसकी जिद पर कोई खिलौना दिला दो तो वह कुछ समय बाद उससे भी बड़ी जिद करने लगता है। तब माता-पिता को समझ में आता है…शायद ज्यादा मुंह लगा दिया। इसे अभी ठीक कर दो नहीं तो बिगड़ जाएगा। यहां ऐसा ही हुआ, जिद पूरी होते ही शायद हरक को लगा कि अब तो उनके मन की चल ही रही है, तो इसीलिए शायद उन्होंने अपने बच्चों की जिद भाजपा के सामने रख दी। मगर बात बड़ी थी…। हालांकि हरक ने अब तक भाजपा-कांग्रेस दोनों ही दलों को अपनी मनमर्जी मुताबिक नचाया है, मगर इस बार वह इस मामले में थोड़ा लेट हो गए। इससे पहले कि वह कहीं और जाने का ऐलान करते, भाजपा ने उन्हें अपनी टीम से पहले ही आउट कर दिया। शायद हरक सिंह रावत ने सोचा होगा कि चल जाएगी, मगर ऐसा नहीं हुआ। इसका उन्हें इतना तगड़ा सदमा लगा कि दिल्ली में उनके निकले आंसू पोंछने के लिए रूमाल भी छोटा पड़ गया। मगर जनता की सेवा सर्वोपरि है, देखना है अब इस जनता की महान सेवा के लिए वह क्या कदम उठाते हैं?

Continue Reading

संपादक - कस्तूरी न्यूज़

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

More in others

Advertisiment

Recent Posts

Facebook

Trending Posts

You cannot copy content of this page