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क्‍या वीजा और मास्‍टरकार्ड की जल्‍द भारत से होगी विदाई, जानें क्‍या है सरकार की तैयारी

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रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) के कारण अंतराष्‍ट्रीय कार्ड कंपनियों के रूस में अपनी सेवाएं बंद करने से सभी देशों को चिंता में डाल दिया है. आम लोगों से जुड़ी आधुनिक तकनीकों को हथियार की तरह प्रयोग करने और किसी देश के आर्थिक सिस्‍टम को ठप करने की कोशिश ने वीजा (Visa), मास्‍टरकार्ड (Mastercard) और अमेरिकन एक्‍सप्रेस (American Express) जैसी कार्ड कंपनियों की विश्‍वसनियता पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं. अब भारत में भी स्‍वदेशी कार्ड नेटवर्क सिस्‍टम को मजबूत करने की मांग उठ रही है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने 2018 में वीजा, मास्‍टर कार्ड और अमेरिकन एक्‍सप्रेस जैसे कार्ड्स पर निर्भरता कम करने का आह्वान करते हुए कहा था कि देश हर नागरिक देश की रक्षा के लिए सीमा पर जाकर नहीं लड़ सकता. परंतु, वह रुपे (RuPay) का प्रयोग कर देश की सेवा कर सकता है. लेकिन, बड़ा सवाल यह है कि क्‍या इन अंतरराष्‍ट्रीय कार्ड्स का विकल्‍प देश ने तैयार कर लिया है. लाइव मिंट में एंडी मुखर्जी के छपे एक लेख के अनुसार अभी इस क्षेत्र में भारत को आत्‍मर्निभर बनने में काफी संघर्ष करना होगा.

क्‍या रुपे है वीसा की जगह लेने में सक्षम

रुपे को नेशनल पेमेंट्स कार्पोरेशन द्वारा (NPCI)  2021 में लाया गया था. रूस के मीर और चीन के यूनियन पे की तरह यह भी एक स्‍वदेशी कार्ड नेटवर्क है. पिछले कुछ सालों में भारत ने रुपे का प्रसार कुछ इस तरह से किया है की वीसा इंक ने तो अमेरिकी सरकार तक से इस संबंध में शिकायत कर दी है. यही नहीं स्‍थानीय स्‍तर पर डाटा के संग्रहण के रिजर्व बैंक आफ इंडिया के नियम ने भी मास्‍टरकार्ड और अमेरिकन एक्‍सप्रेस को संकट में डाल दिया है. रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद जिस तरह से वैश्विक कार्ड फर्म्‍स ने रूस का बहिष्‍कार किया है, उससे सभी देशों में स्‍वदेशी कार्ड नेटवर्क की अनिवार्यता को रेखांकित किया है. सरकार के भारी समर्थन के कारण ही 2020 के अंत तक भारत में 600 मिलियन रूपे कार्ड जारी किए गए हैं. 2017 के मुकाबले इसमें 17 फीसदी की बढ़ोतरी है.

अभी तय करना है लंबा सफर

रुपे डे‍बिट कार्ड ज्‍यादा जारी हुए हैं. ये भारत सरकार द्वारा लोगों को सरकारी योजनाओं के का लाभ सीधे बैंक खातों में देने के लिए खोले गए निशुल्‍क खातों के खाताधारकों को जारी किए गए हैं. लेकिन अभी भी देश की जनता में से 1 या दो फीसदी ही खरीददारी करने वाले अगर रूपे का प्रयोग करते हैं तो, इससे वीसा या अमेरिकन एक्‍सप्रेस कार्ड की भारत से विदाई नहीं होगी. जनवरी में ही भारत में कार्ड के द्वारा करीब 878 बिलियन रुपये की खरीददारी की गई थी. कार्ड का उपयोग करने वाले लोग एक ऐसा कार्ड चाहते हैं जिसको अंतरराष्‍ट्रीय मान्‍यता हो और जिसे ई-कॉमर्स वेबसाइट भी स्‍वीकार करे.

अंतरराष्‍ट्रीयकरण के लिए विदेशी तकनीक पर निर्भरता

एनपीसीआई ने रुपे के अंतर्राष्ट्रीयकरण के लिए समर्पित एक इकाई की स्थापना की है. डिस्‍कवर फाइनेंशियल (Discover Financial) के साथ रुपे का दस वर्ष पुराना टाई-अप विदेशी बाजारों में रूपे को स्‍वीकार्यता दिला सकता है. 2020 में डिस्‍कवर के मुख्‍य कार्यकारी अधिकारी रोजर होशचाइल्ड ने निवेशकों को संबोधित करते हुए इसे बेहद बेहद सफल सहयोग बताया था. रोजर का कहना था कि रूपे को हम सुरक्षित रिमोट कॉमर्स कनेक्टिविटी उपलब्‍ध कराएंगे और वह बाजार की हर जरूरत का ध्‍यान रखेंगे. पर बड़ा सवाल यह है कि विदेशी कार्ड पर निर्भरता कम करने के लिए एक और अमेरिकी कार्ड फर्म की तकनीक पर इतना भरोसा करना क्‍या सही है. यही नहीं जापान की जेसीबी इंटरनेशनल कंपनी के साथ रुपे की अन्य साझेदारी से भी इसे वह लाभ मिलने की संभावना नहीं है, जिसकी उसे जरूरत है.

यूपीआई कर सकता है कमाल

हालांकि, भारत के पास प्‍लास्टिक कार्ड की बजाय एक और ऐसी तकनीक है जिसका अंतराष्‍ट्रीयकरण आसानी से किया जा सकता है. वह है यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI). एनपीसीआई द्वारा संचालित यह मोबाइल फोन आधारित तकनीक पूरी तरह भारतीय है. इस पर चलने वाले ऐप क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड, दोनों द्वारा मिलकर की जाने वाली डिजिटल ट्रांजेक्‍शन से ज्‍यादा ट्रांजेक्‍शन कर सकते हैं. इसका प्रयोग भी लगातार बढ़ रहा है. एनपीसीआई ने पिछले साल ही दुबई के मशरेकबैंक पीएससी के साथ समझौता किया था. इस करार के बाद हर साल अरब अमीरात जाने वाले करीब 2 मिलियन भारतीय वहां भी यूपीआई का प्रयोग कर सकेंगे.

नेक्‍सस भी आ सकता है काम

दूसरे देशों के साथ प्रत्‍यक्ष डील के अलावा भारत पेमेंट्स के लिए अन्‍य कदम भी उठा सकता है. एनपीसीआई ने मॉनेंटरी अथॉरिटी और सिंगापुर ने एक नेक्‍सस (Nexus) नामक प्रोटोटाइप बनाया है. यह 60 से ज्‍यादा देशों में मौजूद डिजिटल पेमेंट सिस्‍ट्म्‍स को आपस में जोड़ सकता है. नेक्‍सस कोई ऐप नहीं है बल्कि यह नियमों का एक समूह है जो भुगतान का वर्ल्ड वाइड वेब बन सकता है और कोई भी देश इन नियमों को स्‍वीकार कर, इसका हिस्‍सा बन सकता है. सिंगापुर के पेनाउ ने पिछले साल थाइलैंड के प्रोम्‍पट पे के साथ विश्‍व में पहली बार क्रॉस कंट्री लिंक किया था. इसकी मदद से किसी भी मोबाइल नंबर पर पैसे भेजे जा सकते हैं.हालांकि, अभी इसने यूजर्स को क्‍यूआर कोड के माध्‍यम से भुगतान की सुविधा प्रदान नहीं की है. लेकिन, फिर भी इसको प्रयोग करना ज्‍यादा कठिन नहीं हैं. अगर हम दीर्घावधि की बात करें तो नेक्‍सस ओपन एप्रोच नेटवर्क ज्‍यादा कारगर हैं.

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संपादक - कस्तूरी न्यूज़

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