ऊधमसिंहनगर
रात में गैस का रिसाव बढ़ता तो क्या होता, पूरा मोहल्ला सो जाता मौत की नींद
रुद्रपुर : Rudrapur Gas leak case : यदि रात में गैस रिसाव बढ़ गया होता तो फिर क्या होता, पूरा मोहल्ला मौत की नींद सो जाता है। किस्मत रही कि कबाड़ी ने सिलिंडर के साथ छेड़छाड़ नहीं की,नहीं तो मंगलवार का मंजर कुछ और होता। मोहल्ले में करीब साढ़े तीन सौ परिवार रहते हैं। लोगों में दहशत का माहौल दिखा।
हर किसी की जुबां से निकल रहा था कि यदि रात में गैस का रिसाव तेजी से हुआ होता तो न जाने कितने लोगों की नींद में ही दम घुटने से माैत हो गई होती। लोग कह रहे थे कि यदि प्रशासन ने सक्रियता नहीं दिखाई होती तो मोहल्ले में लाशें ही बिछी होती। कई लोग इतने डरे सहमे थे कि उनकी आवाज ही नहीं निकल रही थी। इसकी वजह वह समझ नहीं पा रहे थे कि यह सब क्या हो गया।
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कबाड़ी ने सिलिंडर को काटने की फिराक में था। सिलिंडर में पीतल होता है। सूत्र के मुताबिक कबाड़ सिलिंडर को काटना चाहा,मगर गैस रिसाव से उसके दम घुटने लगे। आनन फानन उसे अग्रसेन अस्पताल में भर्ती कराया गया। सोमवार रात करीब 10 बजे सिलिंडर के नोजल से गैस का रिसाव होने लगा, जो धीरे-धीरे मोहल्ले में फैलने लगा।
लोगों ने इसे हल्के में लिया और घरों के दरवाजे को अंदर से बंद कर सो गए। हालांकि कबाड़ की दुकान के आसपास रहने वाले रात में ही भाग गए,मगर इसकी सूचना पुलिस व प्रशासन को नहीं दी। दरवाजे बंद होने से इसका असर लोगों पर नहीं पड़ा।
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जब मंगलवार को लाेग सुबह में उठे और दरवाजे खोले तो गैस का गुबार घरों में प्रवेश किया और इसकी चपेट में लोग आने लगे। यदि रात में ही कबाड़ी ने सिलिंडर को काट दिया होता तो क्लोरीन गैस तेजी से फैलता है और कई लोग मौत की नींद सो जाते हैं। जागरुकता की कमी की वजह से लोगों ने गैस रिसाव को हल्के में लिया। इसका खामियाजा स्थानीय लोगों के साथ पुलिस, प्रशासन, एसडीआरएफ टीम को सांस लेने में दिक्कत होने के रुप में भुगतना पड़ा।
नीचे फैलती है क्लोरीन गैस
अन्य गैस हवा के साथ तेजी से ऊपर फैलती है,मगर क्लोरीन गैस नीचे फैलती है। इस वजह से घरों के बर्तन काले हो गए, सिक्कों पर काले धब्बे के निशान पड़ गए, नर्सरी में लगे पौधे सूखने लगे, चूहे, मुर्गियों की मृत्यु हो गई। क्लोरीन गैस पानी की सफाई में होती है और इसका बाटलिंग प्लांट में भी प्रयोग किया जा सकता है। क्लोरीन गैस से गला चोक हो जाता है और दम घुटने लगता है। आंखों में जलन होती है,मगर अस्पताल में भर्ती लोगों की आंखों में जलन की शिकायत नहीं थी।
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गैस से दम घुटने लगा तो चालक भाग गए
प्रशासन ने सवा सात बजे कबाड़ की दुकान से सिलिंडर हटाने के लिए छोटा हाथ को बुलाया। चालक ने वाहन लेकर दुकान के पास पहुंचा तो वह गैस रिसाव की चपेट में आया तो उसके दम घुटने लगे। इससे वह जान बचाकर मौके पर ही वाहन छोड़कर भाग गया। बाद में ई रिक्शा काे बुलाया गया। ई-रिक्शा पहुंचा तो खड़ा छोटा हाथी से रास्ता ब्लाक हो गया था।
एडीएम वित्त, एसडीएम किच्छा, सीएफओ, एसडीआरएफ की टीम के साथ स्थानीय लोगों ने अवरुद्ध मार्ग से वाहन को उठाकर किसी तरह किनारे किया। मलबा भी हटाया गया। इस बीच सांस लेने में दिक्कत होने लगी तो मौके पर ही चालक ने ई-रिक्शा छोड़कर भाग गया। पास के एक व्यक्ति ने ई-रिक्शा पर सिलिंडर को रखकर एसडीआरएफ की टीम के साथ आगे बढ़ी तो कुछ दूरी पर रास्ता ठीक न होने से ई-रिक्शा फंस गया।
जब इसे निकालने लगे तो एसडीआरएफ के निरीक्षक को सांस लेने में दिक्कत हुई तो एडीएम व एसडीएम ने जान की परवाह किए ई-रिक्कशा को धक्का देने लगे। इससे एसडीएम को उल्टी के सांस लेने में दिक्कत होने लगी। एडीएम को भी सांस लेने में थोड़ी दिक्कत महसूस हुई और उन्होंने अस्पताल में चेकअप कराया। देखते ही देखते सीएफओ, फिर सीओ सिटी, उनके गनर सहित एक के बाद 36 लोगों की हालत बिगड़ने लगी।
आखिर कबाड़ी तक कैसे पहुंचा सिलिंडर
सिलिंडर कैसे कबाड़ी के पास पहुंचा। किसने दी, क्यों दी, सिलिंडर में जब जहरीली गैस थी तो क्यों नहीं बताया, बेचने वाला सिलिंडर कोई कंपनी संचालक है या डीलर, इस तरह के सिलिंडर बेचने के लिए डीलर या कंपनी के पास लाइसेंस है।
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मानक के अनुसार अगर किसी कंपनी का सिलेंडर पुराना हो जाता है, कोई खराबी आ जाती है तो सिलेंडर उस कंपनी को वापस किया जाता है, जिस कंपनी का है। कंपनी सिलेंडर को डिस्पोज करती है। देखा जा रहा है कि सिलेंडर उपभोक्ता जो कमर्शियल में गैस के लिए उपयोग किया जाता है।
अगर सिलेंडर में कोई खराबी आती है तो कबाड़ी को बेच देते हैं जो कबाड़ी द्वारा काटकर उसे स्क्रैप कर दिया जाता है। जो गलत है।कभी-कभी गैस भरे सिलेंडर के चोक होने से काटते समय धमाका या गैस रिसाव होने से बड़ी घटना हो जाती है। आजाद नगर में मंगलवार को जहरीली गैस से बड़ा हादसा हो जाता। हालांकि समय से इलाज मिलने पर लोग बच गए।

