धर्म-संस्कृति
अभिमान आने पर जीव से दूर हो जाता है परमात्मा, ऊंचापुल में श्रीमद्भागवत गीता जारी
हल्द्वानी। राम चरण शरणम् ट्रस्ट के नेतृत्व में श्री राम वाटिका बैंक्वेट हॉल, ऊंचापुल में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के छठे दिन की कथा प्रारंभ करते हुए कथा व्यास पं0 संजय कृष्ण ठाकुर जी ने भगवान की अनेक लीलाओं में श्रेष्ठतम लीला रासलीला का वर्णन करते हुए बताया कि रास तो जीव का शिव के मिलन की कथा है। यह काम को बढ़ाने की नहीं काम पर विजय प्राप्त करने की कथा है। इस कथा में कामदेव ने भगवान पर खुले मैदान में अपने पूर्व सामर्थ्य के साथ आक्रमण किया है लेकिन वह भगवान को पराजित नही कर पाया उसे ही परास्त होना पड़ा है रास लीला में जीव का शंका करना या काम को देखना ही पाप है गोपी गीत पर बोलते हुए व्यास जी ने कहा जब तब जीव में अभिमान आता है भगवान उनसे दूर हो जाता है लेकिन जब कोई भगवान को न पाकर विरह में होता है तो श्रीकृष्ण उस पर अनुग्रह करते है उसे दर्शन देते है। भगवान श्रीकृष्ण के विवाह प्रसंग को सुनाते हुए बताया कि भगवान श्रीकृष्ण का प्रथम विवाह विदर्भ देश के राजा की पुत्री रुक्मणि के साथ संपन्न हुआ लेकिन रुक्मणि को श्रीकृष्ण द्वारा हरण कर विवाह किया गया। इस कथा में समझाया गया कि रुक्मणि स्वयं साक्षात लक्ष्मी है और वह नारायण से दूर रह ही नही सकती यदि जीव अपने धन अर्थात लक्ष्मी को भगवान के काम में लगाए तो ठीक नही तो फिर वह धन चोरी द्वारा, बीमारी द्वारा या अन्य मार्ग से हरण हो ही जाता है। धन को परमार्थ में लगाना चाहिए और जब कोई लक्ष्मी नारायण को पूजता है या उनकी सेवा करता है तो उन्हें भगवान की कृपा स्वत ही प्राप्त हो जाती है। श्रीकृष्ण भगवान व रुक्मणि के अतिरिक्त अन्य विवाहों का भी वर्णन किया गया।आज की कथा में मुख्यरूप से ट्रस्ट के संस्थापक स्वामी नयनदास जी महाराज, संयोजक श्री नीरज तिवारी जी, संरक्षक श्रीमती कुसुम रावत जी, श्री जगदीश रावत जी, यजमान श्री सुभाष जोशी जी, श्री शंकर दत्त जोशी जी, श्री ललित मोहन जोशी जी, श्री गोपाल भट्ट जी, श्री मनोज भट्ट जी, श्री कृष्णा नेगी जी, श्री पियूष जोशी जी, श्री जय दत्त जोशी जी, पार्षद श्री प्रमोद पंत जी, श्री मनोज जोशी जी, आचार्य पं0 कमलेश पाण्डेय जी, पं0 लाखन पाण्डेय जी, पं0 प्रमोद जोशी जी इत्यादि गणमान्य लोग उपस्थित रहे।


