उत्तराखण्ड
कब खतरनाक हो जाता है भूकंप, अमेरिकी विज्ञानी से नाम पड़ा ‘रिक्टर स्केल’
हल्द्वानी : earthquake scale: भूकंप मापने के पैमाने को रिक्टर स्केल कहा जाता है। यह भूकंप की तरंगों की तीव्रता मापने का एक गणितीय पैमाना होता है। रिक्टर स्केल पर जितना ज्यादा भूकंप मापा जाता है। उतना ही अधिक जमीन के अंदर कंपन उत्पन्न होता है।
अमेरिकी भौतिक विज्ञानी चार्ल्स एफ रिक्टर के नाम पर इसका नाम रिक्टर स्केल रखा गया। उन्होंने ही इसकी खोज की थी। दरअसल, चार्ल्स रिक्टर कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में शोधरत थे।
उन्होंने करीब 200 से ज्यादा भूकंपों का शोध करके रिक्टर पैमाने को विकसित किया था। इस पैमाने का सबसे पहले प्रयोग 1935 में किया गया।
आखिर क्यों आता है भूकंप
हमारी पूरी पृथ्वी 12 टैक्टोनिक प्लेट पर टिकी है। इन प्लेट्स के नीचे लावा बहता है। जब ये प्लेट्स हिलती हैं और एक दूसरे से टकराती हैं तो धरती की सतह पर कंपन होता है। इसे ही सामान्य भाषा में हम भूकंप कहते हैं। इनका खिसकना और टकराना एक प्राकृतिक घटना है।
हर वर्ष ये प्लेट्स 4-5 मिमी तक खिसक जाती हैं। इनके टकराव के पीछे इनसे निकलने वाली ऊर्जा होती है। वैज्ञानिक कहते हैं भूकंप व ज्वालामुखी में यही ऊर्जा बाहर निकलती है।
कम गहराई में केंद्र मतलब अधिक नुकसान
भूकंप में कंपन हमारे आसपास कितना नुकसान पहुंचाएगा यह इस पर निर्भर करेगा कि केंद्र की गहराई कितनी है। भूकंप की गहराई जितनी कम होगी पृथ्वी के ऊपर कंपन उतना ही अधिक होगा। साथ ही नुकसान की आशंका भी उतनी ज्यादा होगी।
पैमाना और खतरे की आशंका
– 0 से 1.9 : भूकंप आने पर सिर्फ सीज्मोग्राफ से ही पता चलेगा।
– 2 से 2.9 : रिक्टर स्केल का भूकंप आने पर हल्का कंपन।
– 3 से 3.9 : इस पैमाने पर लगेगा आपके बगल से भारी वाहन तेजी से गुजरा हो।
– 4 से 4.9 : घर के कांच टूट सकते हैं। सीलिंग फैन हिलने लगेंगे।
– 5 से 5.9 : खिड़की दरवाजे हिलेंगे। मेज के सामान गिर जाएंगे।
6 से 6.9 : घरों की नींव भी दरक सकती है। पहले मंजिल के ऊपर की इमारत गिर सकती है।
– 7 से 7.9 : यह खतरनाक स्थित का पैमाना है। इसमें काफी नुकसान होता है।
– 8 से 8.9 : घर, पुल व बड़े निर्माण गिर जाते हैं।
– 9 और उससे ज्यादा : भारी तबाही वाला पैमाना। नंगी आंख से धरती हिलते देखा जा सकता है। समुद्र पास है तो सुनामी जैसा नुकसान हो सकता है।

