उत्तराखण्ड
उत्तराखंड: आदर्श गांव बनाने के लिए गांव नहीं खोज पा रहे सांसद
उत्तराखंड जहां नेता भले ही विकास को लेकर लंबी-चौड़ी घोषणाएं तो जरुर कर देते हैं लेकिन उन्हें अमल में लाने पर भूल जाते हैं। पीएम मोदी ने पहले कार्यकाल में सभी सांसदों से एक गांव को गोद लेने का आग्रह किया था, जिसका उद्देश्य प्रतिवर्ष एक गांव गोद लेकर वहां बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराने की थी लेकिन उत्तराखंड के पांच सांसद आदर्श गांव बनाने के लिए अभी तक पांच गांव की खोज नहीं कर पाए। सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत प्रत्येक सांसद से 2024 तक कम से कम आठ गांवों को आदर्श बनाने की जिम्मेदारी लेने की अपेक्षा की गई है।
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पौड़ी गढ़वाल के सासंद तीरथ सिंह रावत को छोड़कर कोई भी सांसद 2023-34 तक के लिए एक गांव चयनित नहीं कर पाए। वहीं सांसद अजय भट्ट और अजय टम्टा 2021-22 तक ही गांव गोद लिया। वहीं रमेश पोखरियाल निशंक ने अभी तक गांव का चयन तक नहीं कर पाए हैं। वहीं टिहरी सांसद महारानी राज्यलक्ष्मी शाह आदर्श गांव बनाने के लिए 2019-20 में केवल एक ग्राम पंचायत का चयन कर पाई है। जिनका उन्हें विकास करना है। वहीं राज्यसभा के तीन सांसद भी एक गांव क चयन नहीं कर पाए।
इस योजना के तहत सभी सांसदों को वर्ष 2019 से 2024 तक पांच-पांच गांव गोद लेकर उनका विकास करना था, लेकिन गढ़वाल सांसद तीरथ रावत को छोड़कर कोई भी सांसद गोद ले रहे सभी ग्राम पंचायतों का चयन नहीं कर पाए, जिसकी वजह से शासन को उनके इस चुनाव के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है।

