उत्तराखण्ड
उत्तराखंड मुख्यमंत्री पद को लेकर कवायद तेज, राजनीतिक गलियारों में तैर रहे ये नाम
हल्द्वानी : CM of Uttarakhand 2022: पांच राज्यों के चुनाव में चार में भाजपा ने रिकार्ड जीत दर्ज की है। सभी जगहाें पर करीब-करीब सीएम पद के नाम फाइनल हैं पर उत्तराखंड में सीएम धामी के खुद चुनाव हारने से मामले में पेच फंस गया है।
काफी लोग सीएम पर पर दोबारा धामी के लिए ही लाबिंग कर रहे हैं। वहीं भाजपा हाईकमान में इस बात का मंथन चल रहा है पर किस नाम पर मुहर लगेगी यह इसकी सिर्फ अटकले ही लगाई जा रहीं हैं।
सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री पद के लिए पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, केंद्रीय राज्यमंत्री अजय भट्ट, मंत्री सतपाल महराज, धन सिंह रावत व ऋतु खंडूरी के नामों पर चर्चा चलने की खबर छनकर बाहर आ रही है। पर फाइनल नाम पर कोई कुछ नहीं कह सकता।
संभावना जताई जा रही कि होली के बाद ही फाइनल नाम हाईकमान द्वारा घोषित किया जाएगा। उससे पहले उप्र में सीएम पद की शपथ देकर मंत्रिमंडल की घोषणा में सब जुटे हुए हैं।
उत्तराखंड सीएम (Uttarakhand CM) के लिए माना जा रहा कि अनुभव व साफ सुथरे चेहरे व पहाड़ मैदान दोनों को साधने वाले को ही तवज्जो दी जाएगी। जिन नामों की चर्चा हैं उनमें हैं-

रमेश पोखरियाल निशंक
भाजपा के वरिष्ठ नेता व हरिद्वारा से सांसद रमेश पोखरियाल निशंक ने 1991 में पहली बार कर्णप्रयाग निर्वाचन क्षेत्र से जीतकर विधायक बने। यहीं से वह 1993 और 1996 के चुनावों में भी विजयी रहे। 1997 में वह उत्तर प्रदेश सरकार के अंतर्गत उत्तरांचल विकास मंत्री बनाए गए। राज्य की स्थापना के बाद 2002 में थालीसैन निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ा। इसमें वह हार गए। आगामी 2007 के चुनावों में इसी निर्वाचन क्षेत्र से वह जीत गए। 27 जून वर्ष 2009 में वह प्रदेश के पांचवें मुख्यमंत्री बनाए गए। 2012 में वह डोइवाला से विधायक बने। 2014 में इस्तीफा देकर वह हरिद्वार से सांसद चुने गए। इसके बाद दूसरी बार यहीं से सांसद बने और मोदी के दूसरे कार्यकाल में मानव संसाधन विकास मंत्री बनाए गए। एक बार सीएम व केंद्रीय मंत्री रहने का अनुभव व सबको साधने की विलक्षणता के चलते इनका नाम सीएम के लिए चर्चा में है।
सतपाल महराज
कांग्रेस से भाजपा में शामिल होकर मंत्री बने सतपाल महराज प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु योगीराज परमंत श्री हंस और राजेश्वरी देवी के बेटे हैं। 2009 उन्हें गढ़वाल निर्वाचन क्षेत्र से 15वीं लोकसभा (दूसरी अवधि) में फिर से निर्वाचित किया गया था।
1999 कांग्रेस पार्टी की कमान सोनिया गांधी के संभालने के बाद वह दोबारा कांग्रेस में शामिल हो गए। 1997 वह जून 1997 से मार्च 1998 तक वित्त राज्य मंत्री थे।
2014 में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए। वर्तमान में, वह उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री हैं। 2017 से वह चौबट्टाखल विधायक हैं। लाखों अनुयायी व लंबा राजनैतिक अनुभव की वजह से सीएम पद की दौड़ में उनका नाम भी शामिल है।
धन सिंह रावत
धन सिंह का जन्म सात अक्टूबर 1971 को हुआ था. वह जनपद पौड़ी गढ़वाल के मूल निवासी हैं. वह डबल एमए हैं और राजनीति विज्ञान में उन्होंने पीएचडी की हुई है. 2012 में प्रदेश के उपाध्यक्ष बनाए गए। 2012 में पौड़ी के श्रीनगर से चुनाव हार गए। 18 मार्च 2017 से उत्तराखंड सरकार में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), सहकारिता, प्रोटोकॉल एवं दुग्ध विकास विभाग है. दूसरी बार घटिमा से दूसरी बार विधायक बने हैं. वह महाराष्ट्र के राज्यपाल बीएस कोश्यारी के करीबी बताए जाते हैं। वह वर्ष 2001 में कोश्यारी सरकार के समय मुख्यमंत्री के ओएसडी भी रहे चुके हैं।
अजय भट्ट
1996 से 2007 तक वह रानीखेत से विधायक रहे चुके हैं। वह उत्तराखंड सरकार में कई विभागों में मंत्री रह चुके हैं। 2012 से 2017 तक वह विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी रहे हैं। 2015 में उन्हें प्रदेश उपाध्यक्ष भी चुना जा चुका है। 2017 के विधानसभा चुनाव में वह भाजपा लहर में इंदिरा ह्देश से चुनाव हार गए थे। 2019 में वह नैनीताल-उधमसिंह नगर लोकसभा सीट से हरीश रावत को तीन लाख से अधिक वोटो से हराया। इसी साल वह भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चुने गए। जमीन से जुड़े व बहुत सही सामान्य घर से आने के कारण वह आम जन के नेता हैं।
ऋतु खंडूरी
यमकेश्वर से विधायक रह चुकीं ऋतु खंडूरी का नाम भी चर्चा में है। 2022 के चुनाव में अंतिम समय में भाजपा नेतृत्व ने उनकी सीट यमकेश्वर से कोटद्वार कर दिया। यहां से उनके पिता व पूर्व सीएम बीसी खंडूरी चुनाव हार गए थे। उन्होंने इस सीट से विजय हासिल की और राजनीतिक संदेश गया कि उन्होंने पिता की हार का बदला लिया। महिला चेहरा होने के कारण व भाजपा की चौंकाने वाली पद्वति के चलते उनके नाम की भी सुगबुगाहट है।

