उत्तराखण्ड
पाखरो टाइगर सफारी प्रकरण में दो अन्य आइएफएस को नोटिस
देहरादून। कार्बेट टाइगर रिजर्व के अंतर्गत कालागढ़ टाइगर रिजर्व प्रभाग में पाखरो टाइगर सफारी, अवैध कटान व निर्माण के बहुचर्चित मामले में शासन ने पहली बार विभाग के तत्कालीन मुखिया राजीव भरतरी और प्रमुख वन संरक्षक वन्यजीव को कारण बताओ नोटिस जारी किए हैं। उन्हें उत्तर देने के लिए 15 दिन का समय दिया गया है।
यह प्रकरण पिछले वर्ष तब प्रकाश में आया, जब राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की टीम ने स्थलीय जांच में शिकायतों को सही पाया। प्राधिकरण ने दोषी अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई की संस्तुति की।
इसके बाद बीती 27 नवंबर को तत्कालीन मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक जेएस सुहाग से यह जिम्मेदारी वापस ले ली गई। साथ ही कालागढ़ टाइगर रिजर्व प्रभाग के डीएफओ किशन चंद को वन मुख्यालय से संबद्ध कर दिया गया था। इस बीच वन मुख्यालय ने प्रकरण की जांच कराई।
इसमें बात सामने आई कि टाइगर सफारी के लिए पेड़ कटान, पाखरो से लेकर कालागढ़ तक हुए निर्माण कार्यों में गंभीर प्रशासनिक, वित्तीय, विधिक व आपराधिक अनियमितता हुई है।
इसके बाद हाल में ही शासन ने आइएफएस सुहाग व किशन चंद को निलंबित कर दिया था, जबकि कार्बेट टाइगर रिजर्व के निदेशक राहुल को वन मुख्यालय से संबद्ध कर दिया था। साथ ही आइएफएस राहुल, किशन चंद व अखिलेश तिवारी को नोटिस भेजे गए।
इस बीच 29 अपै्रल को हुई सुप्रीम कोर्ट की सेंट्रल इंपावर्ड कमेटी ने भी इस प्रकरण पर सख्त रुख अपनाते हुए तमाम बिंदुओं पर जानकारी मांगी थी। लगभग दो हजार पृष्ठ का जवाब शासन कमेटी को सौंप चुका है। अब शासन ने आइएफएस राजीव भरतरी व अनूप मलिक को कारण बताओ नोटिस भेजे हैं। उन पर अपने दायित्व में लापरवाही का आरोप है।
भरतरी ने उठाई निष्पक्ष जांच की मांग
सूत्रों के अनुसार वरिष्ठ आइएफएस भरतरी ने बीती 19 मई को सुप्रीम कोर्ट की सेंट्रल इंपावर्ड कमेटी को इस प्रकरण में पत्र भेजा। इसमें विस्तार से जानकारी देने के साथ ही प्रकरण की निष्पक्ष जांच की मांग उठाई गई है।

