उत्तराखण्ड
बच्चे और मगरमच्छ की मौत के बाद अब वनकर्मियों को रेस्क्यू की दी जाएगी ट्रेनिंग
हल्द्वानी : तराई पूर्वी डिवीजन के वनकर्मियों को मगरमच्छ के सुरक्षित रेस्क्यू को लेकर उत्तर प्रदेश के विशेषज्ञ ट्रेनिंग देंगे। डिवीजन के तहत आने वाले सितारगंज, खटीमा और नानकमत्ता क्षेत्र में अक्सर मगरमच्छ आबादी में पहुंच जाते हैं। तीन जुलाई को मगरमच्छ के हमले में एक किशोर की मौत भी हुई थी।
आबादी क्षेत्र में लगातार मगरमच्छों के पहुंचने की वजह से भविष्य में मानव-वन्यजीव संघर्ष बढऩे की आशंका बनी हुई है। इसलिए वन विभाग अब तराई के इन वनकर्मियों को उत्तर प्रदेश के कुकरैल घडिय़ाल प्रजनन केंद्र और कतर्निया मगरमच्छ प्रजनन केंद्र के विशेषज्ञों से रेस्क्यू का प्रशिक्षण दिलवाएगा।
बड़े नालों और नदी के कारण ऊधम सिंह नगर के सितारगंज, खटीमा और नानकमत्ता में मगरमच्छ मिलना आम बात है। खटीमा में राज्य का पहला क्रोकोडाइल पार्क भी है। जिसमें बड़ी संख्या में मगरमच्छ पाए जाते हैं। बीते रविवार को खटीमा स्थित देवहा नदी में मगरमच्छ एक किशोर को पानी में खींचकर ले गया। जिसका अब तक पता नहीं चला।
शक के आधार पर एक मगरमच्छ को पकड़ उसका एक्सरे कराया गया था। लेकिन उसके हमलावर होने की बात गलत निकली। जिसके बाद सोमवार को किशनपुर रेंज परिसर में वन्यजीव चिकित्सकों ने मगरमच्छ का पोस्टमार्टम किया।
डीएफओ तराई पूर्वी संदीप कुमार के मुताबिक मृतक बच्चे के स्वजन भी इस दौरान मौजूद थे। पीएम से भी स्पष्ट हो गया कि यह हमलावर मगरमच्छ नहीं था। वहीं, पानी से निकालने के बाद मगरमच्छ की मौत भी हो गई थी। वहीं, डीएफओ ने बताया कि तराई की रेंजों के स्टाफ आज तक दस मगरमच्छों का रेस्क्यू कर चुके हैं।
अब इन्हें उत्तर प्रदेश के इन दो मगरमच्छ प्रजनन केंद्र से भी पूरा प्रशिक्षण दिलवाया जाएगा। ताकि रेस्क्यू के दौरान किसी तरह की गलती न हो सके। इसके लिए ककरैल और कतर्निया सेंटर के अफसरों से संपर्क किया जा रहा है। जिसके बाद विशेषज्ञ यहीं आएंगे।

