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बाजपेई की गैरमौजूदगी में बाजपेई को याद करना ….

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अटल बिहारी वाजपेई की मृत्यु के बाद यह उनका चौथा जन्म दिवस है । जहां हम उनके व्यक्तित्व के जीवंत पहलुओं का स्मरण कर उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि दे सकते हैं ।
स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई की मृत्यु के बाद उनका महत्त्व लगातार बढ़ता जा रहा है क्योंकि आज देश में राजनीतिक स्वार्थ के आगे दीर्घकालीन राष्ट्रहित लगातार नजरअंदाज किया जा रहा है। तब अटल बिहारी बाजपेई जैसे साहसी और स्पष्ट वक्ता के होने का मतलब बहुत बड़ जाता है। जो अपनों को चेता सके जो अपनों को बता सकें कि राष्ट्र हमेशा राजनीति से आगे है।
अपनी सरकार के गिरने पर संसद में जब वह कहते हैं ।
” सरकारें आएंगी और जाएंगी, पार्टियां बनेंगी और बिगड़ेगी लेकिन भारत रहना चाहिए इसका लोकतंत्र बचा रहना चाहिए ” यह लोकतंत्र के प्रति उनकी निष्ठा को दर्शाता है ।
लोकतंत्र ही वह बुनियादी तत्व है जो आखिर में आपके बचे रहने की गारंटी देता है लोकतंत्र कोई मशीन की प्रक्रिया नहीं है, यह एक भावना है , जिसकी बुनियाद विपरीत मत का सम्मान है ।
गुजरात में गोधरा के बाद की स्थितियों में सार्वजनिक रूप से अपने ही दल के मुख्यमंत्री को ” राजधर्म का सबक” अटल बिहारी वाजपेई जैसा लोकतांत्रिक व्यक्ति ही पढ़ा सकता है।
अटल बिहारी बाजपेई की जीवन यात्रा निरंतर परिवर्तनशील रही अपने जीवन की शुरुआत ए .आई. एस. एफ जैसी वामपंथी छात्र राजनीति से शुरू कर, कब और कितनी सहजता से वह राष्ट्रवादी दक्षिणपंथी राजनीति के पुरोधा बन गए , यह भी उनकी राजनीति का एक महत्वपूर्ण पक्ष है । राजनीति में पार्टी और देश हित के बीच में उन्होंने हमेशा एक साफ अंतर रखा , और मानते रहे पार्टी से ज्यादा महत्वपूर्ण हमेशा देश है ।काश आज हम ऐसा समझ पाते. धर्म संसद के नाम पर हो रही अधर्म की गतिविधियों को रोक पाने का साहस दिखा पाते, यह बता पाते कि नफरत को बडाने से हमें तात्कालिक लाभ तो होगा, लेकिन एक राष्ट्र के रूप में हम लगातार कमजोर होते जाएंगे.
राजनीतिक सहिष्णुता और विपरीत मत का सम्मान ही उनके व्यक्तित्व का मूल था ।जिसे आज की राजनीति में पुनर्स्थापित किया जाना , ही ,उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि होगी । नमन् 💐💐💐 !

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संपादक - कस्तूरी न्यूज़

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