उत्तराखण्ड
उत्तराखंड में बागियों की बगावत थामने के लिए अब सिर्फ कल दोपहर तक का समय
हल्द्वानी: उत्तराखंड विधानसभा का चुनाव अब दिलचस्प मोड़ पर पहुंच चुका है। राष्ट्रीय दलों के अलावा क्षेत्रीय दल के उम्मीदवार घोषित करने के बाद नामांकन का दौर भी खत्म हो चुका है, लेकिन भाजपा और कांगे्रस को कुछ सीटों पर बगावत का सामना करना पड़ रहा है। इसमें पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की सीट भी है। टिकट की रेस में पिछडऩे वाले कई नेताओं ने बागी बनकर चुनाव मैदान में उतरने का एलान कर निर्दलीय तौर पर पर्चा भी भर दिया। 31 जनवरी को नाम वापसी का दिन होगा। ऐसे में भाजपा और कांग्रेस के पास रूठों को मनाने के लिए सिर्फ आज का दिन बचा है। भाजपा-कांग्रेस के रणनीतिकारों ने इस दिशा में प्रयास भी शुरू कर दिए हैं। अब देखना यह है कि किसे ज्यादा कामयाबी मिलती है।
कुमाऊं में बगावत की अभी तक की स्थिति की बात करें तो लालकुआं सीट पर पूर्व सीएम हरीश रावत के खिलाफ संध्या डालाकोटी ने निर्दलीय के तौर पर नामांकन किया है। टिकट देने के बाद कांग्रेस ने संध्या का नाम वापस ले लिया था। इसी सीट पर भाजपा के मोहन बिष्ट को टिकट मिलने पर पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष पवन चौहान ने भी नामांकन कर दिया। रुद्रपुर में सीटिंग विधायक राजकुमार ठुकराल का टिकट कटने पर वह निर्दलीय मैदान में उतर चुके हैं। कालाढूंगी में बंशीधर भगत तीसरी बार भाजपा के टिकट से लड़ रहे हैं। यहां मंडी विपणन बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष गजराज बिष्ट ने भी नामांकन किया है। रामनगर में कांग्रेस ने पूर्व सांसद डा. महेंद्र पाल को उम्मीदवार बनाया तो पूर्व ब्लाक प्रमुख संजय नेगी ने निर्दलीय पर्चा भर दिया।
वहीं, भीमताल में भाजपा से टिकट नहीं मिलने पर मंडी समिति के पूर्व अध्यक्ष मनोज साह भी मैदान में उतर गए। बागेश्वर में कांग्रेस ने रणजीत दास को टिकट थमाया तो पार्टी के दो अन्य लोगों ने भी नामांकन करा दिया। अब देखना यह है कि शनिवार और रविवार तक भाजपा और कांग्रेस किस तरह असंतुष्ट नेताओं को मनाते हैं। 31 जनवरी को रणनीति की जमीनी स्थिति पता चल जाएगी। फिलहाल द्वाराहाट सीट पर भाजपा के कैलाश भट्ट ने पार्टी प्रत्याशी के समर्थन में चुनाव लडऩे का फैसला टाल पार्टी को राहत दी है।