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वो ताकतवर राजपक्षे फैमिली, जिस पर लग रहे हैं श्रीलंका को बर्बाद करने के आरोप

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पिछले करीब दो दशकों से श्रीलंका पर राजपक्षे परिवार का निष्कंट राज था. इस परिवार से कभी कोई प्रधानमंत्री बनता था तो कभी कोई राष्ट्रपति. मंत्रियों से लेकर पॉवरफुल पोजिशन पर इस परिवार का कब्जा था. कुछ समय पहले तक तो इस देश का प्रधानमंत्री अगर राजपक्षे भाई था तो राष्ट्रपति दूसरा राजपक्षे भाई. मंत्रिमंडल में भी काफी जगह इसी फैमिली के लोगों के पास थी. जब महिंदा राजपक्षे ने लिट्टे पर बड़ी और लंबी सैन्य कार्रवाई करके उसे और उसके प्रमुख प्रभाकरण को नेस्तनाबूद कर दिया था तो ये परिवार श्रीलंका में पूजा जाने लगा था. लेकिन अब यही परिवार अपने भ्रष्टाचार और गलत फैसलों के कारण देश में नंबर वन खलनायक परिवार बन चुका है.

बीते रविवार को जब हजारों लाखों लोगों की नाराज भीड़ ने अग्रालय यानि देश के राष्ट्रपति भवन पर हमला करते हुए उस पर कब्जा कर लिया तो पद पर जमे हुए राष्ट्रपति गोटाबायो राजपक्षे वहां से भाग निकले. अब वह कहां इसका किसी को पता नहीं लेकिन अब उनके इस्तीफे की खबरें जरूर आ रही हैं. इस समय श्रीलंका जिस घनघोर संकट में चारों ओर से फंस गया है, उसके पीछे इसी परिवार को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है. हालांकि लोगों का ये कहना है कि राजपक्षे परिवार के लोग विदेश भागकर वहां शरण ले चुके हैं. विदेशी बैंकों के साथ देश से बाहर उन्होंने बड़े पैमाने पर अपनी संपत्तियां खड़ी कर ली हैं.

राजपक्षे परिवार कुछ समय पहले तक श्रीलंका का सबसे ताकतवर सियासी फैमिली था. सबसे धनी परिवार. सबसे खतरनाक परिवार. साथ में देश का सबसे चहेता परिवार भी. मीडिया उनके गुणगान करते नहीं थकता था. जो विरोध में खड़ा होता वो या तो जेल में होता या फिर गायब हो जाता. हालांकि अब वो सबके लिए देश का सबसे बड़ा खलनायक परिवार है. पिछले करीब डेढ़ दशकों से श्रीलंका पर इस परिवार ने जबरदस्त शिकंजा कस रखा है

श्रीलंका का पत्ता पत्ता कभी इस परिवार की मर्जी के बगैर खड़क भी नहीं सकता था. श्रीलंका में हर साल जो बजट पेश किया जाता है, उसके 70 फीसदी पर इस परिवार का कंट्रोल रहता था. मतलब बजट को इस परिवार के फैमिली बिजनेस और फायदों के हिसाब से बनाया जाता था. वैसे कभी इस परिवार के पास स्कूल जाने के भी पैसे नहीं होते थे, जिंदगी कठिन थी लेकिन अब माना जाता है कि उनके पास बेहिसाब दौलत है. जिसे दुनियाभर में बहुत गोपनीय तरीके से बैंकों में जमा रखा गया है या फिर छिपाया गया है.

इसी तरह बहुमूल्य पेंटिंग्स, जेवर, बेशकीमती सामान, लग्जरी मकान इस परिवार के पास गुप्त तरीके से दुनियाभर में फैले हैं. जिसे मैनेज करने के लिए तमाम व्हाइट कॉलर प्रोफेशनल्स, वकीलों और काले धन को ठिकाने लगाने वाली कंपनियों की मदद ली जाती है.

पैंडोरा पेपर्स ने खोली थी पोल 

कुछ समय पहले पैंडोरा पेपर्स ने इस परिवार की कलई खोली थी कि कैसे इसी परिवार से जुड़ी हुई निरुपमा राजपक्षे और उनका तमिलियन हिंदू पति तिरुकुमार नदेसन राजपक्षे परिवार की अकूत संपत्ति को तमाम शैल कंपनियों और ट्रस्ट के सहारे दुनियाभर में मैनेज करते हैं. यूं तो श्रीलंका की राजनीति में ये माना जाता है कि राजपक्षे परिवार सत्ता में रहने के लिए पिछले दो दशकों से तमिलों और सिंहलियों के बीच नफरत पैदा करने की भी राजनीति करते रहे हैं लेकिन ये दिलचस्प है कि उनके परिवार में ऐसे भी सदस्य हैं, जिनकी शादी तमिलों में हुई.

वैसे “द इकोनामिस्ट” अपने ताजातरीन लेख में राजपक्षा परिवार के बारे लिखता है कि राजपक्षे फैमिली की प्राब्लम ये नहीं होगी कि सरकार में उनके परिवार के इतने लोग क्यों हैं बल्कि समस्या ये होगी कि और लोग क्यों नहीं हैं.

04 भाइयों ने द्वीप को तबाह कर दिया

“ब्लूमबर्ग” की रिपोर्ट कहती है कि कैसे 04 ताकतवर भाइयों ने मिलकर श्रीलंका को तबाह कर दिया. दुनियाभर में मीडिया में अब वो कहानियां कही जा रही हैं कि राजपक्षे परिवार किस लग्जरी और वैभव के साथ श्रीलंका के धन पर दशकों से अय्याशी करता रहा है और वहां का बेतहाशा धन बाहर भेजकर उसको खोखला कर चुका है.

राजपक्षे बंधु, ये तीनों भाई सरकार में हैं और इस परिवार में सियासत को मैनेज करने को लेकर गजब का एका देखा गया है.

अकूत धन और संपत्ति दुनियाभर में फैली है शैल कंपनियों के जरिए

पैंडोरा पेपर्स कहता है कि वर्ष 2018 में लंदन के एक विशाल वेयरहाउस से स्विटजरलैंड के जिनेवा फ्री पोर्ट पर जाने के लिए 21 बेशकीमती पेंटिंग्स लादी जा रही थीं. जिनकी कीमत 10 लाख डॉलर से कहीं ज्यादा थीं. इसमें कुछ राजा रवि वर्मा की बहुमूल्य पेंटिंग्स भी थीं. इन पेंटिंग्स का मालिक सामोआ की कोई शैल कंपनी थी, जिसके तार पैसिफिक कमोडिटीज लिमिटेड है, जिसके कर्ताधर्ता निरुपमा राजपक्षा के पति हैं.

कौन करता है विदेशों में सीक्रेट प्रापर्टी और संपत्ति को मैनेज

पंडोरा पेपर्स कहता है कि सालों से ये दंपत्ति मुख्य तौर पर राजपक्षे फैमिली की अकूत दौलत को बाहर गुप्त तौर पर मैनेज कर रही है. इसमें सबकुछ है. निरुपमा श्रीलंका के मौजूदा राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की भतीजी हैं, जो खुद श्रीलंका सरकार में पूर्व मंत्री रह चुकी हैं और सांसद भी हैं.

इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ इनवेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट की रिपोर्ट कहती है कि इस दंपति ने पिछले कुछ दशकों में राजपक्षा परिवार की इतनी बड़ी दौलत और संपत्ति का गुप्त साम्राज्य खड़ा किया है कि मालूम होने पर शायद दुनिया हैरान रह जाए.

देश के बाहर राजपक्षे परिवार की कितनी संपत्ति

अंदाज है कि देश से बाहर इस परिवार की कुल दौलत औऱ संपत्ति 18 मिलियन डॉलर से कहीं ज्यादा की है. हालांकि कोलंबो टेलीग्राफ की रिपोर्ट कहती है कि वर्ष 2005 से 2015 के बीच ही इस फैमिली ने कमीशन और भ्रष्टाचार में 1.2 बिलियन डॉलर की रकम कमाई है. उसके बाद की रकम और भी ज्यादा ही होगी.

वैसे मानवाधिकार संगठनों की नजर में श्रीलंका के पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने जिस तरह लिट्टे के खिलाफ सिविल वार में सेना को झोंककर इस संगठन का सफाया कर दिया था, उसमें 40 हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे. उन्हें वार क्रिमिनल माना जाता है. महिंदा ने तमाम दबाव और अपीलों के बाद भी कभी इस आपरेशन की इंटरनेशनल जांच नहीं होने दी. दुनिया भी उनका कुछ बिगाड़ नहीं सकी.

महिंदा राजपक्षे अपने बड़े बेटे के साथ, जो श्रीलंका में मनी लांड्रिग और भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर चर्चित रहा है.

तमिलों और लिट्टे के खिलाफ कार्रवाई करके हीरो बन गए

महिंदा उसी वार के खिलाफ अपने देश में सिंहलियों और बोद्धों के हीरो बन गए. वो फिर गद्दी से ऐसा चिपके कि बस पूरे परिवार को श्रीलंका की राजनीति में कंट्रोल करने के लिए ले आए. बस वर्ष 2019 में कुछ समय के लिए उन्हें चुनाव हारने के बाद सत्ता से बेदखल होना पड़ा था.

कई देशों के बैंकों में छिपा है गुप्त धन

श्रीलंका के पूर्व अफसर मानते हैं कि राजपक्षा की दौलत दुबई, सेशेल्स और सेंट मार्टिन समेत टैक्स हैवेन देशों के बैंकों में छिपी हुई है. इस परिवार में मुख्य तौर पर 08 लोगों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच चल रही थी लेकिन गोटाबायो राजपक्षे के राष्ट्रपति बनने के बाद से ये जांच रोक दी गई.

वर्ष 2009 में महिंदा राजपक्षे ने प्रधानमंत्री रहते लिट्टे के प्रमुख प्रभाकरण समेत पूरे संगठन को खत्म कर दिया. इसके बाद वो देश में हीरो बन गए. इसके बाद उन्होंने दूसरे टर्म का चुनाव आसानी से जीता. तब से इस परिवार का शिकंजा श्रीलंका पर कमोवेश पूरे तौर पर कस चुका है. श्रीलंका की इस हालत के लिए उन्हें ही जिम्मेदार माना जा रहा है.

तब चीन से पींगे बढाईं और भ्रष्टाचार भी शुरू हुआ

जैसे ही महिंदा राजपक्षे ने दूसरे टर्म का चुनाव जीता,तब उन्होंने भारतीय कंपनियों को हटाकर देश के बड़े बडे़ प्रोजेक्ट चीन को देने शुरू किए. यहीं से देश में भ्रष्टाचार भी बडे़ स्तर पर शुरू हुआ. जो केवल राजपक्षे फैमिली को समृद्ध कर रहा था. ये भी कहा जाता है कि पिछले डेढ़ दशकों में इस परिवार ने बडे़ पैमाने पर अपने सियासी विरोधियों को भी ठिकाने लगा दिया.

राष्ट्रपति गोटाबायो राजपक्षे

अब पद से इस्तीफा दे चुके राष्ट्रपति गोटाबायो राजपक्षे 72 साल के हैं. उन्हें बहुत गुस्सैल कहा जाता है लेकिन वो अपने बडे़ भाई के मुख्य सिपहसलार रहे हैं. जब लिट्टे के खिलाफ आपरेशन चल रहा था जब रक्षा महकमा उनके बड़े भाई के पास था लेकिन रक्षा सचिव का काम करते हुए सभी कुछ बातों को अंदाज या क्रियान्वित वो कर रहे थे.

प्रधानमंत्री बडे़ महिंदा राजपक्षे

जब गोटाबायो ने राष्ट्रपति का चुनाव जीता तो इसके बाद उन्होंने बडे़ भाई महिंदा (76 साल) को देश का प्रधानमंत्री बना दिया. ऐसा दूसरी बार हुआ है जब गोटाबायो ने उन्हें तीन साल के कार्यकाल के प्रधानमंत्री बनाया हो.

वित्त मंत्री हैं छोटे भाई बेसिल हैं फैमिली के मास्टर माइंड

हाल ही में वित्त मंत्री के पद से इस्तीफा देने वाले बेसिल राजपक्षाे के पास दोहरी नागिरकता है. 70 साल के बेसिल के पास अमेरिका की भी नागरिकता है. वैसे उन्हें दरअसल इस परिवार का असली मास्टरमाइंड माना जाता है. ये भी चर्चाएं रही हैं कि महिंदा कई गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं लिहाजा उनकी जगह बेसिल भी देश के प्रधानमंत्री बन सकते हैं. उन्हें मिस्टर टेन परसेंट भी कहते हैं यानि सारे सरकारी ठेकों में बगैर कमीशन के वो कुछ नहीं करते.

चमन राजपक्षे हैं कृषि मंत्री पहले स्पीकर थे

एक और भाई चमल 79 साल के हैं. वो पहले संसद में स्पीकर थे. अब कई महकमों के मंत्री. एक जमाने में वह श्रीलंका में पुलिस अफसर थे लेकिन फिर श्रीलंका की पहली महिला प्रधानमंत्री सिरिमाओ भंडारनायके के पर्सनल बॉडीगार्ड भी बने. चमल का बेटा भी सरकार में राज्यमंत्री है.

महिंदा का बेटा तमल भी ताकतवर मंत्री 

महिंदा के बेटे तमल को इस तरह तैयार किया जा रहा है कि वह कल को देश की बागडोर संभाल सके. 35 साल के तमल की  सियासत में एंट्री तब हुई थी जब वह केवल 24 साल के थे. फिलहाल वो देश के ताकतवर और असरदार मंत्री हैं. उनके खिलाफ मनी लांड्रिंग और भ्रष्टाचार के आरोप रहे हैं.

1930 के दशक से परिवार सियासत में 

वैसे राजपक्षे परिवार में सियासत की शुरुआत 1930 के दशक में हुई थी. जब राजपक्षे बंधुओं के चाचा राजनीति में आए और चुनाव लड़ा. उनके निधन के बाद पिता डान एल्विन ने हम्मनतोटा से चुनाव जीता. वो कई बार सांसद रहे. बाद में उन्होंने राजनीतिक पार्टी बनाई और बुरी तरह चुनावों में हारे.

तब परिवार के खराब दिन आ गए थे

तब उनकी आर्थिक स्थिति इतनी खराब हो गई कि उन्हें अपना सबकुछ गंवाना पड़ा. प्रापर्टी बेचनी पड़ी. उनकी कुल 09 संतानें थीं और सबका पालनपोषण करना और उनकी स्कूल की फीस भरनी तक मुश्किल हो गई. एल्विन को जब हार्ट अटैक पड़ा तो घर में ये साधन भी नहीं था कि उन्हें सही समय पर अस्पताल पहुंचाया जाए. इसके चलते उनकी मृत्यु हो गई.

महिंदा फिर सियासत में चमकने शुरू हुए

इसके बाद महिंदा राजपक्षे का सितारा सियासत में धीरे धीरे चमकना शुरू हुआ. बाद में उन्होंने ना केवल खुद को बल्कि अपने पूरे परिवार और चाचा के परिवार के लोगों को भी साथ लेकर राजनीति में खुद को मजबूत करना शुरू किया. हालांकि ये समय घाघ और निर्मम माने जाने वाले राजपक्षे भाइयों के लिए अच्छा नहीं है.(साभार न्यू मीडिया।)

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संपादक - कस्तूरी न्यूज़

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