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भालू की मांद में घुसकर युवाओं ने गंगोलीहाट में एक और गुफा खोजी, अंदर म‍िला तेंदुआ व अन्‍यजीवों का कंकाल

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गंगोलीहाट : पिथौरागढ़ जिले के गंगावली क्षेत्र में युवाओं ने एक और गुफा का पता लगाया है। गुफा के अंदर विभिन्न आकृतियां उभरी हैं। इस गुफा का मुहाना काफी संकरा है। अन्य गुफाओं में जहां ऊपर की तरफ से पानी टपकता है वहीं इस गुफा में पानी रिसता है। गुफा के अंदर आक्सीजन पर्याप्त है, परंतु अत्यधिक ठंड है।

भालू की मांद से गुफा में घुसे युवक

बीते दिनों हाट कालिका मंदिर से लगभग एक किमी नीचे मिली गुफा के दौरान इस क्षेत्र में तीन अन्य गुफाओं के संकेत मिले थे। जिसमें एक गुफा का मुहाना अति संकरा था। स्थानीय ग्रामीण इसे भालू की मांद यादि भालू के आने जाने का बसेरा बताते हैं। इस गुफा के संकरे मुहाने से रावल गांव के ग्रामीण कुछ दूर जाते थे परंतु आगे नहीं जाते थे। रविवार को गांव के ही युवा दीपक रावल के नेतृत्व में ऋषभ रावल, पप्पू रावल, भूपेश पंत, सुरेंद्र बिष्ट ने हिम्मत कर गुफा के रहस्य जानने के लिए गुफा में प्रवेश किया। पहली बार युवाओं की टीम गुफा के अंदर जाकर अंतिम छोर तक पहुंची ।

मुंह संकरा होने के कारण रेंगकर पहुंचे

गुफा में प्रवेश करने वाले दीपक रावल सहित अन्य लोगों ने बताया कि गुफा का मुहाना संकरा होने से 30 से 35 फीट तक रेंग कर गुफा में पहुंचे। जहां से आगे फिर गुफा फैली हुई है। गुफा के अंदर चट्टानों पर विभिन्न आकृतियां उभरी हैं। जिसमें काल भैरव की जीभ, गरुड़ सहित अन्य आकृतियां हैं। यह सब मुहाने से लगभग 35 फीट दूरी पर बने काफी बड़े स्थान पर है।

गुफा में मिला तेंदुए का कंकाल

गुफा के अंदर युवाओं को एक गुलदार का कंकाल मिला। उनके अनुसार यह कंकाल लगभग 10 वर्ष पुराना प्रतीत हो रहा है। गुलदार के कंकाल की हड्डियां और दांत सुरक्षित हैं परंतु उसका मांस गल चुका है। इसके अलावा गुफा के अंदर अन्य जंगली जानवरों के भी शव नजर आए। उनका मानना है कि गुफा में प्रवेश के लिए अन्य कोई मार्ग भी हो सकता है।

गुफा की छत से रिस रहा है पानी

युवाओं का कहना है कि जहां अन्य गुफाओं में गुफा की छत की तरफ से पानी टपकता है वहीं इस गुफा में पानी रिसता है। इस गुफा के नीचे की तरफ सालीखेत नाला बहता है। इसे सालीखेत नाले का कैंचमेंट एरिया होने की संभावना है। गंगावली वडर्स के युवाओं ने बताया कि रविवार को देर होने से गुफा का पूरी तरह अवलोकन नहीं हो सका। गुफा के भीतर जिस तरह पत्थरों का बिखराव हुआ है उससे भूगर्भीय हलचल का प्रभाव भी नजर आया।

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संपादक - कस्तूरी न्यूज़

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