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सुप्रीम कोर्ट ने कहा आपकी दिलचस्पी बूढ़ी मां में कम, संपत्ति में ज्यादा दिखती है
सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के मोतिहारी में रहने वाले एक बेटे को अपनी 89 साल की बुजुर्ग मां की संपत्ति के बारे में कोई भी सौदेबाजी करने से रोक दिया है। न्यायमूर्ति धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने इस तथ्य का गंभीरता से संज्ञान लिया कि जो मां चल फिर भी नहीं सकती, उसकी दो करोड़ रुपए की संपत्ति को बेचने के लिए उसका बेटा मोतिहारी के रजिस्ट्रार के दफ्तर में उसका अंगूठा लगवाने ले गया था।
जजों ने कहा-आपकी दिलचस्पी उनकी संपत्ति में ज्यादा दिखती है। हमारे देश में वरिष्ठ नागरिकों की यही त्रासदी है। अदालत ने बुजुर्ग वैदेही सिंह की चल-अचल संपत्ति की खरीद-फरोख्त पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है। पीठ इस मामले की सुनवाई अब 17 मई को करेगी।
बुजुर्ग वैदेही सिंह डिमेंशिया रोग से पीड़ित हैं और वह कुछ भी समझने और पहचानने में असमर्थ हैं।
उसके बेटे के वकील से जजों ने कहा कि इस मामले में वह अपने मुवक्किल से पूछें कि क्या नोएडा मेंं उसकी छोटी बहनों को अस्पताल या घर में अपनी मां की देखभाल की इजाजत दी जा सकती है। डाक्टरों ने ऐसा ही परामर्श दिया है। सुप्रीम कोर्ट में पुष्पा तिवारी और गायत्री कुमार ने ही अपनी मां वैदेही सिंह के बारे में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की है। जिसमें उन्होंने कहा कि वे देखभाल के लिए तैयार हैं।
याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकील प्रिया हिंगोरानी और मनीष कुमार शरण ने दावा किया कि वैदेही सिंह का पुत्र अपने किसी भी भाई-बहन को मां से मिलने की इजाजत नहीं देता है। जजों ने वैदेही सिंह को अपने अधीन रखने वाले उनके पुत्र कृष्ण कुमार सिंह के वकील से कहा कि वह अपना पक्ष रखें ताकि कोर्ट उचित आदेश दे सके।
कृष्ण कुमार सिंह के वकील ने कहा कि नोएडा में वैदेही सिंह की बेटी के पास दो कमरों का एक फ्लैट है। लिहाजा वे मां को ठीक से नहीं रख पाएंगी। जजों ने कहा कि यह महत्व नहीं रखता कि आपका घर कितना बड़ा है, महत्व इस बात का है कि आपका दिल कितना बड़ा है। जजों ने कहा कि कानूनी प्रक्रिया के दौरान और मां की खराब दशा के बावजूद बेटा उनकी संपत्ति बेचने के लिए रजिस्ट्रार दफ्तर ले गया।जबकि उन्हें कोई सुध नहीं है।

