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चम्पावत: प्रभारी मंत्री की मैदान की गर्मी में ही जिला योजना की बैठक कराने की जिद जिले के लोगों पर ही भारी… यह कौन सी लक्ष्मण रेखा खींची प्रभारी मंत्री ने
गणेश दत्त पाण्डेय, लोहाघाट
- एक व्यक्ति के खातिर कल ब्रहस्परिवार को जिला मुख्यालय में दिनभर पसरा रहेगा सन्नाटा
- प्रभारी मंत्री के द्वारा तीसरी बार जिला मुख्यालय से बाहर जिला योजना की बैठक आयोजित करने से रहे लोग परेशान हैं
- ऐसे मंत्रियों के कारण ही भाजपा सरकार में ढूंढने लगते हैं आरोप लगाने के लिए विपक्षी दल मसाला
चंपावत। यह जिले का दुर्भाग्य कहे या लोगों की नियती, 15 नवंबर 1997 को अस्तित्व में आए जिले को भले ही राज्य में किसी भी दल की सरकार रही हो कोई ऐसा प्रभारी मंत्री नहीं मिला जो जिला योजना में जिले के लोगों की भावनाओं का प्रतिबिंब प्रदर्शित कर सके।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की परिकल्पना के मॉडल चम्पावत जिले में इससे बड़ा दुर्भाग्य और क्या हो सकता है जब प्रभारी मंत्री की ही कार्य शैली ही नहीं बदली, जबकि जिला योजना को नया रूप व स्वरूप मिलना चाहिए था। यह बैठक ऐसे समय में हो रही है जब मैदानी क्षेत्रों में आग उगलने वाली गर्मी से लोग त्रस्त है, जबकि पहाड़ों का ऐसा खुशनुमा माहौल है जहाँ मौसम में ठंडी बयार चल रही है। ऐसा वातावरण यदि प्रभारी मंत्री को रास नहीं आ रहा है तो यह कहा जा सकता है कि माननीय मुख्यमंत्री द्वारा जबरदस्ती कार्य का बोझ डाला गया है।
भाजपा के प्रति निष्ठावान एवं समर्पित कार्यकर्ताओं के द्वारा उनका नाम न लिखने तथा अपनी पीड़ा मुख्यमंत्री तक पहुंचाने की शर्त पर बताया कि ऐसे मंत्रियों के कारण ही सरकार का बना बनाया टेंपो खराब होकर विपक्षीयो को आरोप लगाने का मौका मिल जाता है।उनका यह भी कहना है कि कौन क्या कर रहा है? यह बात चुनाव में लोगों को एकाएक याद आ जाती है। बहरहाल लोगों का साफ़ कहना है जब प्रभारी मंत्री ऐसे खुशनुमा माहौल में भी चम्पावत नहीं आ पाती हैं, तो मुख्यमंत्री को आम लोगों के हितो को देखते हुए इनको मिले दाईत्वों का भार कम कर देना चाहिए। यही भाजपा के हित में होंगा।
फोटो- चम्पावत का जिला सभागार

