उत्तराखण्ड
आशा और पवनपरी हथिनी के सहारे अब फतेहपुर के जंगल में खोजा जाएगा बाघ, जानिए इनकी खासियत
रामनगर : फतेहपुर रेंज में महिला को निवाला बनाने वाले बाघ को पकड़ने के लिए वन विभाग सीटीआर की आशा व पवनपरी हथिनी की मदद लेगा। कई रेस्क्यू ऑपरेशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने व अच्छा अनुभव होने की वजह से दोनों की सेवा ली जा रही है।
रामनगर वन प्रभाग के अंतर्गत फतेहपुर रेंज मेें बाघ ने पनियाली निवासी महिला को मार डाला था। ग्रामीणों द्वारा लगातार बाघ को पकड़े जाने की मांग की जा रही है। बाघ की तलाश कर उसे पकडऩे के लिए सीटीआर ने ढिकाला से पवनपुरी व बिजरानी रेंज से आशा पर भरोसा जताया है। सीटीआर के वरिष्ठ वन्य जीव चिकित्सक दुष्यंत शर्मा ने कार्बेट में जितने भी बाघ या गुलदारों को रेस्क्यू किया है, उसमें आशा व पवनपरी का ही मदद ली है।
चूंकि फतेहपुर में भी डा. शर्मा रेस्क्यू ऑपरेशन में शामिल है। इसलिए उन्होंने 16 हाथी व हथिनियों में से रेस्क्यू के लिए इन दोनों पर ही विश्वास जताया है। डा. शर्मा ने बताया कि दोनों हाथी रेस्क्यू ऑपरेशन में काफी ट्रेंड हैं। मैं हमेशा इन दोनों हथिनियों के साथ ही रेस्क्यू में कंफर्ट महसूस करता हूं। सोमवार या मंगलवार तक हाथी रेस्क्यू के लिए पहुंच जाएंगे।
महावत भी हैं अनुभव प्राप्त
दोनों हथिनियों के साथ ही उनके महावत भी अनुभव वाले हैं। पवनपरी का महावत मोना व आशा का महावत शरीफ काफी समय से रेस्क्यू ऑपरेशन में रहे हैं। चूंकि आशा का महावत शरीफ अब रिटायर हो चुका है। शरीफ के लड़के को महावत का काम दिया गया है। लेकिन एकदम हथिनी से उसके पुराने महावत शरीफ को अलग नहीं कर सकते हैं। इसलिए वह भी इस रेस्क्यू में सहायक की भूमिका में रहेगा।
इसलिए है आशा व पवनपरी खास
- सुरक्षित तरीके से टीम को टाइगर के पास तक ले जाती हैं।
- जंगल में बाघ की मौजूदगी होने पर अजीब आवाज निकालकर सिगनल देती हैं।
- यदि बाघ अचानक हमला कर दे तो भागते नहीं, निडरता के साथ डटे रहते हैं।
- सभी रेस्क्यू ऑपरेशन में सफल भूमिका रही।