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अब से देश का आखिरी नहीं पहला गांव होगा चमोली का 'माणा', बीआरओ ने लगाया साइन बोर्ड

उत्तराखण्ड

उत्तराखंड में है भारत का पहला गांव, देश-दुनिया में होते हैं इसकी खूबसूरती के चर्चे

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चमोली: भारत के आखिरी गांव के बारे में तो आपने सुना ही होगा मगर क्या आप जानते हैं भारत के आखिरी गांव से मशहूर चमोली का माणा गांव अब पहला गांव कहलाया जाएगा।

उत्तराखंड के चमोली में भारत-चीन सीमा पर स्थित माणा गांव, जिसे पहले आखिरी भारतीय गांव के रूप में जाना जाता था, अब ‘पहले भारतीय गांव’ के तौर पर जाना जाएगा। सोमवार को सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने माणा गांव के प्रवेश द्वार पर एक साइनबोर्ड लगाया है, जिस पर ‘पहला भारतीय गांव’ लिखा है। सोमवार को सीमा सड़क संगठन ने सीमांत गांव माणा के प्रवेश द्वार पर देश के अंतिम गांव की जगह पहले गांव का बोर्ड लगा दिया गया है। पिछले साल अक्टूबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की टिप्पणी का समर्थन किया था, जिसमें आखिरी गांव को पहले गांव के रूप में पहचान मिलने की बात कही थी।

वाइब्रेंट विलेज के तहत माणा गांव का भी विकास किया जाएगा। जिसके तहत सीमावर्ती गांवों का विकास करना, ग्रामीणों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना, स्थानीय संस्कृति, पारंपरिक ज्ञान और विरासत को बढ़ावा देकर पर्यटन क्षमता को बढ़ाना है। गौरतलब है कि ‘वाइब्रेंट विलेज’ योजना जिसका संसद में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बजट भाषण में जिक्र किया गया था जिसका मकसद 19 जिलों, 4 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश – अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, उत्तराखंड और लद्दाख के 46 सीमावर्ती ब्लॉकों में गांवों का विकास करना है। इसी के तहत उत्तराखंड के सीमावर्ती गांवों का भी विकास किया जाएगा।

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संपादक - कस्तूरी न्यूज़

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