Connect with us

उत्तराखण्ड

उत्थान मंच के संस्थापक बलवंत सिंह चुफ़ाल का निधन, पर्वतीय समाज की अपूरणीय क्षति

खबर शेयर करें -

हल्द्वानी। पर्वतीय सांस्कृतिक उत्थान मंच, हीरानगर हल्द्वानी के संस्थापक अध्यक्ष बलवन्त सिंह चुफाल के निधन पर उत्थान मंच के अध्यक्ष खड़क सिंह बगडवाल ने इसे पर्वतीय समाज के लिए अपूर्णीय क्षति बताया है। उन्होंने कहा कि चुफाल ने हल्द्वानी में पर्वतीय समाज को एक नई पहचान दी। उनके प्रभावशाली व्यक्तित्व के कारण लोग उन्हें कुमाऊं का टाइगर भी कहते थे।

बता दें कि श्री चुफाल का शनिवार को हल्द्वानी के एक अस्पताल में ह्रदयाघात से निधन हो गया। वे लगभग 76 साल के थे। उनके निधन से कुमाऊँनी संस्कृति को भाबर में एक आधार देने वाला स्तम्भ ढह गया। उत्थान मंच के सचिव देवेंद्र तोलिया ने कहा कि हीरानगर के पर्वतीय सांस्कृतिक उत्थान मंच के स्थल के लिए उन्होंने 1980 के दौर में बड़ा आन्दोलन किया। उस आन्दोलन में शामिल हजारों लोगों का उन्होंने नेतृत्व किया था। तब जाकर हीरानगर की जमीन संस्था को मिल पाई थी।इन्द्रमणि विचार मंच के सचिव जगमोहन रौतेला ने कहा कि 1988 में चुफाल कुछ सालों तक उत्तराखण्ड क्रान्ति दल में रह कर राज्य आन्दोलन में भी सक्रिय रहे। इन्द्रमणि बड़ोनी और जसवन्त सिंह बिष्ट के साथ उक्रान्द के संरक्षक मंडल में भी थे। रौतेला ने कहा कि वे कभी हल्द्वानी के तेज-तर्रार व प्रभावशाली व्यक्तियों में शामिल थे। स्वास्थ्य ठीक न होने के कारण पिछले लगभग एक दशक से उनकी सामाजिक गतिविधियॉ बेहद कम हो गई थी। रौतेला ने कहा कि इसके बाद भी वह हर साल उत्तरैणी कौतिक के उद्घाटन के दिन 9 जनवरी और फिर शोभायात्रा के दिन 14 जनवरी को हर स्थिति में उसमें शामिल होते थे। यह उनकी सामाजिक प्रतिबद्धता को दर्शाता है। समाज के लिए उनका योगदान हमेशा याद किया जाएगा।देवभूमि उद्योग व्यापार मंडल के संस्थापक अध्यक्ष हुकम सिंह कुंवर ने कहा कि पर्वतीय सांस्कृतिक उत्थान मंच के गठन और आन्दोलन के बाद मंच को जमीन मिलने के बाद उत्थान मंच के परिसर में हर साल 8 दिन का उत्तरैणी कौतिक लगाने का निर्णय किया गया। जिसमें हर दिन विविध सांस्कृतिक कार्यक्रम, खेल-कूद और दूसरी कई तरह की गतिविधियॉ होने लगी और दर्जनों विभिन्न तरह के स्टॉल भी लगते हैं।

इसी कौतिक के तहत 14 जनवरी को हर साल विशाल शोभायात्रा शहर में निकाली जाती है। जो लोगों के आकर्षण का केन्द्र होती है।चुफाल लम्बे समय से डायबिटीज से पीड़ित थे। इस साल सार्वजनिक तौर पर वे आखिरी बार उत्तरैणी कौतिक में शोभायात्रा के दौरान हीरानगर में उत्थान मंच में शामिल हुए थे। तब उन्होंने लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा था कि हमें जात-धर्म से ऊपर उठकर केवल मानवता के लिए जीना और उसी के लिए कार्य करना चाहिए।उसी कारण स्वास्थ्य खराब होने पर कुछ दिन पहले उन्हें हल्द्वानी के ही एक अस्पताल में भर्ती किया गया था. जहॉ इलाज के दौरान ह्रदयाघात होने पर उनका निधन हुआ।

रविवार को उत्थान मंच परिसर में एक शोकसभा में उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी गई। शोकसभा में खड़क सिंह बगडवाल, यूसी जोशी, देवेंद्र तोलिया, त्रिलोक बनोली, कैलाश जोशी, चन्द्रशेखर परगांई, शोभा बिष्ट, पुष्पा सम्भल, यशपाल टम्टा, भगवान सिंह चुफाल, धर्म सिंह बिष्ट, लक्ष्मण सिंह मेहरा, वृजमोहन बिष्ट, विमला सांगुड़ी, निर्मला जोशी, नीरज बगडवाल, ऋतिक आर्य, मीमांसा आर्य, दया कर्नाटक, मधु सांगुड़ी, एनबी गुणवंत, ‌विपिन बिष्ट, भुवन जोशी, लीलाधर पान्डे, भुवन तिवारी, पंकज सुयाल, हेम चन्द्र भट्ट, पूरन चंद भंडारी आदि मौजूद रहे।

Continue Reading

संपादक - कस्तूरी न्यूज़

More in उत्तराखण्ड

Advertisiment

Recent Posts

Facebook

Trending Posts

You cannot copy content of this page