राजनीति
देश प्रथम, पार्टी द्वितीय, कार्यकर्ता अंतिम’ का निश्चित ही नया प्रतिमान स्थापित कर दिया फडणवीस ने
अनिल धर्मदेश
हर साल कांग्रेस के दस-बीस विधायक और नेताजी सत्ता या मंत्रालय के लोभ में विपक्षी दल से ‘हाथ’ मिला लेते हैं। बाहरी राज्यों में सपा-बसपा-जेडीयू की भी यही कहानी है। सदन में बहुमत सिद्ध करने से पहले अपने ही विधायकों को नजरबंद किया जाना विपक्षी दलों की संस्कृति बन चुकी है।
दशकों से यही मौकापरस्ती देखने का अभ्यस्त देश का सामान्य नागरिक नहीं समझ सकता कि कैसे राजनीति के इस कीचड़ में राष्ट्रीय और पार्टी उद्देश्यों के लिए त्याग की एक सतत परंपरा निष्ठा को संस्कृति बनाए हुए है।
जहाँ चुनाव से पहले ही राजनेता मुख्यमंत्री पद का दावा ठोक देते हों, ऐसे देश में मुख्यमंत्री की सजी थाली को उद्देश्यों की पूर्ति के लिए ठुकरा देना कोई सामान्य घटना नहीं है। शेष पार्टीयों की अवसरवादिता के लिए यह एक मूर्खता हो सकती है मगर देवेंद्र फड़नवीस ने भाजपा कार्यकर्ताओं के लिए ‘देश प्रथम, पार्टी द्वितीय, कार्यकर्ता अंतिम’ का निश्चित ही नया प्रतिमान स्थापित कर दिया है।
फडणवीस के इस ऐतिहासिक त्याग के माध्यम से भाजपा एक साथ दर्जनों उद्देश्य साधने में सफल हुई है।
फिलहाल तो यही समझना बेहतर है कि एकनाथ के पास विधायक हैं पर संगठन नहीं। शिवसेना का संगठन भी साथ आए, इसके लिए यह महत्वपूर्ण निर्णय है।
दूसरा कि बीते ढाई साल में महाराष्ट्र जितने पापों और पापियों का साक्षी बना है, सभी को शिंदे के माध्यम से दुरुस्त कराकर नए गुट का मत प्रतिशत पुरानी शिवसेना के बराबर कराना है। कार्रवाई पर राकांपा और कांगी सीधे भाजपा का नाम नहीं ले पाएंगे। पालघर के संतों की आत्मा न्याय के लिए प्रतीक्षारत है। सुशांत और उसकी असिस्टेंट की मौत का रहस्य खुले, बिहार इसकी प्रतीक्षा में है।
तीसरा लाभ है गठबंधन के प्रति भाजपा के निष्ठावान रहने का ज्वलंत उदाहरण। अब पंजाब में एसएडी फिर से सोचने को मजबूर होगी। फिर दिग्भ्रमित होते नीतीश भी कुछ विचारेंगे।
चौथा, लोकसभा चुनावों में भाजपा महाराष्ट्र में अब अधिक सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार सकेगी। पांचवां, महाराष्ट्र में एक गॉडफादर का अव्यक्त कॉन्सेप्ट है। फड़नवीस इस शून्य को भरने की राह पर बढ़ चले हैं।
छठवां, शिंदे पर बीते एक सप्ताह जो अंतहीन दबाव, भय और लालच दिखाया गया होगा, सीएम बनने की आश्वस्तता इस दौरान सभी पर भारी पड़ी होगी। सातवां, इस निर्णय से निश्चित हो गया कि अब शिंदे गुट अगले ढाई साल भाजपा से मोलभाव नहीं कर सकेगा। न ही सरकार गिराने की धमकी ही दी जाएगी।
आठवां, भाजपा ने महाराष्ट्र की जनता के समक्ष स्पष्ट कर दिया कि राज्य में हिंदुत्व का शासन स्थापित करना यही उसका एकमात्र उद्देश्य था, न कि सरकार बनाना। क्रमशः…
फडणवीस का पद ठुकराना राजनीति के कीचड़ में ‘Earning by doing good’ का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है। इसके लिए पार्टी और उसके नेता, दोनों को बधाई!

