राजनीति
हरदा की उत्तराखंडियत हरिद्वार से कोंग्रेसियों का किनारा, क्या सन्देश दिया प्रीतम एंड पार्टी ने
देहरादून: Harish Rawat: लोकसभा चुनाव में भले ही अभी लंबा वक्त है, लेकिन कांग्रेस में हरिद्वार लोकसभा सीट के लिए टिकट की जंग रोचक होना तय है। टिकट के प्रबल दावेदार पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की उत्तराखंडियत पर कांग्रेसियत भारी पड़ रही है। उत्तराखंडियत पर लिखी अपनी पुस्तक के शनिवार को लोकार्पण समारोह के केंद्र में राजनीतिक चर्चा को हवा देकर हरीश रावत ने एक तीर से कई निशाने साधे।
वहीं पूर्व नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह समेत कई नेताओं ने समारोह से दूरी बनाकर ये संकेत भी दिए हैं कि रावत के लिए टिकट पाने से लेकर सभी धड़ों को साथ लेकर मजबूती से चुनाव लडऩे की राह में सबसे बड़ी बाधा कांग्रेस में परंपरा बन चुकी अंदरूनी कलह ही है।
प्रदेश की राजनीति में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की पैठ को यूं ही मजबूत नहीं माना जाता है, अपनी पुस्तक उत्तराखंडियत: मेरा जीवन लक्ष्य के बहाने उन्होंने इसे एक बार फिर साबित कर दिखाया। हरिद्वार लोकसभा सीट से रावत अपना प्रेम छिपाने की कोशिश नहीं करते तो उसके स्पष्ट कारण भी हैं।
पूरी नहीं हुई थी पिछला लोस चुनाव हरिद्वार से लडऩे की इच्छा
हरिद्वार सांसद रहते हुए रावत को केंद्र की यूपीए सरकार में मंत्री बनने का मौका मिला तो बाद में प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने की हसरत भी पूरी हो गई। वर्ष 2019 में भी पिछला लोकसभा चुनाव हरिद्वार से लडऩे की उनकी इच्छा पूरी नहीं हो पाई थी। हरिद्वार से ही प्रत्याशी चुने जाने का शोर तेज होने और वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में मिली हार ने उनके दावे को कमजोर करने में भूमिका निभाई। उन्हें नैनीताल संसदीय सीट से चुनाव लडऩा पड़ा था।
वर्ष 2024 में भी हरिद्वार लोकसभा क्षेत्र में उनकी सक्रियता बढ़ते ही कांग्रेस के भीतर हलचल तेज हो चुकी है। उत्तराखंडियत के बूते राजनीति को परवान चढ़ाते रहे हरीश रावत को सबसे बड़ी टक्कर कांग्रेस की पहचान बन चुकी अंदरूनी कलह से ही मिल रही है।
पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत व शूरवीर सिंह सजवाण हरिद्वार सीट पर टिकट के लिए दावा ठोक रहे हैं। इसमें हरक सिंह रावत ज्यादा मजबूती से खम ठोक रहे हैं। पूर्व नेता प्रतिपक्ष व चकराता विधायक प्रीतम सिंह के साथ हरीश रावत के रिश्तों में खटास दूर नहीं हो पाई है। यद्यपि, हरीश रावत कुछ दिनों पहले प्रीतम सिंह से उनके आवास पर भेंट कर बंद कमरे में बातचीत कर चुके हैं।
माना जा रहा है कि प्रीतम की नाराजगी अभी दूर नहीं हो सकी है। हरक सिंह के करीब समझे जा रहे प्रीतम सिंह लोकार्पण समारोह में नहीं पहुंचे। हरिद्वार लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत कांग्रेस के पांच विधायकों में से भी केवल दो विधायक फुरकान अहमद और अनुपमा रावत भी समारोह में सम्मिलित हुए। अनुपमा हरीश रावत की पुत्री हैं। हरिद्वार में हरीश रावत के दावे को अनुपमा ने मजबूत किया है। यद्यपि, हरिद्वार जिले से अन्य विधायकों में ममता राकेश, वीरेंद्र जाति और रवि बहादुर भी समारोह में नहीं दिखे।
हरिद्वार महानगर कांग्रेस के नए अध्यक्ष बने सतपाल ब्रह्मचारी एवं अन्य कुछ नेता जरूर उपस्थित रहे। हरिद्वार लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत धर्मपुर विधानसभा क्षेत्र को आयोजन स्थल के रूप में चुनना और हरिद्वार से भाजपा के करीबी समझे जाने वाले जगतगुरु आश्रम के परमाध्यक्ष स्वामी राजराजेश्वराश्रम के हाथों पुस्तक लोकार्पण के भी राजनीतिक निहितार्थ तलाश किए जा रहे हैं।





