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सुपरनोवा की खगोलीय धूल ने बताया, कैसे पैदा होते हैं तारे

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अंतरिक्ष में धूल (Cosmic Dust) कैसे बनती हैं, इस बारे में वैज्ञानिकों को नई जानाकारी मिली हैं. इससे ब्रह्माण्ड में तारों की उत्पत्ति (How Stars Born) के बारे में तस्वीर साफ करने में वैज्ञानिकों को मदद मिल सकेगी और कई पुरानी अवधारणाओं में भी सुधार हो सकेगा. इस नए शोध में वैज्ञानिकों को एक युवा सुपरनोवा के अवशोषों में शक्तिशाली ध्रुवीकरण देखने को मिला है. यह इस बात का ठोस और स्वतंत्र प्रमाण है कि शुरुआती ब्रह्माण्ड में खगोलीय धूल सुपरनोवा से ही बनी थी. शोधकर्ताओं को यह जानकारियां कासियोपिया ए नाम के युवा सुपरनोवा अवशेष (supernova remnant, SNR) से मिली है जहां उच्च ध्रुवीकरण स्तर देखने को मिला है.

सुपरनोवा के शुरुआती चरण में ही
वैज्ञानिकों को यह पहले से ही पता था कि सुपरनोवा खगोलीय धूल का उत्सर्जन भी करते हैं और विनाश भी, लेकिन नए इंफ्रारेड अवलोकन सुझा रहे हैं कि खगोलीय धूल सुपरनोवा के शुरुआती चरण में ही बन जाती है. स्पैक्ट्रोस्फेरिक ऑबजर्वेटरी फॉर इंफ्रारेड एस्ट्रोनॉमी हाई रिजोल्यूशन एयरबोर्न वाइडबैंड कैमरा प्लस (SOFIA HAWC+) के बैंड डी के अवलोकन से उन्हें यह सारी जानकारी मिली है.

बादलों के अलावा भी
शोधकर्ताओं ने पाया है कि कासियोपिया ए में ध्रुवीकरण का स्तर 5 से 30 प्रतिशत है जिससे पता चलत है कि ध्रुवीकृत धूल का उत्सर्जन सुपरनोवा अवशेषों का है और सुपरनोवा विशाल मात्रा की धूल के उत्पादक हैं. जबकि इससे पहले कई शोध बता चुके हैं कि कासियोपिया ए में धूल केवल बादलों के रूप में ही है.

धूल के प्रमुख स्रोत
अध्ययन में पाया गया है कि सुपरनोवा में बने धूल के नए कण गोलाकार होने की बजाय बड़े और लंबे हैं. सिलिके कण इस धूल में बहुत ज्यादा हैं जिससे शक्तिशाली ध्रुवीकरण देखने को मिला है. अपने अवलोकनों के विश्लेषण के आधार पर ही शोधकर्ता इस ठोस नतीजे पर पहुंचे  कि सुपरनोवा शुरुआती ब्रह्माण्ड में धूल के प्रमुख स्रोत थे.

सुपरनोवा (Supernova) से बड़ी मात्रा में धूल बनती है और उससे खत्म भी हो जाती है.

आसान नहीं है ये
इस शोध के प्रमुख लेखक और SETI के शोधकर्ता वैज्ञानिक डॉ जियोंगही रो ने कहा कि ध्रुवीकृत धूल उत्सर्जन सुपरनोवा अवशेष कासियोपिया ए की ही है और यह कोई संयोगजनक अंतरतारकीय उत्सर्जन नहीं है. सुदूर इंफ्रारेड उत्सर्जन का अध्ययन आसान काम नहीं है क्योंकि यह विकिरण अंतरिक्ष में चारों ओर फैला हुआ है. ऐसे में सुपरनोवा के उत्सर्जन को खोजना भूसे में सुई खोजने के जैसा है.

एक आदर्श उम्मीदवार
ध्रुवीकरण के अवलोकनों ने इस विषय पर नया प्रकाश डाला है.  कासियोपिया तुलनात्मक रूप से एक नया सुपरनोवा अवशेष है जो कासियोपिया तारामंडल में स्थित है और पृथ्वी से 11 हजार प्रकाशवर्ष दूर स्थित है. इसकी पहली रोशनी साल 1671 में पृथ्वी पर पहुंची थी. इसके गहन अध्ययन हुआ है और अवलोकन के लिए भी यह उत्कृष्ट उम्मीदवार है.

इस अध्ययन से तारों के निर्माण (Formation of Stars) प्रक्रिया के बारे में भी नई जानकारी मिल सकेगी.

कई जवाबों की तलाश
सोफिया के HAWC+ उपकरण से वैज्ञानिक मैग्नेटिक फील्ड के बहाव, धूल के कणों के प्रकार और उनकी उपस्थिति, आकार, आकृति आदि की जानकारी हासिल कर सकते हैं. इन सवालों के जवाब से वैज्ञानिक तारों के निर्माण और ब्रह्माण्ड के विकास को बेहतर समझ सकते हैं. खगोलीय धूल पृथ्वी की धूलकी तरह नहीं होती है. बल्कि यह कार्बन जैसे तत्वों से बनी चट्टानों से बनी होती है जो तारों और ग्रहों के निर्माण में अहम भूमिका निभाती है.

खगोलीय धूल के कण सुपरनोवा से निकलने के साथ मैग्नेटिक फील्ड के संरेख हो जाते हैं जिससे धूल की ध्रुवीकरण  मैग्नेटिक फील्ड की जानकारी दे सकता है. बड़ी मात्रा में धूल का मिलना ही दर्शाता है कि शुरुआती ब्रह्माण्ड में सुपरनोवा धूल के बहुत बड़े उत्पादक थे. इसके अध्ययन से तारों के निर्माण के साथ ही ग्रहों के निर्माण की भी जानकारी मिल सकती है. सोफिया अभियान तो बंद होने वाला है, लेकिन वैज्ञानकों को जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप से काफी उम्मीदें हैं.

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संपादक - कस्तूरी न्यूज़

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