अंतरराष्ट्रीय
यानी मौत की सजा से बचने के लिए उनके पास सिर्फ 9 दिन का समय बचा….
26 अक्टूबर को कतर की एक अदालत ने भारत के 8 पूर्व नौसैनिकों को मौत की सजा सुना दी। कतर के कानूनों के मुताबिक, फरियादियों के पास अदालत के आदेश के खिलाफ अपील दायर करने के लिए 15 दिन हैं, जिनमें से 6 दिन पहले ही बीत चुके हैं। यानी मौत की सजा से बचने के लिए उनके पास सिर्फ 9 दिन का समय बचा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इन पर जासूसी जैसे गंभीर आरोप लगे हैं।
30 अक्टूबर को आठों पूर्व नौसैनिकों के परिवारों ने विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात की। नौसनिकों के परिजनों को विदेश मंत्री से मिलकर अपनी बात रखने का मौका मौत की सजा के ऐलान के बाद ही मिला। इससे पहले परिवार वालों को कोई जवाब नहीं मिला था। नौसैनिकों के परिजनों ने BJP के बड़े अधिकारियों को भी अप्रोच किया था। फिर भी कोई बात नहीं बन पाई थी।
स्टोरी में 5 सवालों के जरिए जानेंगे कि सरकार पिछले 14 महीनों में कतर में अपने पूर्व नौसैनिकों को बचाने के लिए कैसे फेल हुई, भारत आगे कौन से बैकडोर चैनल्स का इस्तेमाल कर सकता है, ये कितने कारगर हैं…
सवाल 1: विदेश मंत्री के साथ बैठक में क्या डिस्कस हुआ?
जवाब : मीटिंग में जयशंकर ने आश्वासन दिया कि भारत सरकार नौसैनिकों को सुरक्षित वापस लाने की हर संभव कोशिश कर रही है। सूत्रों के मुताबिक, ये मीटिंग करीब डेढ़ घंटे चली। इसमें सभी परिवारों के लगभग 20 सदस्य, विदेश मंत्री जयशंकर के अलावा विदेश राज्य मंत्री, विदेश सचिव और कतर में भारत के राजदूत भी मौजूद थे।
विदेश मंत्री के सामने भारतीय नौसैनिकों की पत्नियां और महिला सदस्य रो पड़ीं। परिवार के कुछ सदस्य भी पूरे मामले को लेकर सरकार के रुख से नाराज बताए जा रहे हैं। उनका मानना है कि जो नौसैनिक देश का सम्मान हैं, वो 14 महीने से विदेशी जेलों में कैद हैं। उन्हें शारीरिक और मानसिक यातनाएं दी जा रही हैं।
विदेश मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक, भारत सरकार को एक महीने में पूरे मामले को लेकर पॉजिटिव रिजल्ट्स मिलने की उम्मीद है। हालांकि, भास्कर से बात करने वाले सूत्रों ने बताया कि सरकार इस चुनौती से कैसे निपटेगी इसे लेकर कोई जानकारी नहीं दी है।
सवाल 2: सरकार सैनिकों को मौत से बचाने के लिए कौन से चैनल्स का इस्तेमाल कर रही है?
जवाब : सूत्रों के मुताबिक भारत कतर को मनाने के लिए तुर्किये की मदद ले रही है। तुर्किये के कतर के शाही परिवार के साथ अच्छे संबंध हैं, इसलिए सरकार ने उसे मध्यस्थता के लिए अप्रोच किया है। भारत सरकार ने मदद के लिए अमेरिका से भी बात की है। इसकी वजह ये है कि रणनीतिक तौर पर अमेरिका की कतर पर ज्यादा मजबूत पकड़ है।
वहीं, ये भी माना जा रहा है कि अगर विदेश मंत्रालय की कूटनीति नाकाम रही तो प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी कतर के राजा तमीम बिन हमद-अल थानी के साथ अपने व्यक्तिगत संबंधों का इस्तेमाल कर उनसे बात करेंगे।
भारत सरकार ने मामले को संभालने के लिए कतर में पूर्व भारतीय राजदूत दीपक मित्तल को शामिल किया है। जब आठों पूर्व नौसैनिकों को गिरफ्तार किया गया तब दीपक कतर में ही तैनात थे। हालांकि, पूर्व नौसैनिकों के परिजनों ने मित्तल पर मामला ठीक से हैंडल नहीं करने के आरोप लगाए हैं।
सवाल 3: पिछले 14 महीनों में कैसे पूर्व नौसैनिकों को बचाने में फेल रही सरकार?
जवाब : सूत्रों ने कहा कि विदेश मंत्रालय पिछले साल अगस्त में शुरू हुए इस 14 महीने पुराने मुद्दे पर तेजी से एक्शन लेने में फेल रहा है। एक्स सर्विसमैन और नौसैनिकों के परिवार वालों ने बैठक के बाद कहा कि मंत्रालय के अधिकारियों ने इस मुद्दे को लेकर मीडिया से बात करने से इनकार किया है। अधिकारियों का कहना है कि मीडिया कवरेज से मामले पर असर पड़ सकता है।
सरकार ने कतर में भारत के नौसैनिकों के गिरफ्तार होने की जानकारी पिछले साल अगस्त में तब दी जब मीडिया ने इस मुद्दे को उठाया। तब तक विदेश मंत्रालय ने इस मामले पर चुप्पी बनाए रखी थी।
रिटायर्ड मेजर जनरल सतबीर सिंह ने भास्कर को बताया कि उनकी संस्था इंडियन एक्स सर्विसमैन मूवमेंट ने 8 सैनिकों को छुड़ाने के लिए नवंबर 2022 से मार्च 2023 तक PMO को 9 लेटर लिखे थे। उन्होंने कहा- हमें जैसे ही परिवार वालों से गिरफ्तारी की जानकारी मिली हमने सरकार को अप्रोच करना शुरू कर दिया। सरकार ने पहली बार 5 अप्रैल में जवाब दिया।
मेजर जनरल सतबीर सिंह ने कहा कि कतर पर सैनिकों की रिहाई के लिए ज्यादा दबाव नहीं डाला गया। सरकार कह रही है कि वो सैनिकों को बचाने के लिए एक्शन ले रही है पर ऐसा होता तो उसका कोई रिजल्ट दिखता, उन्हें फांसी की सजा नहीं सुनाई जाती।
सूत्रों के मुताबिक, इन भारतीय नागरिकों के वकीलों और परिवार के सदस्यों को अभी तक 26 अक्टूबर का अदालत का आदेश नहीं मिला है।
भारत में नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजरी बोर्ड के सदस्य रह चुके ब्रह्मा चेलानी के मुताबिक भारतीय डिप्लोमेसी पूर्व नौसैनिकों पर मामले को रफादफा कराने में फेल हुई। पर्दे के पीछे हुए ट्रायल और फिर मौत की सजा के खिलाफ अब कतर की कोर्ट ऑफ अपील को अप्रोच किया जा सकता है। इसके बाद वो कतर की सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे खटखटा सकते हैं।
चेलानी के मुताबिक मामला राजनीतिक होने की वजह से सब कुछ कतर के अमीर यानी वहां की सबसे बड़ी अथॉरिटी अल थानी के हाथों में हैं। वो हर साल ईद और कतर के नेशनल डे जो 18 दिसंबर को होता है, उस दिन लोगों की मौत की सजा को माफ करते हैं।
चेलानी ने कहा है कि अगर नौसैनिकों को फांसी की सजा दी गई तो कतर और भारत के रिश्ते हमेशा के लिए खराब हो जाएंगे। courtsy-Dainik Bhaskar