Connect with us

others

सुंदरलाल बहुगुणा :राष्ट्रीय गौरव “जिनकी आज जयन्ती है।

खबर शेयर करें -

प्रमोद साह

पुलिस उपाधीक्षक

सुंदरलाल बहुगुणा :राष्ट्रीय गौरव “
जिनकी आज जयन्ती है।
9 जनवरी 1927 को टिहरी रियासत के मरोड़ गांव में जन्म लेने वाले सुंदरलाल बहुगुणा जी की आज जयन्ती है ।
यह दिन इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि वर्ष 2021 में उनके देहावसान के बाद हम उन्हें पहली बार उन्हें जयंती के मौके पर याद कर रहे हैं।
जिस प्रकार हिमालय से निकलने वाली नदियो का सफर न तो कभी आसान होता है ,न कभी एक रूप ।
ऐसे ही संघर्ष और विचार की विविधताओं से परिपूर्ण सुंदरलाल बहुगुणा जी आज 95 वर्ष की आयु पर्यावरण मनुष्यता के लिए एक बड़ा संदेश देकर अलविदा कह गए हैं।

श्री सुंदरलाल बहुगुणा प्रतिभा और उत्साह से भरे एक ऐसे युवक थे ,जो टिहरी रियासत में आजादी के संघर्ष में 13 वर्ष की आयु में श्री देव सुमन के संपर्क में आए, और 17 वर्ष की उम्र में जेल चले गए.
भेष बदलकर सरदार मानसिंह के रूप में आजादी की लड़ाई से जुड़े रहे।
अध्ययन में उनकी गहरी रुचि थी। तमाम प्रतिबंधों के बाद भी उन्होंने स्नातक लाहौर से पास कर लिया , वहां स्वतंत्रता संग्राम के संघर्ष में सक्रिय भागीदारी की..।
शुरुआती रुझान सक्रिय राजनीति में रहा, लेकिन आप जाति भेदभाव के खिलाफ थे . इस कारण टिहरी रियासत में जाति के बंधनों को तोड़ने के लिए आपने हरिजन छात्रों के लिए “ठक्कर बाबा “छात्रावास की स्थापना की ।
टिहरी रियासत की आजादी में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के बाद .
आप टिहरी कांग्रेस कमेटी के महासचिव पद पर आसीन हुए , इस पद से आप सीधे गोविंद बल्लभ पंत और जवाहरलाल नेहरू के संपर्क में रहे । सुंदरलाल बहुगुणा जब विवाह के बंधन में बंधने को बढ़ रहे थे. तब लक्ष्मी आश्रम कौसानी में अध्ययनरत, सरला बहन की सबसे समर्पित गांधीवादी शिष्या आपकी धर्मपत्नी तब विमला नौटियाल ने विवाह के लिए बड़ी दुविधा भरी राजनीति से दूरी रखने की शर्त रख दी ।

तमाम पारिवारिक दबाव के बाद भी आपकी पत्नी विमला नौटियाल जी का राजनीति से दूरी रखने की शर्त किसी देवी इच्छा का ही फल लगती है, इस शर्त में भले ही राजनीति से प्रतिभावान नेता को दूर किया हो लेकिन देश को विनोबा भावे के बाद गांधी और उनके विचार को और व्यापक कर पर्यावरण संरक्षण के संदेश तक विश्व पटल तक पहुंचाने के लिए एक गांधीवादी संत को पैदा किया, इसे नीयति का चमत्कार ही कहा जाएगा..।
कि इस शर्त ने देश को गांधी की बागवानी में एक शानदार पुष्प दिया , जिसने गांधी और उसके विचार की महक पूरी दुनिया तक पहुंचाई ।
1956 में विवाह के साथ ही बाल गंगा के तट पर #सिलियारा आश्रम की स्थापना हुई , जहां गांधी विचार . दलित चेतना , ग्राम स्वावलंबन, मद्य निषेध और पर्यावरण के संरक्षण के विश्व स्तरीय अध्याय लिखे गए ।
भूदान आंदोलन में जब श्री सुंदरलाल बहुगुणा, विनोबा भावे जी के साथ थे। तो वह सुंदरलाल बहुगुणा जी में विनम्रता और विचार की दृष्टि से एक श्रेष्ठ गांधीवादी विचारक को देख रहे थे। जो बात आगे जाकर सच साबित हुई,
देश और समाज को उनके समग्र योगदान को देश तथा दुनिया ने रेखांकित किया, उन्हें राइट लाइवलीहुड पुरस्कार ,राष्ट्रीय एकता पुरस्कार, पद्म श्री, पद्म विभूषण 2009 से सम्मानित किया गया ।
यह सब हमारे लिए प्रेरणा और गर्व की बात है ।
चिपको आंदोलन के रूप में उनका आदर्श वाक्य “
क्या है जंगल के उपकार ।
मिट्टी पानी और बयार।
पर्यावरण संकट का बेहतर समाधान देता है।
21 मई 2021 को काल के क्रूर हाथों ने प्रखर गांधीवादी चिंतक और पर्यावरणविद सुंदरलाल बहुगुणा जी को हमसे छीन लिया लेकिन उनका विचार और पर्यावरण के प्रति उनकी चेतना समय और विश्व समुदाय को लगातार मार्गदर्शन देती रहेगी कि पर्यावरण के बगैर सभ्यताओं का जीवन नहीं हो सकता इसलिए पर्यावरण के प्रति संवेदनशील रहे यही जीवन का आधार है।
आज जयंती पर विनम्र स्मरण 💐💐

Continue Reading

संपादक - कस्तूरी न्यूज़

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

More in others

Advertisiment

Recent Posts

Facebook

Trending Posts

You cannot copy content of this page