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उत्तराखण्ड

अभी भी पर्यटन जिला बनाने की राह देख रहा अल्मोड़ा, धार्मिक व साहसिक पर्यटन की हैं अपार संभावनाएं

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अल्मोड़ा : सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा पर्यटन की अपार संभावनाएं है। विभिन्न धार्मिक स्थल, ऐतिहासिक धरोहरों, साहसिक और पर्यटन स्थल होने के बाद भी यहां पर्यटन विकास की योजनाएं परवान नहीं चढ़ सकी। सिर्फ सीजन में होटल व्यवसाय तक ही पर्यटन सीमित रह गया है। होम स्टे योजनाएं भी कारगर साबित नहीं हो सकी।

अल्मोड़ा जिले के लिए सरकार की ओर से लगातार किए गए पर्यटन विकास के दावे खोखले साबित हो रहे हैं। 13 डिस्ट्रिक्ट 13 डेस्टिनेशन समेत कई योजनाएं बनाने के बाद भी पर्यटन विकास को पंख नहीं लग सका है। जिले में चितई गोल्ज्यू मंदिर, जागेश्वर धाम, कटारमल स्थित सूर्य मंदिर, द्वाराहाट पांडवखोली, हैड़ाखान, झूलादेवी, पातालदेवी समेत कई मंदिर हैं। रानीखेत, चौबटिया, बिनसर, कसारदेवी, मरचूला सहित कई पर्यटन स्थल और लखुउडियार गुफा, दानवीर जसुली देवी शौक्याणी की धर्मशालाएं आदि एतिहासिक धरोहरें हैं।

यहां धार्मिक, आध्यात्मिक, पर्यटन और साहसिक पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। लेकिन इसके बावजूद भी सरकार के पर्यटन विकास के दावे खोखले साबित हो रहे हैं। यहां अब तक पर्यटन को पंख नहीं लग सके। न हीं एतिहासिक धरोहरों का बहुत अधिक संरक्षण हो पाता है और न हीं धार्मिक स्थलों पर विकास हो रहे हैं। सरकार लगातार विकास के दावे कर रही है।

180 होम स्टे और 500 से अधिक होटल

जिले में लगभग 180 होम स्टे और 500 से अधिक होटल पंजीकृत हैं। होम स्टे संचालन के लिए भी कई योजनाएं बनाई गई। लेकिन कोरोना काल में योजनाएं कारगर साबित नहीं हो सकी। होटल व्यवसायियों का सीजन में अच्छा काम रहता है। पर कोरोना के चलते व्यवसाय पर भी मार पड़ी है।

जिला पर्यटन अधिकारी अमित लोहनी ने बताया कि आचार संहिता में फिलहाल विकास कार्य रुके हैं। आचार संहिता समाप्त होते ही विभिन्न कार्यों की जानकारी लेते हुए पर्यटन विकास का आंकलन किया जाएगा।साभार न्यू मीडिया

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संपादक - कस्तूरी न्यूज़

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